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कैसे पता करें बच्चे को कम सुनाई देता है : कारण, लक्षण व इलाज

कैसे पता करें बच्चे को कम सुनाई देता है : कारण, लक्षण व इलाज

22 Feb 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

बच्चे का लालन-पालन करते समय माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को काफी सतर्क रहना पड़ता है। एक छोटी-सी अनदेखी भी बच्चे पर भारी पड़ सकती है। सतर्क रहने पर बच्चे को होने वाली सभी तरह की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जिनमें से एक हियरिंग लॉस भी है। इस परेशानी में दिखाने वाले लक्षण को पहचानने के लिए बच्चे और उसकी गतिविधियों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि कैसे पता करें बच्चे को कम सुनाई देता है या नहीं, तो यह लेख पढ़ें।

बच्चों को कम सुनाई देना कितना आम है?

बच्चों को कम सुनाई देना काफी आम है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की वेबसाइट में मौजूद जानकारी के आधार पर बताएं, तो भारत में हर हजार बच्चे में से चार बच्चे को कम सुनाई देने की समस्या होती है। अन्य आंकड़े नीचे बिंदुओं के माध्यम से समझें –

  • डब्लूएचओ की मानें, तो 15 साल से ऊपर के बच्चों में हेयरिंग लॉस के 60 प्रतिशत मामलों से बचाव किया जा सकता है।
  • हर साल भारत में दस लाख बच्चे हेयरिंग लॉस की शिकायत के साथ जन्म लेते हैं।
  • विश्वभर की 5 प्रतिशत आबादी करीब 467 मिलियन लोगों की सुनने की क्षमता कम होती है। इसमें से चाइल्ड हेयरिंग प्रॉब्लम 34 मिलियन को होती है।
  • गांवों में कम सुनने की परेशानी शहरों के मुकाबले ज्यादा होती है।
  • चाइल्ड हेयरिंग प्रॉब्लम नवजात शिशु से चार साल की उम्र तक के बच्चों में अधिक पाई जाती है।
  • कम सुनाई देने की परेशानी होने की वजह से बच्चों का बोलना और नई चीजें सीखना भी प्रभावित होता है।

बच्चों में कम सुनाई देने के कारण

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, कम सुनाई देने के कारण समझना और उनका पता लगाना आसान नहीं होता। लेकिन इन्हें हेयरिंग लॉस का कारण माना जा सकता है।

  • परिवार में किसी को ये परेशानी हो, तो बच्चों को भी यह समस्या हो सकती है। करीब 40 प्रतिशत बच्चों में आनुवंशिकता के कारण हियरिंग लॉस की शिकायत होती है।
  • गर्भावस्था के समय महिला को रूबेला होना, बच्चे में जन्मजात हेयरिंग लॉस की शिकायत का एक कारण माना जाता है।
  • बचपन से दिमाग में सूजन होना (मेनिनजाइटिस), गले में सूजन होना (मम्प्स) और खसरा जैसे संक्रमण भी कम सुनाई देने के कारण बनते हैं।
  • बच्चे के कान में संक्रमण होने से भी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • बच्चे में जन्मजात विकृतियां, कम वजन, पीलिया, ऑक्सीजन की कम मात्रा, नर्व से जुड़ी परेशानियां भी सुनने की क्षमता घटाती हैं।
  • तेज आवाज का बच्चे के कान पर पड़ना और बच्चे को कान से संबंधित कोई बीमारी होना भी कम सुनने के कारण हैं।

hearing loss in kids

कैसे पता करें बच्चे को कम सुनाई देता है | बच्चों में कम सुनाई देने के लक्षण

हियरिंग लॉस का पता कुछ आसान तरीकों से भी लगाया जा सकता है। इसे घर में ही नीचे बताए गए तरीकों से पेरेंट्स समझ सकते हैं।

जन्म से 4 महीने तक के बच्चे में हेयरिंग लॉस के लक्षण / कम सुनने की क्षमता का पता करने का तरीका :

