प्रेग्नेंट कैसे होते हैं

प्रेग्नेंट कैसे होते हैं

27 Jan 2022 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

प्रेग्नेंसी महिला के शरीर की वह अवस्था है जब वह एक नए जीवन को जन्म देने की प्रक्रिया में संलग्न होती है। लेकिन प्रेग्नेंट कैसे होते हैं इस प्रक्रिया को भी समझना बहुत जरूरी है। जाहिर है, यह सभी सोचते हैं कि महिला प्रेग्नेंट कैसे होती हैं या गर्भधारण कैसे होता है?

जब अंडा यानि एग शुक्राणु यानि स्पर्म के साथ मिलता है, तब गर्भधारण होता है। सेक्स करने के बाद शुक्राणु को फैलोपियन ट्यूब्स तक पहुँचने में 45 मिनट से लेकर 12 घंटे तक लग सकते हैं। अंडाशय से निकलने के बाद अंडे का जीवनकाल बहुत ही छोटा होता है यानि सिर्फ 12 से 24 घंटे का होता है। जबकि पुरूष का स्पर्म प्रजनन क्षेत्र में 3–5 दिनों तक ही जीवित रहता है। इसलिए ओव्यूलेशन के समय अंतराल में सेक्स करने के एक हफ्ते के भीतर कभी भी महिला प्रेग्नेंट हो सकती है।

 

 

महिला प्रेग्नेंट कैसे होती है?

गर्भाशय के दोनों तरफ जो अंडाशय होता है, उसमें अंडें भरे हुए होते हैं। वहीं से गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है। अध्ययनों के अनुसार 10 से 14 साल के उम्र तक लगभग छह लाख अंडे होते हैं, जो 30 साल तक पहुँचते-पहुँचते 72000 तक पहुँच जाते हैं।

हर मासिक धर्मचक्र के दौरान महिला के शरीर में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू होती है। इसी पर प्रेग्नेंट कैसे होते हैं, यह प्रक्रिया निर्भर करती हैं। यदि मासिक धर्मचक्र 28 दिन का है तो 10-17वें दिन के बीच गर्भधारण करने का सबसे सही समय होता है। कहने का मतलब है कि 17वें दिन के बाद ओव्यूलेशन का समय खत्म हो जाता है और प्रेग्नेंट होने की संभावना भी नष्ट हो जाती है।

प्रत्येक महिला का मासिक चक्र भिन्न-भिन्न होता है। किसी का 28 दिनों का होता है तो किसी का 21 दिन, 35 दिन या 36 दिन। इसलिए ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पीरियड्स के डेट के हिसाब से अलग-अलग समय पर पूरी होती है।

हर बार पीरियड्स के दौरान शरीर से रिप्रोडक्शन हार्मोन्स ओवरी को उत्साहित करते हैं, जिसके कारण अपरिपक्व 15-20 अंडे जिन्हें ओसाइट्स (oocytes) कहते हैं, उनमें परिपक्व होने की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन उनमें से एक ही अंडा परिपक्व होता है, वह स्पर्म यानि वीर्य के साथ मिलने के लिए तैयार होता है यानि फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू होती है। अगर अंडा फर्टिलाइज्ड हो गया तो वह यूटेरस में चल जाता है और फिर विकसित होने लगता है।

जो अंडा फर्टिलाइज्ड नहीं होता है, वह पीरियड्स के माध्यम से निकल जाता है। इसी तरह ओव्यूलेशन की प्रक्रिया चलती है। एक बार जब एग बेकार हो जाता है तब गर्भधारण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अगले मासिक धर्मचक्र का इंतजार करना पड़ता है।

गर्भधारण कैसे होता है?

जैसा कि आप जान चुके हैं कि महिला के शरीर में हर महीने एक अंडा मैच्योर होता है। इससे अलग पुरूष के शरीर में लाखों शुक्राणु यानि स्पर्म का उत्पादन होता है। हर शुक्राणु का एकमात्र उद्देश्य अंडे से मिलन करना होता है। एक शुक्राणु को बनने में लगभग 10 हफ्ते लगते हैं और वह कुछ ही हफ्तों के बाद वीर्यपात के द्वारा चार करोड़ शुक्राणु निकल जाते हैं। इसलिए शुक्राणु बनने की प्रक्रिया लगातार चलते रहना चाहिए।

आपके जानकारी के लिए बता दें कि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन शुक्राणु बनने की प्रक्रिया में मदद करता है। यह उत्पादन कार्य टेस्टिकल्स में होता है। यह टेस्टिकल्स लिंग के नीचे अंडकोषीय थैलीनूमा दो ग्रंथी में होते हैं। स्पर्म बन जाने के बाद टेस्टिकल्स के एपिडिडिमिस में यह संगृहित हो जाते हैं।

सेक्स करने के बाद यह शुक्राणु अंडे के साथ मिलन करते हैं और फिर गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है। शिशु का लिंग क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन-सा शुक्राणु अंडे के साथ मिलता है। वाई (Y) गुनसूत्र वाला शुक्राणु से बेटे का जन्म होगा और एक्स (X) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटी का।

प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया का अंतिम चरण

ओव्यूलेशन के दौरान जब शुक्राणु और अंडे का मिलन होता है तब एक नई कोशिका बनती है जो तेजी से विभाजित होकर एक नए कोशिकाओं का गट्ठा बनता है, जिसको ब्लासोसिस्ट कहते हैं। जब तक ब्लासोसिस्ट खुश गर्भाशय के दीवार के साथ नहीं जुड़ता है तब तक गर्भधारण नहीं होता है। तो यह रहा प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण।

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