16 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
प्रेग्नेंसी के दौरान न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक बदलाव भी होते हैं। इस वजह से गर्भवती का बदलता मानसिक मिजाज करीबी रिश्तों के लिए काफी बदलाव भरा माना जाता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान पति पत्नी का रिश्ता खास बना रहे, इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है। ऐसे नाजुक सफर में प्रेग्नेंट वाइफ के लिए आदर्श पति का किरदार सबसे अहम होता है, जिससे बच्चे और मां के साथ पिता का रिश्ता भी मजबूत बना रहता है। इस लेख में हम प्रेग्नेंसी में पति पत्नी को कैसे रहना चाहिए, इससे जुड़ी कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं।
स्क्रॉल करें और पढ़ें प्रेग्नेंसी में पति पत्नी को कैसे रहना चाहिए।
गर्भावस्था का सफर न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते में एक नया मोड़ माना जाता है। ऐसे में इस रिश्ते को खास और मजबूत बनाए रखने के लिए पत्नी के साथ ही पति की भी कुछ जिम्मेदारियां होती है। किस तरह पति अपनी इन जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकते हैं, इसके बारे में कुछ खास टिप्स यहां पढ़ें।
प्रेग्नेंट वाइफ के लिए आदर्श पति की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी पत्नी का खास ख्याल रखें। न सिर्फ शारीरिक तौर पर बल्कि, मानसिक तौर से भी पति को अपनी गर्भवती पत्नी का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान उनके खाने-पीने से लेकर, मूड स्विंग का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए और उनके मूड के अनुसार घर-परिवार के माहौल को बनाए रखने की भी पूरी कोशिश करनी चाहिए।
किसी भी रिश्ते में जिम्मेदारियों का बराबर होना जरूरी हो जाता है। ऐसे में जितना अपने बच्चे के लिए मां सतर्क रहती है, उतना ही एक पिता को भी गर्भ में पल रहे अपने बच्चे के प्रति फिकरमंद होना चाहिए। गर्भावस्था से जुड़ी किसी भी जिम्मेदारी को अकेले पत्नी के कंधों पर न डालें। ऐसा करने से गर्भवती मां खुद को अकेला महसूस कर सकती है। इसलिए, पति को भी अपनी पत्नी में गर्भावस्था के दौरान होने वाली हर छोटे से छोटे बदलाव के प्रति बेहद सजग रहना चाहिए और इस बारे में पत्नी से बात भी करनी चाहिए।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला शारीरिक बदलाव गर्भवती के मानसिक स्थिति को भी कई तरह से प्रभावित करता है। ऐसे में एक आदर्श पति को चाहिए कि वह पत्नी को सपोर्ट करें, ताकि गर्भधारण करने पर होने वाले शारीरिक बदलावों के परेशानियों और दर्द को सकारात्मक तौर पर सह सकें। साथ ही, प्रेग्नेंसी में होने वाले मूड स्विंग का उनकी भावनात्मक स्थिति पर कम से कम नकारात्मक प्रभाव पड़े।
4. बातों का दायरा बढ़ाएं
कहते हैं कि बात करने से हर बड़ी से बड़ी समस्या का हल मिल ही जाता है। इसी बात का फायदा प्रेग्नेंसी के दौरान पति पत्नी के रिश्ते में भी देखा जा सकता है। हर दिन कुछ समय निकालकर पति को अपनी गर्भवती पत्नी से बात करनी चाहिए। न सिर्फ उनके शारीरिक बदलावों व पीड़ा के बारे में बात करें, बल्कि किस बात पर उन्हें गुस्सा आता है या किस बात से उन्हें खुशी मिलती है, इस पर भी खुलकर बात करनी चाहिए।
5. भरपूर आराम दें
एक पत्नी के पास घर से जुड़े कई कामों व जिम्मेदारियों का भार होता है। वहीं, गर्भावस्था के दौरान इस तरह की जिम्मेदारियां और भी अधिक बढ़ सकती हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट वाइफ के लिए आदर्श पति बनने के लिए पति अपनी पत्नी के कामों का जिम्मा खुद से उठा सकते हैं, ताकि गर्भवती पत्नी न सिर्फ शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक तौर पर भी भरपूर आराम कर सके।
