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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर)में शरीर में क्या बदलाव होते हैं?

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर)में शरीर में क्या बदलाव होते हैं?

12 Feb 2022 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

हर महिला के लिए गर्भवती होना उसके लिए जीवन का सबसे सुखद एहसास होता है। लेकिन इस मधुर एहसास के साथ कई सवाल दिमाग में उठने लगते हैं, जैसे इस अवस्था में महिला के शरीर के अंदर कैसे बदलाव होते हैं, गर्भ के अंदर पल रहे शिशु का कैसा विकास होता है,गर्भावस्था की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) के दौरान माँ को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वैगरह वैगरह। तो फिर बिना देर किए मिनटों में जान लेते हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में माँ और शिशु के शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं।

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर)

एक मिनट, जरा हमें बताइए तो गर्भावस्था की पहली तिमाही शब्द के बारे में आप कितना जानते हैं। डोन्ट वरी, हम बताते हैं, वैसे तो गर्भावस्था 9 महीने या औसतन 40 हफ्तों का होता है। गर्भाधारण करने के क्षण से गर्भवती होने की प्रक्रिया, जब पुरूष शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करता है- गर्भावस्था की पहली तिमाही को आपकी अंतिम पीरियड्स के पहले दिन से लेकर सप्ताह 12 तक माना जाता है।

जिस तरह समय के साथ बच्चे का विकास होता है, उसी तरह पहली तिमाही में एम्ब्रियो (embryo) धीरे-धीरे विकसित होकर फीटस (fetus) में बदल जाता है। इसका वजन 1/2 से 1 औंस का होता है और लंबाई लगभग 4 इंच का होता है।

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) में गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलाव या संकेत

1. पीरियड्स बंद हो जाना- प्रेग्नेंट होने का पहला लक्षण होता है पीरियड्स न होना। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर से प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन होना शुरू हो जाता है, जो शिशु के जन्म होने तक पीरियड्स होने से रोकता है।

2. स्पॉटिंग जैसा ब्लीडिंग होना- किसी-किसी महिला को हल्का रक्त स्राव यानि स्पॉटिंग होता है। क्योंकि निषेचित भ्रूण ( fertilized embryo) यूटेरस में प्रत्यारोपित (implant) होता है। लेकिन ज्यादा ब्लीडिंग या क्रैम्पिंग होने पर डॉक्टर को बताएं, यह गर्भपात या एटोपिक प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।

3. उल्टी या मतली होना या न होना- अक्सर गर्भधारण करने के एक महीने बाद से शरीर में हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाने के कारण मॉर्निंग सिकनेस या हमेशा उल्टी का एहसास होता रहता है। इस समस्या से राहत पाने के लिए हर एक या दो घंटे में कम मात्रा में खाएं।

4. स्तनों में सूजन- पहली तिमाही के लक्षणों में ब्रेस्ट में सूजन होना आम है। हॉर्मोन में बदलाव के कारण स्तन में दूध की नलिकाएं बच्चे को दूध पिलाने की प्रक्रिया के लिए तैयारी करना शुरू कर देती हैं। इसलिए स्तनों में सूजन और दर्द होने के साथ आकार में बढ़ोत्तरी भी होती है।

5. बार-बार पेशाब होना- भले ही आपका बेबी बहुत छोटा है,लेकिन यूटेरस (गर्भाशय) का आकार बढ़ने के कारण मूत्राशय पर दबाव पड़ने लगता है। इसलिए बार-बार पेशाब होता है। इसके लिए कैफीन की मात्रा कम करनी होगी और एक बार ध्यान रखें कि पेशाब लगने पर उसको रोकने की गलती न करें।

6. कब्ज और गैस की समस्या- पहली तिमाही के गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन के कारण मांसपेशियों का संकुचन कम हो जाता है, जिसके कारण सिस्टेम में खाना जाने की गति धीमी हो जाती है। साथ में विटामिन के साथ आयरन का सेवन करने कब्ज और गैस की समस्या होती है। इसके लिए फाइबर युक्त खाना और ज्यादा से ज्यादा फ्लूइड को डायट में शामिल करें। साथ में शारीरिक सक्रियता भी है जरूरी।

7. खाने के प्रति लालसा बढ़ती है या बदल जाती है- गर्भधारण के शुरूआती लक्षणों में खाने के स्वाद और गंध के प्रति भावना में बदलाव आता है। हार्मोन में बदलाव के कारण कुछ पसंदीदा व्यंजन अच्छा नहीं लगता है और दूसरे तरह का व्यंजन अचानक अच्छा लगने लगता है।

