23 Oct 2021 | 1 min Read
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पोलियो एक संक्रामक बीमारी जो बच्चों के लिए काफी खतरनाक होती है। पोलियो वायरस सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं। जिनकी उम्र 5 साल से कम होती है। एक समय में हमारे देश में पोलियो वायरस बहुत तेजी से फैल गया था। आंकड़ों के अनुसार करीब एक दशक से देश पोलियो मुक्त है। क्योंकि आज हर जगह पल्स पोलियो अभियान पूरी तरह से चलाया जा रहा है। ताकि कोई भी बच्चा पोलियो की खुराक से वंचित नहीं रहे।
पोलियो क्या है विश्व पोलियो दिवस की शुरुआत क्यों की गई
पोलियो ऐसी बीमारी है जो शिशुओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। पोलियो संक्रमण की वजह से शिशुओं के पैर सही तरीके से काम नहीं करते हैं। हालिकी आज हमारा देश पोलियो मुक्त है। विश्व पोलियो दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य है लोगों में पोलियो बीमारी को लेकर जागरूक करना। रोटरी इंटरनेशनल ने विश्व पोलियो दिवस मनाने की शुरुआत की। पोलियो वैक्सीन की पहली खोज 1955 में की गई थी। 1980 के समय पोलियो बुरी तरह फैल चुका था और लाखों बच्चे संक्रमित होने लगे। तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो वैक्सीन की शुरुआत करने का निर्णय लिया। कुछ समय बाद पोलियो पर धीरे-धीरे काबू पाया जाने लगा। हमारे देश में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत 1995 में हुई।
भारत ने 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण की शुरुआत की। इसके तहत 5 साल से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो समाप्त होने तक हर साल दिसंबर और जनवरी में पोलियो की ओरल खुराक दी जायेंगी।
पोलियो की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है लोगों को जागरूक होना आवश्यक है। शिशुओं को पोलियो ड्रॉप अवश्य पिलायें। इस बारे में डॉक्टर से अवश्य सलाह है अगर आपके बच्चे को कोई और स्वास्थ्य संबंधी समस्या है।
शिशुओं को जन्म के बाद सारे टीकाकरण समय पर दिया जाना आवश्यक है। इसके बारे में आप अपने नजदीकी टीकाकरण केन्द्र से अवश्य जानकारी लें।
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