19 Feb 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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बच्चों को छोटी-छोटी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती रहती हैं। कभी पेट दर्द, तो कभी सिर दर्द। अक्सर माता-पिता इन बातों पर ध्यान नहीं देते और परेशानी बढ़ने लगती है। ऐसी ही एक समस्या अपेंडिक्स है। इसमें पेट दर्द होना और भूख न लगने जैसे कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए, अपेंडिसाइटिस क्या है और बच्चों में अपेंडिक्स के कारण, लक्षण को समझना जरूरी है। इसी वजह से आज इस लेख में हम बताएंगे कि बच्चों को अपेंडिसाइटिस होना कितना आम है और अपेंडिसाइटिस का उपचार कैसे होता है।
अपेंडिक्स पेट में मौजूद एक छोटी थैली होती है, जो बड़ी आंत (Large Intestine) से जुड़ी होती है। इस अपेंडिक्स में सूजन आने पर अपेंडिसाइटिस की समस्या उत्पन्न होती है। इस समस्या का समय रहते इलाज न कराया जाए, तो यह थैली फैट सकती है, जिससे पूरे पेट में संक्रमण फैल सकता है।
इस संबंध में प्रकाशित शोध की मानें, तो छोटे बच्चों में अपेंडिसाइटिस की समस्या कम होती है। लेकिन 10 से 19 साल के टीनेजर में अपेंडिसाइटिस का होना काफी आम हो गया है। अपेंडिक्स के मामले लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक नजर आते हैं।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस होने पर कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों को ध्यान में रखकर समस्या का समय पर समाधान किया जा सकता है। बच्चों में अपेंडिसाइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –
बच्चों में अपेंडिसाइटिस की समस्या होने का मुख्य कारण अपेंडिसियल ल्यूमेन (Lumen) यानी अपेंडिक्स के अंदरूनी भाग में रुकावट उत्पन्न होना। इस रुकावट के पीछे कई कारण हैं, जिन्हें अपेंडिसाइटिस का कारण भी माना जा सकता है।
पाचन तंत्र की समस्या – पाचन तंत्र के खराब होने या संक्रमित होने पर अपेंडिसाइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दरअसल, ऐसा होने पर अपेंडिक्स भी प्रभावित होता है।
इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज – इस समस्या को भी अपेंडिसाइटिस का कारण बताया जाता है। इसके कारण पाचन तंत्र के सभी भागों में सूजन आ जाती है, जिससे अपेंडिसाइटिस का जोखिम बढ़ सकता है।
ट्यूमर – यदि किसी बच्चे के पेट में ट्यूमर है, तो उन बच्चों को अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
ब्लॉकेज – अपेंडिक्स होने का एक कारण इसके छोर में किसी कारण से होने वाली ब्लॉकेज को भी माना जाता है।
अगर बच्चे में ऊपर बताए गए किसी प्रकार के भी लक्षण नजर आ रहे हैं, तो यह अपेंडिसाइटिस का संकेत हो सकता है। अपेंडिसाइटिस का निदान करवाना जरूरी है। इसके निदान के लिए डॉक्टर इन तरीकों को अपना सकते हैं।
शारीरिक परीक्षण – समस्या कोई भी हो उसका निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करता है। अपेंडिक्स के इस परीक्षण के लिए पेट के निचले भाग को विशेषज्ञ हल्का दबा सकते हैं। ऐसा करने पर अगर बच्चे को दर्द हो, तो यह अपेंडिसाइटिस का इशारा हो सकता है। इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर बच्चे में नजर आने वाले लक्षण, दर्द कब से शुरू हुआ और मल त्यागने से जुड़ी परेशानियों के बारे में पूछ सकते हैं।
ब्लड टेस्ट – अपेंडिसाइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर रक्त की जांच करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। इसके लिए बच्चे के खून का सैंपल लेकर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है, जिससे रक्त कोशिकाओं में हुए परिवर्तन का पता लगाकर समस्या का पता लगाया जाता है।
रेक्टल टेस्ट – कई बार अपेंडिसाइटिस का निदान करने के लिए रेक्टल परीक्षण की जरूरत भी पड़ जाती है। इस परीक्षण के समय मलाशय की जांच की जाती है, जिससे समस्या का पता चल सके।
इमेजिंग टेस्ट – अपेंडिसाइटिस का निदान इमेजिंग परीक्षण द्वारा भी किया जाता है। इस परीक्षण में पेट का अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन होता है, जिससे अपेंडिक्स में हुई सूजन का पता चल जाता है। हां, इस दौरान कुछ डॉक्टर बच्चों को सीटी स्कैन कराने से माना करते हैं।
बच्चों में अपेंडिक्स का निदान होने के बाद समस्या की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर अपेंडिसाइटिस का इलाज बता सकते हैं। ये इलाज की प्रक्रियाएं कुछ इस प्रकार हैं :
सर्जरी – बच्चों में अपेंडिसाइटिस की समस्या को ठीक करने के लिए सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। इसके लिए दो तरह की सर्जरी हो सकती है, जिनमें पहली लैप्रोस्कोपिक (Laparoscopic) सर्जरी है और दूसरी लैपरोटॉमी (Laparotomy) सर्जरी है।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान पेट के निचले वाले दाहिने भाग में कुछ छोटे-छोटे चीरे लगाकर प्रभावित अपेंडिसाइटिस को निकाला जाता है। इसकी रिकवरी में 10 से 12 दिन लग सकते हैं।
लैपरोटॉमी सर्जरी में डॉक्टर पेट के निचले वाले दाहिने भाग में एक बड़ा चीरा लगाकर अपेंडिसाइटिस को निकालते हैं। इस सर्जरी को डॉक्टर अपेंडिसाइटिस की गंभीर स्थिति में अपनाते हैं, जिसकी रिकवरी में भी काफी समय लग जाता है।
दवाइयां- अपेंडिसाइटिस की कुछ स्थितियों में डॉक्टर दवाई लेने की सलाह भी देते हैं। यदि पेट में फोड़ा हो गया है, तो उसे ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दवाई दी जाती है। इसके ठीक होने के 6 से 10 सप्ताह बाद भी राहत नहीं मिलती है, तो अपेंडिसाइटिस हटाने के लिए सर्जरी का सुझाव दिया जा सकता है।
अपेंडिसाइटिस एक गंभीर समस्या है, जो बच्चों के जीवन को प्रभावित कर सकती है। अगर किसी के बच्चे को इसके किसी भी तरह के लक्षण दिखाई दें, तो बिना समय व्यर्थ किए डॉक्टर की मदद लें। साथ ही डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाई और देखभाल की प्रक्रिया को अपनाएं। खुद से किसी तरह की दवाई और घरेलू उपचार करने से बचें। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
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