22 Feb 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 260 Articles
बच्चे का लालन-पालन करते समय माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को काफी सतर्क रहना पड़ता है। एक छोटी-सी अनदेखी भी बच्चे पर भारी पड़ सकती है। सतर्क रहने पर बच्चे को होने वाली सभी तरह की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जिनमें से एक हियरिंग लॉस भी है। इस परेशानी में दिखाने वाले लक्षण को पहचानने के लिए बच्चे और उसकी गतिविधियों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि कैसे पता करें बच्चे को कम सुनाई देता है या नहीं, तो यह लेख पढ़ें।
बच्चों को कम सुनाई देना काफी आम है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की वेबसाइट में मौजूद जानकारी के आधार पर बताएं, तो भारत में हर हजार बच्चे में से चार बच्चे को कम सुनाई देने की समस्या होती है। अन्य आंकड़े नीचे बिंदुओं के माध्यम से समझें –
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, कम सुनाई देने के कारण समझना और उनका पता लगाना आसान नहीं होता। लेकिन इन्हें हेयरिंग लॉस का कारण माना जा सकता है।
हियरिंग लॉस का पता कुछ आसान तरीकों से भी लगाया जा सकता है। इसे घर में ही नीचे बताए गए तरीकों से पेरेंट्स समझ सकते हैं।
सुनने की क्षमता कम होने का इलाज डॉक्टर बच्चे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए करते हैं। कान विशेषज्ञ द्वारा सुझाए जाने वाले कुछ आम उपचार इस प्रकार हैं –
डिवाइस – बच्चे को कम सुनाई देने की समस्या के लिए विशेषज्ञ हियरिंग एड्स व डिवाइस के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं। इस सुनने वाली मशीन में एक यंत्र लगा होता है, जिससे कान के सुनने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। मतलब कान तक आने वाली आवाज को मशीन की मदद से तेज किया जाता है।
सर्जरी – चाइल्ड हियरिंग प्रॉब्लेम से निपटने का एक तरीका सर्जरी भी है। ऐसा कान के अंदर होने वाली समस्या में करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कान के अंदर की छोटी-छोटी हड्डियों यानी इयर ड्रम की दिक्कत को सर्जरी के माध्यम से दूर करके सुनने में होने वाली कमी को दूर किया जाता है।
दवाइयां – अगर किसी तरह के संक्रमण की वजह से बच्चे के सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है, तो संक्रमण दूर करने वाली दवाइयां मददगार साबित हो सकती हैं। ये दवाइयां हमेशा विशेषज्ञ की सलाह पर उनके कहे अनुसार ही लेनी चाहिए।
कॉकलीयर (Cochlear) इम्पलांट – कान सुनने की क्षमता कम होने पर डॉक्टर कॉकलीयर इम्पलांट की लगाने की राय दे सकते हैं। यह एक तरह की सुनने वाली मशीन होती है, जिसको डॉक्टर सर्जरी के जरिए कान में लगा देते हैं। ऐसा करने से आवाज को सीधे सुनने वाली (हियरिंग) नर्व तक पहुंची है। मगर इस उपचार की सलाह गंभीर स्थिति में ही दी जाती है।
बच्चे में कम सुनाई देने के कोई भी लक्षण नजर आएं, तो उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से हो सकता है कि वक्त के साथ समस्या और भी गंभीर होती जाए। इसी वजह से वक्त रहते ऐसी नाजुक परेशानियों को लेकर सही कदम उठाना जरूरी है। बच्चे की प्रतिक्रिया न करने की बात डॉक्टर को बताएं और उनके द्वारा सुझाए गए उपचार को अपनाएं। कम सुनाई देने की परेशानी से बचाने के लिए बच्चे को तेज आवाज, बैक्टीरिया, शोर-शराबे और कान में चोट लगने से बचाएं।