गर्भावस्था के दौरान अपनी पत्नी को इसका एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए व घरवालों के लिए कितना खास है। उन्हें यह बताएं कि एक मां बनने के बाद भी वह आपके लिए उतनी ही खास और सबसे चहेती रहेंगी, जितना की इससे पहले थीं। दरअसल, बच्चे की खबर सुनते ही अक्सर पति व घरवाले बच्चे के आने को लेकर ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं, वहीं इस दौरान मां के स्वास्थ्य के प्रति कुछ हद तक लापरवाह भी बन जाते हैं।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक संबंध यानी फिजिकल रिलेशन बनाना काफी असहज हो सकता है। साथ ही इस दौरान फिजिकल रिलेशन बनाने को लेकर दोनों के मन में कई तरह की दुविधा भी हो सकती है। ऐसे में दोनों आपसी सहमति व इच्छा के अनुसार इस बारे में डॉक्टर की उचित सलाह ले सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान सहजता के साथ किस तरह फिजिकल रिलेशन को बनाए रखें इस बारे में भी डॉक्टर की उचित सलाह ले सकते हैं।
पति-पत्नी के रिश्ते में अक्सर छोटी-मोटी तकरारें होती रहती हैं, लेकिन अगर पत्नी गर्भवती है, तो इसका ध्यान रखें। इस दौरान होने वाले मूड स्विंग के कारण छोटी-मोटी बात किसी बड़े मनमुटाव की वजह भी बन सकती है। ऐसे में पति को इसका ध्यान रखना चाहिए कि वह पत्नी से किसी तरह की बहस न करें। ताकि पत्नी के साथ ही आने वाले बच्चे के साथ भी वह अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रख सकें।
प्रेग्नेंसी के दौरान पति पत्नी का रिश्ता मजबूत बना रहे, इसके लिए पति को गर्भावस्था से जुड़ी हर तरह की जानकारी के बारे में खुद को अपडेट रखना चाहिए। अपडेट रहने से वे आसानी से पत्नी के भावनात्मक बदलाव व गर्भावस्था से जुड़े शारीरिक दर्द को समझ सकेंगे। वहीं, अगर पति बिना बताए ही अपनी गर्भवती पत्नी की स्थिति को समझ लेंगे, तो इससे उनका रिश्ता और भी मजबूत बन सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान कब-कब किस तरह के चेकअप कराए चाहिए या कौन -सी दवा कितनी मात्रा में व कब देनी चाहिए, इसके बारे में उचित जानकारी के लिए एक निश्चित अंतराल के बाद डॉक्टर के पास जरूर जाएं। गर्भावस्था में नियमित रूप से चेकअप कराने से न सिर्फ मां के स्वास्थ्य की, बल्कि गर्भ में पल रहे भ्रूण के स्वास्थ्य की भी पूरी निगरानी की जा सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान पत्नी के चिड़चिड़े मूड स्विंग को कम करने के लिए पति रोमांस का भी सहारा ले सकते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं कि फिजिकल रिलेशन ही बनाएं, बल्कि उनका अधिक ख्यास रख कर, उनकी हर छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करके, उनके लिए खास तरह के पकवान बनाकर भी रोमांस को जाहिर कर सकते हैं। साथ ही पत्नी के साथ क्वालिटी टाइम भी जरूर बिताएं।
प्रेग्नेंसी के दौरान पति पत्नी का रिश्ता संतुलित बना रहे यह आने वाले बच्चे के लिए भी काफी मायने रखता है। ऐसे में न सिर्फ पत्नी को बल्कि पति को भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी चाहिए कि वह हर तरह से अपनी गर्भवती पत्नी का ख्याल रखें। इस दौरान पति के तरफ से लिए गए अहम फैसले प्रेग्नेंसी में बच्चे और मां के साथ उनके रिश्ते को और भी मजबूत बना सकता है। उम्मीद है कि प्रेग्नेंट वाइफ के लिए आदर्श पति बनने के टिप्स से जुड़ा हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा।
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