  • बच्चे का जोर की आवाज होने पर भी प्रतिक्रिया न करना
  • किसी तरह की आवाज पर कोई प्रतिक्रिया न देना
  • शिशु का नींद में कोई तेज आवाज सुनकर न चौंकना
  • घर के परिवार के सदस्यों की ताली और अजीब-सी आवाज पर कोई रिएक्शन नहीं देना

4 से 9 महीने तक के बच्चे में हेयरिंग लॉस के लक्षण / कम सुनने की क्षमता का पता करने का तरीका :

  • शिशु का सामने वाले की बातों पर स्माइल न करना व अन्य प्रतिक्रिया न देना
  • खिलौने की आवाज पर भी प्रतिक्रिया न देना

9 से 15 महीने के बच्चे में हेयरिंग लॉस के लक्षण / कम सुनने की क्षमता का पता करने का तरीका :

  • शिशु का नाम लेने पर किसी तरह का कोई रिएक्शन न करना
  • बच्चे का बातों को न दोहराना
  • सही तरीके से शिशु का न बोल पाना

15 से 24 महीने के बच्चे में हेयरिंग लॉस के लक्षण / कम सुनने की क्षमता का पता करने का तरीका :

  • बच्चे का ज्यादा तेज बोलना
  • टीवी और दूसरे वीडियो तेज आवाज में देखना
  • बातों व निर्देशों को ठीक तरीके से न समझ पाना

बच्चों को कम सुनाई देने का इलाज

सुनने की क्षमता कम होने का इलाज डॉक्टर बच्चे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए करते हैं। कान विशेषज्ञ द्वारा सुझाए जाने वाले कुछ आम उपचार इस प्रकार हैं –

डिवाइस – बच्चे को कम सुनाई देने की समस्या के लिए विशेषज्ञ हियरिंग एड्स व डिवाइस के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं। इस सुनने वाली मशीन में एक यंत्र लगा होता है, जिससे कान के सुनने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। मतलब कान तक आने वाली आवाज को मशीन की मदद से तेज किया जाता है।

hearing aid for kids

सर्जरी – चाइल्ड हियरिंग प्रॉब्लेम से निपटने का एक तरीका सर्जरी भी है। ऐसा कान के अंदर होने वाली समस्या में करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कान के अंदर की छोटी-छोटी हड्डियों यानी इयर ड्रम की दिक्कत को सर्जरी के माध्यम से दूर करके सुनने में होने वाली कमी को दूर किया जाता है।

दवाइयां – अगर किसी तरह के संक्रमण की वजह से बच्चे के सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है, तो संक्रमण दूर करने वाली दवाइयां मददगार साबित हो सकती हैं। ये दवाइयां हमेशा विशेषज्ञ की सलाह पर उनके कहे अनुसार ही लेनी चाहिए।

कॉकलीयर (Cochlear) इम्पलांट – कान सुनने की क्षमता कम होने पर डॉक्टर कॉकलीयर इम्पलांट की लगाने की राय दे सकते हैं। यह एक तरह की सुनने वाली मशीन होती है, जिसको डॉक्टर सर्जरी के जरिए कान में लगा देते हैं। ऐसा करने से आवाज को सीधे सुनने वाली (हियरिंग) नर्व तक पहुंची है। मगर इस उपचार की सलाह गंभीर स्थिति में ही दी जाती है।

बच्चे में कम सुनाई देने के कोई भी लक्षण नजर आएं, तो उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से हो सकता है कि वक्त के साथ समस्या और भी गंभीर होती जाए। इसी वजह से वक्त रहते ऐसी नाजुक परेशानियों को लेकर सही कदम उठाना जरूरी है। बच्चे की प्रतिक्रिया न करने की बात डॉक्टर को बताएं और उनके द्वारा सुझाए गए उपचार को अपनाएं। कम सुनाई देने की परेशानी से बचाने के लिए बच्चे को तेज आवाज, बैक्टीरिया, शोर-शराबे और कान में चोट लगने से बचाएं।

#babyhealth

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