16 Feb 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 387 Articles
‘3 इडियट्स’ मूवी के फरहान कुरैशी याद हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भारतीय सिनेमा के जाने-माने नायक आर. माधवन के बारे में। उन्होंने तो अपने कैरियर की शुरूआत ‘रहना है तेरे दिल में’ मूवी से की और एक के बाद एक दमदार किरदारों पर अपने अभिनय की छाप छोड़ते हुए आगे बढ़ते रहें।
आर. माधवन ने अपने अभिनय से अपनी अलग पहचान बनाई है लेकिन उस पहचान में और भी चाँद-सितारे जोड़े हैं उनके बेटे वेदांत ने बेंगलुरु में हुई 47वें जूनियर नेशनल एक्वाटिक चैंपियनशिप में 7 मेडल जीतकर। इस चैंपियनशिप में वेदांत ने चार सिल्वर मेडल और तीन ब्रोन्ज मेडल जीता है। आर माधवन के बेटे ने नेशनल एक्वाटिक चैंपियनशिप में जीते 7 मेडल और पिता को किया गर्वांनित।
‘रहना है तेरे दिल में’ के मैडी ने अपने जीवन को एक इंजिनियर से जिंदगी से बाहर निकालकर एक नया आयाम दिया है, ठीक उसी तरह उन्होंने पिता के रूप में भी बेटे के सपने को अपना सपना बनाकर एक नया मिसाल कायम किया है। ‘3 इडियट्स’ मूवी में यह बताने की कोशिश की गई थी कि बच्चा जो बनना चाहे उसको बनने दिया जाय। उस पर माता-पिता को अपनी इच्छा जबरन थोपनी नहीं चाहिए। ऐसा लगता है कि आर. माधवन ने भी अपने बेटे वेदांत के संदर्भ में इसी बात को फॉलो किया है।
‘रंग दे बसंती’ में फ्लाइट लेफ्टिनेंट अजय राठौर का किरदार निभाने वाले आर. माधवन ने अपने कैरियर में बहुत सारे ब्लॉक बस्टर फिल्में दी है। हिन्दी और तमिल फिल्मों में दमदार अभिनय से दर्शकों का भी दिल भी चुराया है और उनको रूलाया भी है।
नामचीन अभिनेता होने के साथ-साथ उन्होंने सरिता बिरजे के पति और वेदांत के पिता की भूमिका भी अपनी जिंदगी में अच्छी तरह से निभाई है। उन्होंने अपने बेटे के परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यहाँ तक कि बच्चों के पैरेंटिंग को लेकर भी उनकी विशेष टिप्पणियाँ अक्सर उनके इंटरव्यू में पढ़ने को मिलती है। एक इंटरव्यू बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए उन्होंने कहा था कि अपने बच्चों को अपने आस-पास के गरीब लोगों को मदद करने के लिए उनके तरफ छोटे कदम बढ़ाने की बात सिखानी चाहिए। जरूरतमंद बच्चों को खिलौना दान दें, बुजुर्गों को जरूरत के हिसाब से सहायता करने की कोशिश करना सिखाएं। यहाँ तक कि अगर घर में पेड़-पौधें हैं तो बच्चों को उनकी देखभाल करना सिखानी चाहिए। इन सब कामों की ओर बच्चों को प्रेरित करनी चाहिए।
इन सब बातों से आप समझ ही गए होंगे जिस पिता की सोच ऐसी है जाहिर है उसका बेटा एक अच्छा इंसान जरूर बनेगा। वेदांत ने भी इसी बात को अपने कीर्तियों से साबित किया है। वेदांत ने हाल ही में स्विमिंग में 7 नेशनल अवार्ड जीते हैं। हाल ही में बेंगलुरु में जो 47वें जूनियर नेशनल एक्वाटिक चैंपियनशिप हुआ था, उसमें वेदांत ने 7 मेडल जीता है। वेदांत ने इस चैंपियनशिप में चार सिल्वर मेडल और तीन ब्रोन्ज मेडल जीता है। रिपोर्ट के मुताबिक वेदांत ने 800 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग, 1500 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग, 4×100 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग और 4×200 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग रीले इवेंट में सिल्वर पदक जीता है। जबकि 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में उन्होंने ब्रोंज पदक जीता है।
आर.माधवन ने अपने बेटे की इस सफलता को रूकने नहीं दिया है। हाल में उन्होंने बेटे के भविष्य को बनाने के लिए ऐसा कदम उठाया है कि हर पिता को उन पर नाज होगा। बेटे को स्विमिंग की ट्रेनिंग दिलाने दुबई शिफ्ट हुए माधवन।
2026 में इंटरनेशनल टूर्नामेंट में वेदांत भाग लेना चाहते हैं और इसकी तैयारी के लिए उन्हें स्विमिंग पूल की जरूरत है। पर कोरोना के कारण भारत के बड़े स्विमिंग पूल बंद हैं। इसलिए वह अपने बेटे के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए पाँच महीने के लिए दुबई शिफ्ट हो गए हैं।
उन्होंने एक वेब पोर्टल में इंटरव्यू देते हुए कहा है कि बेटे का प्रोफेशन उनके अपने कैरियर से ज्यादा जरूरी है। उनके ट्वीटर हैंडल में यह कथन मिलता है-
आर. माधवन का यह अभिनव कदम हर माता-पिता के सामने एक मिसाल खड़ा कर दिया है। अपने बच्चे के लिए फैसला लेते हुए एक बार जरूर आर. माधवन की बात हर पिता के मन में आएगी।
चित्र सौजन्य: इंस्टाग्राम और ट्विटर
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.