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बच्‍चे को खर्राटे आने लगें, तो आजमाएं ये तरीके

बच्‍चे को खर्राटे आने लगें, तो आजमाएं ये तरीके

25 Apr 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

बड़ों की तरह ही जब बच्चों का खर्राटे लेना शुरू हो जाए, तो माता-पिता को चिंता होने लगती है। उनके मन में होता है कि बच्चे खर्राटे क्यों लेते हैं, क्या बच्चों का खर्राटे लेना सामान्य है। इसी उधेड़बुन में वो रहते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो यहां बच्चों के खर्राटे लेने की वजह समझें और खर्राटे रोकने के घरेलू उपाय जानें।

बच्चों का खर्राटे लेना कितना सामान्य है? 

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च की मानें, तो बच्चों को खर्राटे आना आम समस्या है। हां, अगर बच्चा हफ्ते में तीन से चार रात खर्राटे लेता है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। दरअसल, लगभग 27 प्रतिशत स्वस्थ बच्चे खर्राटे लेते हैं। लेकिन स्लीप डिसऑर्डर और ब्रीदिंग की समस्या से जूझ रहे लगभग 70 प्रतिशत बच्चे सोते समय खर्राटे लेते हैं।

बच्चों के खर्राटे लेने के कारण

चाहे खर्राटे बच्चे लें या बड़े लें, इसकी मुख्य वजह होती है वायु मार्ग में रुकावट होना। इस रुकावट के चलते ठीक से सांस नहीं आती और गले के ऊतकों में कंपन (Vibration) होने लगता है। यही कंपन खर्राटे की तरह सुनाई देते हैं। यह रुकावट कई कारणों से छोटे बच्चों को हो सकती है, जिसके चलते वो खर्राटे लेते हैं। आइए, आगे इन्हें जानते हैं।

  • बच्चे को टॉन्सिल होने पर वो खर्राटे ले सकते हैं। दरअसल, टॉन्सिल के कारण वायु मार्ग में रुकावट होने लगती है, जिससे बच्चे खर्राटे लेते हैं। 
  • बढ़ता वजन भी बच्चों के खर्राटे की वजह बन सकता है। मोटापे के कारण वायु मार्ग छोटा होने लगता है, जिसके चलते खर्राटे आते हैं।
  • नाक भरी होने के कारण भी सांस लेने में दिक्कत और वायु मार्ग में रुकावट हो सकती है, जिसके कारण खर्राटे आ सकते हैं।
  • स्लीप एपनिया के चलते भी बच्चे को खर्राटे आ सकते हैं।
बच्चों के खर्राटे रोकने के उपाय
पिता के साथ सोती बेटी / स्रोत – पिक्सेल्स

बच्चों के खर्राटे रोकने के उपाय?

बच्चों के खर्राटे रोकने के उपाय आसान हैं। नीचे बताए गए तरीकों को अपनाकर आप बच्चे को खर्राटे लेने से बचा सकते हैं। इनके बाद भी अगर बच्चा खर्राटे ले, तो स्नोरिंग ट्रीटमेंट (Snoring Treatment in Hindi) के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

  1. बच्चे की नाक की सफाई का ध्यान रखें –  जब सही से सांस नहीं आती है, तो भी बच्चे खर्राटे लेते हैं। इसी वजह से बच्चे की नाक में जमी गंदगी को समय-समय पर साफ करते रहें।
  2. बच्चे को पीठ के बल न सुलाएं – पीठ के बल सोने से भी खर्राटे लेने की आशंका बढ़ जाती है। इसी वजह से बच्चे को किसी एक करवट में सुलाएं। साथ ही उसके सिर के नीचे मोटे-मोटे तकिए लगाने से भी बचें।
  3. नमी पर दें ध्यान – बच्चा जिस कमरे में सो रहा है, उस कमरे में नमी बनाए रखें। जब नाक शुष्क हो जाती है, तो भी बच्चे को खर्राटे आ सकते हैं। इसे खर्राटे रोकने के घरेलू उपाय के रूप में जाना जाता है।
  4. ठंड से बचाएं – हम लेख में ऊपर भी बता चुके हैं कि बच्चे में टॉन्सिल बढ़ने से खर्राटे लेने की दिक्कत हो सकती है। टॉन्सिल की एक वजह ठंड भी है, तो बच्चे को ठंड से बचाए रखें। साथ ही बैक्टीरिया के संपर्क में आने से बचाने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान दें।
  1. वजन नियंत्रण – खर्राटे की एक प्रमुख वजह मोटापा है। अगर बच्चे का वजन उसकी उम्र और हाइट के हिसाब से ज्यादा हो गए है, तो उसे नियंत्रित करें। यह भी खर्राटे रोकने के घरेलू उपाय में शामिल है।

डॉक्टर से कब संपर्क करें

यूं तो बच्चों को खर्राटे आना आम है, लेकिन कब ये परेशानी बन जाए पता नहीं। इसी वजह से नीचे हम उन लक्षणों का जिक्र कर रहे हैं, जो बच्चों में नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए

  • बच्चे को सांस लेने में परेशानी होना
  • रात में ठीक से नींद न आना और दिन में ज्यादा सोना
  • सोते वक्त सामान्य से ज्यादा पसीना निकलना
  • रात में डर लगना (Night Terror) या सोते समय चलना
  • अन्य दिनों के मुकाबले खर्राटे की आवाज बहुत तेज होना
  • हफ्तों तक लगातार खर्राटे लेना 

बच्चों का खर्राटे लेना कितना आम है, यह तो आप समझ ही गए होंगे। खर्राटे रोकने के उपाय (Snoring Treatment in Hindi) की मदद से बच्चों के खर्राटे को कम किया जा सकता है। अगर बच्चे को रात में नींद नहीं आ रही है या अधिक पसीना आ रहा है, तो डॉक्टर से खर्राटे के इलाज (Treatment of Snoring in Hindi) के बारे में पूछ सकते हैं।

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