13 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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अधिकांश तौर पर बच्चे को सोने की ट्रेनिंग देना नये माँ-बाप के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है। हालाँकि, गलतियाँ करने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि बच्चे की परवरिश में प्रयत्न और गलती करना काफी आम बात है। दूसरों की ग़लतियों से सिखना हमेशा ही अच्छा होता है, ताकि आप खुद उन गलतियों को करने से बच सकें।
यहाँ 7 बातें बताई गई हैं जिन्हें बच्चे को सोने की ट्रेनिंग देते वक़्त नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए।
अगर आप अपने बच्चे को हर रोज किसी निश्चित वक़्त पर सुलाती हैं, तो उस वक़्त उसे खुद-ब-खुद उस समय नींद आने लगेगी। अपने बच्चे के लिए उस शेड्यूल को बनाए रखना आवश्यक है। यह ना सिर्फ बच्चे को सोने की ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा बल्कि आपके बच्चे को आजीवन नियमित वक़्त पर सोने की आदत भी डालने में मदद करेगा।
गति प्राकृतिक तरीके से सुलाने में सहायक होती है, और इसी वजह से हमें कार या हवाई जहाज से सफर करते वक़्त नींद आती है। पर, यह गहरी और अच्छी नींद नहीं होती जो आपके बच्चे को चाहिए। अगर आप हर वक़्त सुलाने के लिए गति का उपयोग करेंगी तो अपने बाकी के जीवन में उनकी नींद हल्की और अपूर्ण ही रहेगी। अगर आपका बच्चा सोते वक़्त काफी परेशान करता है तो उन्हें नींद दिलाने के लिए गति का प्रयोग करें पर सबसे बेहतरीन तरीका है कि उन्हें तब सुलाएँ जब वह बिस्तर या झूले में सीधा लेटा हो।
महीने में एक-दो बार देर से सोने जाना आपके बच्चे के लिए सही हो सकता है पर अगर वो इसे अपनी आदत बना लेते हैं, तो काफी हद तक मुमकिन है कि अपनी बाकी की जिंदगी में भी देर से सोने की आदत ही अपना लें। यह ना सिर्फ उनके थकान का कारण बनेगा, बल्कि उन्हें आलसी भी बना देगा। अगली सुबह तरोताजा महसूस करने के लिए कम से कम 10 घंटे की नींद आवश्यक है।
अगर आपके बच्चे के आस-पास के वातावरण में काफी चहल-पहल होगी तो उनके लिए सो पाना मुश्किल हो सकता है। म्यूजिकल खिलौने, ब्लिंकिंग लाइट्स या घूमने वाले खिलौने आपके बच्चे के ध्यान को नींद से भटका सकते हैं और उनका मन खेलने का कर सकता है।
ऐसा माना जाता है कि बच्चों को अंधेरे से डर लगता है और उन्हें सोने के लिए नाइटलाइट्स या किसी दूसरी रोशनी की जरूरत होती है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि बच्चे के सोने के लिए ठंडा और अंधेरा कमरा सबसे बेहतरीन वातावरण है। अंधेरे में सोने के डर को थोड़ा समझा बुझा कर कम किया जा सकता है और फिर उनके कमरे में अंधेरा होने से वो जल्दी सो जाएँगे।
आम तौर पर, अपनी बात पूरी करवाने के लिए बच्चे रोते हैं और माँ-बाप के सामने काफी नखरें भी करते हैं। अगर आप उनके रोने को नज़रअंदाज़ कर उन्हें सुलाने की कोशिश करती हैं तो आप उन्हें सोने की ट्रेनिंग देने में ज्यादा सफल रहेंगी। यह आपको उनके उन नखरें को पूरा करने से भी बचाएगा, जिन्हें मानने से वो जिद्दी बन सकते हैं।
हालाँकि यह काफी मासूम प्रतीत होता है और है भी, पर निरंतर जाँच करते रहने से आपके बच्चे की नींद टूट सकती है जिसके वजह से उनकी नींद अधूरी रह जाती है और अगर यह आपकी आदत है तो अधूरी नींद आपके बच्चे की आदत बन सकती है। इसके वजह से आपका बच्चा काफी थका हुआ महसूस करेगा और उनमें दिन भर सुस्ती सी रहेगी, हालाँकि चेक करना बुरी बात भी नहीं है, पर ऐसा शांति से और धीरे से जाकर करें।
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