13 Feb 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 387 Articles
हर महिला के जीवन में गर्भावस्था और शिशु के स्पर्श का अनुभव ऐसा अनछुआ अनुभूति होता है, जिसकी तुलना किसी और खुशी के अनुभव से की ही नहीं जा सकती। अक्सर माँ गर्भावस्था के दौरान सभी एहतियात बरतने के बावजूद ऐसी समस्याओं के घेरे में आ जाती है, जो उसके शिशु के लिए जिंदगी और मौत का सवाल बन जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के गले में नाल या अम्बिलिकल कॉर्ड के फंस की घटना आम होती है।
इसलिए हर गर्भवती महिला को बच्चे के गले में नाल या अम्बिलिकल कॉर्ड के फंस जाने की घटना कैसे होती है, इस बात को समझने की बहुत जरूरत है। भगवान न करें, ऐसा कोई भी क्षण किसी भी माँ के जीवन में आए, पर प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत तरह की जटिलताओं और समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी होता है।
बच्चे के गले में नाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) क्या होता है?
अम्बिलिकल कॉर्ड या गर्भनाल (umbilical cord)एक लचीला ट्यूब जैसी संरचना होती है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण को माँ से जोड़ती है। यह ट्यूब माँ से शिशु के भीतर पोषक तत्व पहुँचाता है और अवांछित पदार्थों को बाहर ले जाता है। यह तीन ब्लड वेसल्स से बना होता है- दो धमनियाँ और एक शिरा। इस गर्भनाल को माँ के लिए बच्चे की जीवनरेखा माना जाता है।
बच्चे के गले में नाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) का क्या काम होता है?
असल में गर्भनाल को मां और भ्रूण दोनों के बीच शारीरिक और भावनात्मक संबंध से जुड़ा माना जाता है। इस नाल की सहायता से शिशु को ऑक्सीजन और सारी न्यूट्रिएंट्स माँ के द्वारा मिलती है, और फिर इसी नाल के माध्यम से अवांछित पदार्थ निकल भी जाती है। हाँ, इसको एक सरल वाक्य में कहे तो यह गर्भावस्था के दौरान यह माँ और शिशु के बीच प्यार और देखभाल का राह होता है। इसलिए कवि इस गर्भनाल को जीवन की डोर कहते हैं।
न्युकल कॉर्ड (nuchal cord) क्या होता है?
शायद आपको पता नहीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु माँ के गर्भ में घुमता रहता है, जिसके कारण कॉर्ड का उसके गले में लिपट जाने की संभावना बढ़ जाती है। और इस समस्या को ही न्युकल कॉर्ड की समस्या कहा जाता है। दुख की बात यह है कि लगभग 20-30% प्रेग्नेंट वुमन को इस समस्या से गुजरना पड़ता है। इस लेख के माध्यम से हम शिशु के गले में अम्बिलिकल कॉर्ड के लिपटने के बारे में खुलकर बात करेंगे।
शिशु के गले में अम्बिलिकल कॉर्ड कैसे लिपट जाता है?
असल में गर्भनाल एक व्हार्टन’स जेली नाम का मुलायम चीज होता है, उससे सुरक्षित होता है। गर्भ में चाहे कितनी भी बार कॉर्ड शिशु के गले या शरीर में बँध जाएं,यह जेली जैसा पदार्थ उस नली को गले में कसकर बँधने नहीं देता है। पर गर्भनाल शिशु के गले में जितनी बार भी फंसती है वह ढीली हो जाती है। इसलिए शिशु किसी भी प्रकार के नुकसान होने से बच जाता है।
लेकिन कभी-कभी जटिलता का सामना करना पड़ ही जाता है, न्युकल कॉर्ड डिलीवरी के समय शिशु के गले में 360०डिग्री में कसकर लिपट जाती है, जिससे जटिलता उत्पन्न हो जाता है। नाल के कसकर लिपट जाने के कारण माँ और शिशु के बीच न्यूट्रिशन और ऑक्सीजन का आवागमन बाधित हो जाता है। इस जटिलता के कारण ऑक्सीजन की कमी से शिशु का दम घुटने लगता है। इससे भी अवस्था अगर और भी गंभीर हो गई तो दिमागी लकवा भी मार सकता है, जिसको सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) कहते हैं।
शिशु के गले में अम्बिलिकल कॉर्ड के लिपट जाने का अन्य कारण
कभी-कभी माँ जो पेट में शिशु के मूव्स, किक्स को उसका प्यारा-सा स्पर्श सोचकर एन्जॉय करती हैं पर इन मूवमेंट्स की वजह से न्युकल कॉर्ड भी हो सकता है। न्युकल कॉर्ड का लिपटने के पीछे कई कारण होते हैं। व्हार्टन’स जेली के बारे में हमने पहले बात की, यह कॉर्ड को गले में फंसने से बचाता है। पर जब इसकी मात्रा कम हो जाती है तो घटना घटने की संभावना बढ़ जाती है। यह तो आप जानते ही है कि गर्भाशय की थैली में जो एमनियोटिक फ्लूइड होता है, उसमें शिशु तैरता रहता है, अगर उसकी मात्रा ज्यादा हो गई तो कॉर्ड के गले में फंसने की आशंका बन जाती है। अगर गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं तो अम्बिलिकल कॉर्ड भी दो बन जाता है, और बच्चों के मूवमेंट्स के दौरान कॉर्ड के उलझ जाने की संभावना भी बढ़ जाती है।
न्युकल कॉर्ड का डायग्नोसिस
वैसे तो शिशु के गले कॉर्ड के फंसने का साफ संकेत तो समझ में नहीं आता है, लेकिन 37वें हफ्ते में मूवमेंट कम होने पर इसका पता लग सकता है। इसके अलावा लेबर के दौरान अगर शिशु का हार्ट अब्नॉर्मल मिला तो यह न्युकल कॉर्ड के फंसने का संकेत हो सकता है। इसके वजह से शिशु को श्वास संबंधी समस्या हो रही है कि नहीं इसका पता अल्ट्रासाउंड के माध्यम से ही पता लगाया जा सकता है।
वैसे तो न्युकल कॉर्ड के गले में लिपटकर फंसने का कोई इलाज तो नहीं है। बस डॉक्टर इस बात का लगातार पता लगाते रहते हैं कि न्युकल कॉर्ड का दबाव तो शिशु पर नहीं पड़ रहा है। अगर ऐसी संभावना बनती है तो सिजेरियन करने की नौबत आ जाती है।
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