20 Apr 2022 | 0 min Read
Tinystep
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शिशु के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है आहार ग्रहण करना व खुद के ह्रदय का विकास करना। शिशु के स्वस्थ्य फेफड़ों के लिए उसका पर्याप्त रोना ज़रूरी होता है। चलिए इस पोस्ट में हम आपको उन अमूल्य पलों के बारे में कुछ वैज्ञानिक जानकारी देंगे।
शिशु जन्म के बाद सर्वप्रथम क्या करता है?
शिशु के जन्म के बाद उसका प्राकृतिक रोना अनिवार्य होता है। यह जन्म के 30 सेकण्ड्स से लेकर एक मिनट तक शुरू हो जाना चाहिए। शिशु अगर खुद से सांस न ले पाए तो उसे चुटकी मारकर या फिर हलकी थपथपाहट से रुलाने की कोशिश की जाती है। हम आपको पता हो शायद की पहले ज़माने में डॉक्टर छोटे शिशु को उसके पैरों द्वारा पकड़ते थे और थपथपाते थे ताकि वह साँस ले सके। अगर इन माध्यमों से वह न रोये तो उसे अप्राकृतिक माथ्यमों जैसे ब्रीथिंग ट्यूब या मशीन द्वारा साँस लेने में सहायता दी जाती है।
शिशु के जन्म के पहले 24 घंटों में वह कैसे साँस लेता है?
शिशु के रोने के रूप में वह सांस लेता है।
शिशु के जन्म के पहले 24 घंटों में रोने का महत्त्व?
इस प्रकार शिशु का विंड पाइप यानी सांस लेने की नली साफ़ होती है। उसमें फंसा कुछ भी बाहर आता है। ईश्वर ने इंसान की रचना कुछ इस प्रकार की है कि हर चीज़ की एक मकसद होता है।
साँस लेने से जुड़ी अन्य बातें
डॉक्टर्स शिशु के बदन पर लगा कुछ भी अनचाहा तरल पदार्थ जैसे रक्त इत्यादि साफ़ कर देंगे ताकि उसके बदन का तापमान गर्भ में जैसा था वैसा ही बना रहे। इस प्रकार उसका शरीर का तापमान अचानक से नहीं गिरता। शिशु जन्म के बाद वह अपनी नाज़ुक उँगलियों से माँ को कोमल स्पर्श देगा। वह माँ को पकड़ने की कोशिश करेगा।
साँस लेने के साथ अन्य गतिविधि
शिशु अपनी माँ के स्तन तक जाने की कोशिश अनजाने ही करेगा। इस प्रकार वह साँस लेने के साथ ही अपना पोषण माँ के दूध(कोलोस्ट्रम) के रूप में ग्रहण करेगा। आपको अगर किसी भी बात की शंका हो तो आप उसे नवजात शिशु विशेषज्ञ को दिखाएं।
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