6 Jan 2022 | 1 min Read
बेबीचक्रा हिंदी
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पिता आज की पीढ़ी की लिए डैड, एक समय ऐसा था जब पिता की भूमिका सिर्फ ऑफिस जाने से लेकर इतवार की छुट्टी में घुमाने के लिए थी। लेकिन आज के समय में वही पिता, पापा और डैड बन गए। वह डैड जो अपनी बेटी के लिए हीरो और बेटे के लिए बेस्ट फ्रेंड।
आज के बदलते समय और सोच ने पिता की भूमिका में भी बदलाव किए है। एक मार्डन डैड के असल मायने है अपनी बच्चों की सोच को समझना। बच्चों की परवरिश में वही भूमिका निभाना जो एक मां की होती है।
प्रेगनेंसी की न्यूज मिलते ही डैड की जिम्मेदारी शुरू होती है। फिर जो शुरुआत होती है वह तब तक चलती रहती है, जब तक वह ग्रैंड पैरेंट नहीं बन जाते है। कहा जाता है कि बच्चा जब पैदा होता है, तब वह सिर्फ मां की गोद पहचानता है। लेकिन यकीन मानिए, आजकल के बच्चे पैदा होते ही अपने पिता को भी बहुत बखूबी जानने लगते है।
जमाने के साथ लोगों की सोच बदलती है, लेकिन सोच भी जमाना बदल देता है।
अगर 80 के दशक की बात करें तो उस समय के भी ऐसे डैड है, जो अपने बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त है। लेकिन वो कहते हैं कि समाज क्या कहेगा इस बारें में। यह सोच कहीं ना कहीं हमें रोक देती है। आज के समय में डैड अपनी न्यू बॉर्न बेबी के डायपर चेंज करने से लेकर बोतल फीड वैसे ही करवाते हैं, जैसे एक मां। बच्चों के टिफिन या फिर शाम के स्नैक्स सब कुछ वैसा ही जैसा एक मां करती है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक मां घर संभाल रही है या फिर ऑफिस जा रही है। एक पिता को भी पूरा सहयोग खुशी-खुशी देना चाहिए। इसके लिए ऐसी सोच से दूर रहे कि अरे यह तुम्हारा काम नहीं है, यह तो औरतों का काम है।
अपनी दी गई परवरिश पर तब खुशी होती है जब आपकी बेटी या बेटा यह आकार कहे। कि पापा यू आर माय बेस्ट फ्रेंड, अपने दिल की सारी बात शेयर करे। क्योंकि टीनएज बच्चों के लिए पेरेंट्स सबसे अच्छे दोस्त और सबसे बड़े दुश्मन हो सकते है। खासतौर से अपने डैड को वह तब समझ सकते हैं, जब वह उन्हें यह एहसास दिलाएं कि तुम्हें बड़ा करने में मैंने हमेशा तुम्हारी मां का साथ दिया है। हम दोनों से बढ़कर तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है।
ऐसा नहीं है कि आप अपने बच्चों की गलतियों को नजरअंदाज कर जाए। बल्कि बच्चों को जीने का तरीका सिखाएं कि गलत ना करो, कभी गलत सहन नहीं करो। अपने लिए आवाज उठाओं, लेकिन किसी का अपनान नहीं करो, शेयर इज केयरिंग यह बात बच्चों के दिमाग में हमेशा होनी चाहिए। असल मायनों में परवरिश तभी सफल होती है जब आपका बच्चा यह कहे आप तो मेरे लिए ड्रीम हीरो जैसे हो।