21 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 279 Articles
माँ के गर्भ में नवजात की गर्भनाल की क्या अहमियत है, इससे अधिकतर पेरेंट्स वाकिफ होंगे। पर क्या आपको पता है कि जन्म के बाद शिशु की गर्भनाल को कैसे काटा जाता है या बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड की देखभाल कैसे की जाती है? इसी से जुड़ी रोचक और अहम बातें समझने के लिए यह लेख पढ़ें। यहां शिशु के गर्भनाल की देखभाल के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो उसे संक्रमण से बचाए रखने में मदद करेंगे।
नवजात की गर्भनाल या अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical Cord) महिला के शरीर का एक अहम हिस्सा होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान माँ के गर्भ में शिशु की नाभि से जुड़ा होता है। गर्भ में इसी नाल के जरिए के माँ का शरीर शिशु को ऑक्सीजन व रक्त से लेकर जरूरी पोषण भी प्रदान करता है। एक तरह से देखा जाए, तो माँ के गर्भ में शिशु को जिंदा व स्वस्थ रखने में गर्भनाल सबसे अहम हो सकता है।
माँ के गर्भ में शिशु की गर्भनाल औसतन 50 सेमी यानी 20 इंच तक लंबी हो सकती है। नवजात की गर्भनाल कैसे बनती है, इससे जुड़ी रोचक जानकारी नीचे बताई गई है।
आमतौर पर शिशु के जन्म के तुरंत बाद बच्चे की गर्भनाल को काट दिया जाता है। वहीं, इस पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का कहना है कि आमतौर पर शिशु के जन्म के बाद जब बच्चे को माँ की प्लेसेंटा से अलग करना होता है, तो इस दौरान अंबिकल कॉर्ड को बीच में से बांधा जाता है। इसके बाद उसे काट दिया जाता है।
कॉर्ड क्लैंम्पिंग या गर्भनाल को बांधने और काटने की पूरी प्रक्रिया में लगभग 60 सेकेंड का समय लग सकता है। वहीं, अगर कॉर्ड क्लैंम्पिंग की यह प्रक्रिया 60 सेकंड से पहले पूरी हो जाती है, तो इसे अर्ली कॉर्ड क्लैंम्पिंग कहा जाता है। वहीं, कई बार कॉर्ड क्लैंम्पिंग की प्रक्रिया में 60 सेकंड से अधिक का भी समय लग सकता है। ऐसे में इसे डिलेड कॉर्ड क्लैंम्पिंग कहा जाता है।
नीचे पढ़ें बच्चे की गर्भनाल कैसे काटते हैं, इसकी पूरी प्रक्रिया।
नहीं, बच्चे की गर्भनाल को काटते समय दर्द होने की संभावना बहुत ही कम हो सकती है। दरअसल, नवजात की गर्भनाल में कोई नर्व यानी तंत्रिका नहीं होती है। एक बात का ध्यान रखें कि नवजात की गर्भनाल को डॉक्टर या नर्स को ही काटने दें। अगर घर पर ही शिशु का प्रसव का हो रहा है, तो शिशु की गर्भनाल को काटने के लिए दाई या पेशेवर की मदद लें।
नोट: पेशेवर की निगरानी में ही बच्चे की गर्भनाल को काटें। इसे स्वयं से काटने का प्रयास न करें। यह संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकता है।
यहां पर आप शिशु के ठूंठ की देखभाल करने के लिए सुझाव की जानकारी पढ़ेंगे। ये सुझाव शिशु के गर्भनाल में होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें कि अगर शिशु की नाल काटने के बाद ठूंठ की देखभाल न कि जाए, तो यह बच्चे की नाभि में इन्फेक्शन के लक्षण का कारण बन सकता है।
बच्चे की नाल का क्या करे, यह पारंपरिक रूप से अलग-अलग क्षेत्रों में अलग नियमों से जुड़ा हो सकता है। आमतौर पर लोग बच्चे की नाल के सूखकर गिरने के बाद उसे किसी कपड़े में लपेटकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख देते हैं या उसे कहीं जमीन के अंदर दबा देते हैं।
वहीं, अब लोगों के बीच बच्चे की नाल को सहेजकर रखने की आदत पनपने लगी है। दरअसल, बच्चे की नाल से बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर उसके पेरेंट्स से जुड़ी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने में मदद मिल सकती है।
अगर आप भी अपने नवजात की गर्भनाल को सहेजकर रखना चाहती हैं, तो इसके लिए पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकती हैं या मेडिकल तकनीकी का सहारा लेकर शिशु की गर्भनाल को सहेजकर रख भी सकती हैं। साथ ही, इस लेख में बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड की देखभाल से जुड़ी बातों का ध्यान भी जरूर रखें। ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए बने रहें हमारे साथ।