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नवजात शिशु के लिए राई (सरसों) का तकिया, फायदे व बनाने का तरीका

नवजात शिशु के लिए राई (सरसों) का तकिया, फायदे व बनाने का तरीका

16 Feb 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

नवजात शिशु के लिए राई (सरसों) का तकिया, फायदे व बनाने का तरीका

जब घर में नवजात शिशु के जन्म लेते ही पूरा घर उसकी देखभाल में जुट जाता है। इस समय शिशु की नींद का खास ध्यान रखा जाता है। इसके लिए आरामदायक बिस्तर के साथ ही दादी-नानी राई के तकिया का उपयोग करने की भी सलाह देती हैं। जी हां, भारत में बहुत लोग अपने शिशु के लिए राई के तकिये का उपयोग करते हैं। नवजात के लिए राई का तकिया कितना फायदेमंद है और राई का तकिया बनाने का तरीका जानने के लिए आप इस लेख को पढ़ सकते हैं।

राई (सरसों) का तकिया क्या है?

राई का तकिया सरसों के बीज से बना हुआ होता है। अंग्रेजी में इसे मस्टर्ड पिलो कहा जाता है। यह सामान्य तकिये जैसा ही दिखता है। बस मस्टर्ड पिलो के अंदर रूई की जगह राई के दानों को भर दिया जाता है। उसके बाद इसे सिलकर एक कवर ऊपर से डाल दिया जाता है, ताकि राई के दाने बाहर न निकलें।

शिशुओं के लिए राई के तकिए का उपयोग क्यों जरूरी है?

नवजात का शरीर काफी कोमल होता है और शरीर के अंग नाजुक होते हैं। ठीक ऐसा ही शिशुओं की हड्डियां के साथ भी है। ये काफी ज्यादा नरम व लचीली होती हैं। ऐसे में अगर शिशु के सिर पर रोजाना सामान्य तकिये या बेड से पड़ने वाले दबाव से सिर का आकार असामान्य हो सकता है।

दरअसल, इस दबाव के कारण सिर की हड्डी की प्लेटों के बीच में खाली जगह बन जाती है, जिससे सिर का आकार चपटा या अजीब हो सकता है। यही नहीं, शिशु को सही से न सुलाया जाए, तो भी उसका सिर चपटा हो जाता है। इसे फ्लैट हेड सिंड्रोम या प्लेगियोसेफली (Plagiocephaly) भी कहा जाता है। ऐसे में राई के तकिए से सिर के बिगड़े आकार को ठीक करने में मदद मिल सकती है।

कब से कब तक शिशुओं के लिए राई का तकिया इस्तेमाल करना चाहिए?

लोकमान्यता के आधार पर राई के तकिया का उपयोग शिशु के जन्म के बाद से ही कर सकते हैं। शिशु के आठ से नौ महीने होने तक राई का तकिया इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस विषय पर सटीक वैज्ञानिक शोध की कमी है। यहां सारी जानकारी लोकमान्यता के आधार पर दी गई है।

शिशुओं के लिए राई के तकिया के 5 फायदे

जानकारों की मानें, तो शिशु के लिए राई के तकिया के फायदे अनेक तरह से हो सकते हैं। इन फायदे के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

सिर की सुरक्षा के लिए – राई के तकिये के फायदे में सबसे अहम शिशु के सिर की सुरक्षा को माना जाता है। यह तकिया बाजार में मिलने वाली अन्य तकिये के मुकाबले नवजात के लिए सुरक्षित होता है। इस तकिए को लगाने पर शिशु धीरे-धीरे सिर को हिला-डुला सकता है। इससे सिर मुड़ने या टेढ़े होने का जोखिम नहीं रहता।