8. डिस्चार्ज- प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के शुरूआत में पतला दूध जैसा स्राव जिसको ल्यूकोरिया कहते है, वह निकलता है। इसके लिए टैम्पोन का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि वैजाइना में जर्म जाने के कारण इंफेक्शन हो सकता है। अगर डिस्चार्ज का रंग हरा या पीला हो जाता है तो डॉक्टर को तुरंत बताएं।

9. थकान- असल में प्रेगनेंसी के पहले तिमाही आपका शरीर बच्चे के विकास के लिए बहुत काम करता है। इसलिए वह ज्यादा थकने लगता है। इसलिए शरीर को एक्टिव रखने के साथ थोड़ा आराम करने की भी जरूरत होती है। इस दौरान पर्याप्त मात्रा में आयरन लेना बहुत जरूरी होता है, वरना एनीमिया होने का खतरा रहता है।

10. मूड स्विंग्स- पहली तिमाही के दौरान मूड बार-बार बदलाता है, ‘कभी खुशी कभी गम’ की परिस्थिति बार-बार बनती है। इस मूड स्विंग्स का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हार्मोन में बदलाव होता है।

11. वजन का बढ़ जाना- प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में वजन का बढ़ना नॉर्मल होता है, लेकिन पहली तिमाही में वजन उतना नहीं बढ़ता है। इस दौरान लगभग 3-6 पाउंड वजन बढ़ना ही पर्याप्त होता है। अगर ज्यादा कम या ज्यादा हो तो इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें। खाने में साग-सब्जी, फल, अनाज, मांस-मछली को शामिल करें।

12. कार्डियक वॉल्यूम का बढ़ना- प्रेग्नेंसी के दौरान कार्डियक वॉल्यूम लगभग 40% से 50% तक बढ़ जाती है। कार्डियक वॉल्यूम के बढ़ने के कारण पल्स रेट भी बढ़ जाता है। यूटेरस में रक्त प्रवाह ज्यादा होने के कारण ब्लड का वॉल्यूम भी बढ़ जाता है।

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) में भ्रूण का विकास

गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपका शिशु थोड़ा-थोड़ा करके विकसित होता है। वह एक निषेचित अंडे से भ्रूण का रूप लेते हुए मनुष्य का आकार ले लेता है। उसके बाद हाथ, पैर, दिल, आँख, पलकें, कान, उंगली, पाचन तंत्र, जननांग आदि अंग बनने लगते हैं यानि वह मनुष्य का आकार लेने लगता है।

4 हफ्ते के अंत तक- शरीर के सभी प्रमुख अंग और प्रणालियाँ बनने लगती हैं। आँख, कान, हाथ, पैर सब विकसित होने लगते हैं। यहाँ तक कि दिल भी धड़कने लगता है।

8 वें हफ्ता के अंत तक- सर्कुलेटरी, नर्वस, डाइजेस्टिव और यूरीनरी सिस्टेम्स सहित शरीर की सभी प्रमुख प्रणालियाँ विकसित होती रहती है। भ्रूण का सर शरीर की तुलना में बड़ा हो जाता है। टूथ बड्स मुँह में बनने लगते हैं, जो बाद में दाँत बन जाते हैं। आँख, कान, मुँह, नाक, हाथ और पैर ज्यादा स्पष्ट दिखने लगते हैं। डॉपलर का इस्तेमाल करके दिल की धड़कन सुन सकते हैं। इस दौरान भ्रूण निरंतर गति में रहता है लेकिन माँ महसूस नहीं कर पाती।

9 से 12 हफ्ते के दौरान- भ्रूण की बाहरी जननांग विकसित हो जाते हैं। नाखून और पैर के अंगूठे नजर आने लगते हैं। आँखों पर पलकें बन जाती हैं। हाथ और पैर पूरी तरह से बन जाते हैं। श्वासनली में स्वरयंत्र बनने लगता है। 12वें हफ्ते तक शरीर की सभी अंग और प्रणालियाँ पूरी तरह से बन जाती हैं।

आशा करते हैं कि इस लेख के द्वारा हम प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में माँ और शिशु के शरीर में क्या-क्या बदलाव और विकास होते हैं, इसके बारे में संक्षिप्त तरीके से समझाने में सक्षम हो सके हैं।

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