गर्माहट बनाए रखने के लिए – शिशुओं को जल्दी ठंड लग जाती है। उन्हें ठंड से बचाए रखने में राई का तकिया मददगार हो सकता है। दरअसल, राई की तासीर गर्म होती है। इसकी तासीर के कारण यह प्राकृतिक रूप से गर्माहट पैदा करता है। यह गर्माहट शिशु के सिर के जरिए उसके पूरे शरीर को गर्म रखने का काम करती है। इसकी गर्माहट से शिशु को अच्छी नींद भी आ सकती है।

सिर को सही आकार देने के लिए – अगर शिशु के सिर का आकार असामान्य है, तो उसे सही आकार देने में राई का तकिया सहायक साबित हो सकता है। दरअसल, इस तकिए पर सिर रखकर सोने से सिर का हल्का-हल्का मूवमेंट होता है, जिससे धीरे-धीरे सिर का आकार ठीक हो सकता है।

दबाव को कम करने के लिए – सरसों का तकिया बनाने के लिए एक मुलायम फैब्रिक और राई के दाने इस्तेमाल होते हैं। बच्चा जैसे-जैसे हिलता है, उसी तरह से तकिये में मौजूद राई के दाने भी हिलते हैं। इसके चलते शिशु के सिर पर अनावश्यक दबाव नहीं बनता और उसके सिर को आरामदायक एहसास भी हो सकता है।

फ्लैट हेड सिंड्रोम से बचाव – राई के तकिये के फायदे में फ्लैट हेड सिंड्रोम से बचाव भी शामिल है। अक्सर शिशु सोते समय सिर को एक तरफ मोड़कर सोते हैं। इस समय उनकी हड्डियां मुलायम होती है, इसलिए ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में सोने से फ्लैट हेड सिंड्रोम (सपाट सिर) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। राई का तकिया का उपयोग करने से इस परेशानी से बचा जा सकता है।

 

शिशुओं के लिए घर में राई का तकिया बनाने की विधि

राई का तकिया हर कोई आसानी से बना सकता है। हम आगे क्रमबद्ध घर में राई का तकिया बनाने का तरीका बता रहे हैं।

  • राई के लगभग 500 ग्राम दानों को अच्छी तरह धोकर धूप में सुखा लें।
  • ध्यान रखें कि सरसों के दाने को नमी खत्म होने तक सुखाना है।
  • अब लगभग एक मीटर मुलायम मलमल के कपड़े को एंटीसेप्टिक लिक्विड और गर्म पानी डालकर एक-से-दो मिनट तक भीगने दें।
  • उसके बाद इसे अच्छे से धोकर धूप में सूखने के लिए छोड़ दें। ऐसा करने से इसके सारे फंगस और बैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे।
  • फिर शिशु के सिर के आकार के हिसाब से कपड़े को तकिए के लिए दो टुकड़ो में काटकर अलग कर लें।
  • अब कटे हुए कपड़ों को एक के ऊपर एक रख दें।
  • फिर दोनों टुकड़ों को एक साथ तीन तरफ से सील लें।
  • इससे तकिए का खोल बन जाएगा। अब खुले हुए एक हिस्से से राई के दानों को भर दें।
  • राई के दानों को न ज्यादा भरें और न ही एकदम कम।
  • जब सही मात्रा में राई के दाने डाल दें, तो कपड़े के आखिरी खुले हुए हिस्से की भी सिलाई कर दें।
  • तकिया गंदा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए बनकर तैयार तकिए के ऊपर एक मुलायम कवर लगा दें।

राई के तकिये का इस्तेमाल न्यू पेरेंट्स अपने बच्चे के लिए कर सकते हैं। इसे सालों से दादी-नानी नुस्खे के रूप में अपने नाती-पोते के लिए उपयोग करती हुई आ रही हैं। नए पेरेंट्स यह तकिया किसी बुजुर्ग की देखदेख में ही बच्चे के लिए इस्तेमाल करें। साथ ही राई (सरसों) के तकिये के विषय में एक बार डॉक्टर की भी सलाह लें। इसी तरह की अन्य जानकारियां हासिल करने के लिए पढ़ते रहें बेबीचक्रा वेबसाइट पर मौजूद अन्य आर्टिकल।

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