20 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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1. बच्चे पर ध्यान दें और उनकी पसंद नापसंद का अच्छी तरह ख्याल रखें
बच्चों को प्यार से चुना उनमें अच्छी भावना जागरूक करता है और तनाव को दूर रखने में मदद करता है| प्यार भरा स्पर्श बच्चों के दिमाग में कई तनाव-बूस्टर्स केमिकल पैदा करते हैं ख़ास कर ऑक्सीटोसिन(लव हॉर्मोन) और एन्डोजीनियस ओपीओडस(प्राकृतिक पेनकिलर)| इन सब का बच्चे पर शांतिदायक असर होता है और इससे उनमें तनाव पैदा करने वाले केमिकल नहीं पनप पाते| लेकिन एक बात का और ध्यान रखें- छूना कभी कभी चिड़चिड़ा, डरावना और हद्द से ज़्यादा प्यार भरा भी हो सकता है जिसका बच्चे पर उल्टा असर भी पड सकता है| जैसे की कुछ बच्चों को हल्का सहलाना नहीं पसंद होता है बल्कि उन्हें अच्छे से छुआ जाना पसंद आता है, कई बच्चों को गैर लोगों के छूने से भी परेशानी होती है और उन्हें अपनों के बीच रहना पसंद होता है| कभी कभी बच्चों को प्यार नहीं चाहिए होता है और उन्हें अकेला रहना पसंद होता है तो इस समय हमें उनकी इच्छा का पालन करना चाहिए|
2. बच्चे की तरह सोचें
ये सोचना बहुत कठिन है की कब आपने अपने आपको लाचार, आलोचनिय, निर्भर और बिना किसी भाषा के दूसरे से संवाद करते पाया था| लेकिन जितना आप अपने बच्चे के स्वरुप से देखेंगे उतना ही बेहतर आप उनके तनाव दूर कर पाएंगे| जैसे की क्या आप अपने बच्चे के कपडे उसके नहानी की तैयारी करने से पहले उतार देते हैं या तैयारी करने का बाद? ध्यान रखें की अगर आप उसके कपडे उतार कर उसके नहाने की तैयारी करते हैं तो ये गलत है, बच्चे के कपडे पहले से ही उतारने की वजह से बच्चे को ठण्ड लगती है और इसी कारन नहाते समय वो रोता है और अपने माता-पिता के लिए उसे नहाना मुश्किल कर देता है| इस वजह को माँ-बाप समझ नहीं पाते और वो अपने बच्चे को नहाना जारी रखते हैं, इस तरह वो बच्चे को काबू में रखते हैं जिससे बच्चे में तनाव बढ़ जाता है| हमें बच्चे की मनोदशा को समझना चाहिए और उस हिसाब से अपने तरीकों को बदलने का प्रयास करना चाहिए|
3. अपने बच्चे के समझने की क्षमता को कम ना समझें
जब आप उदास या विचलित रहती हैं तो आपको लगता है की आपका बच्चा इसपर ध्यान नहीं दे रहा- मगर वो पूरी तरह से समझता है की आप किस स्तिथि से गुज़र रही हैं| यहाँ तक की अगर नवजात शिशुओं की देखभाल करने वाली या उनके माता-पिता उदास रहे तो उसका असर बच्चे की मनोदशा पर भी पड़ता है| 6 महीने के होते ही बच्चों को ख़ुशी और गुस्से के बीच अंतर समझ आने लगता है और उनपर इसका अधिक असर होता है| बच्चे अगर गुस्से भरी आवाज़ या गुस्सा होने वाले बड़ों के बीच में रहेंगे तो उनका तनाव बढ़ेगा| बच्चे को तनाव से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका है खुद के तनाव को दूर रखना|
4. अपने बच्चे से संपर्क बनाये रखने की कोशिश करते रहें
बच्चे को छूने से जैसे उन्हें अच्छा लगता है उसी तरह प्यार भरी बातें और सहानुभूति भी उन्हें अच्छा महसूस कराती हैं| बच्चों को ख़ुशी होती है जब हम उनसे बातें करते हैं, उनसे अपने दिन के बारे में बातें शेयर करते हैं, उनकी भावना को समझते हैं और उनके सवालों का जवाब देते हैं तो ना केवल ये बातें बच्चों को तनाव से दूर रखती हैं बल्कि अच्छे और मज़बूत रिश्ते बनाने में भी मदद करती हैं| लेकिन यहाँ भी ध्यान रखें, जिस तरह अधिक छूने से बच्चे परेशान हो जाते हैं उसी तरह उनसे ज़ादा बातें करना भी उन्हें चिड़चिड़ा बना सकता है| अगर बच्चे का बात करने से मन भर गया हो तो वो आपको रोकने के लिए अपने मुँह पर हाथ रखेगा या इधर उधर देखने लगेगा|
5. रात के समय बच्चे के साथ सोएं
एक बच्चे के लिए इससे अधिक और कोई बात महत्वपूर्ण नहीं होगी की उस अँधेरे कमरे में उसके माता-पिता उसके बगल में हैं| बच्चों में तनाव बढ़ता है अगर उन्हें अँधेरे कमरे में अकेले छोड़ दिया जाए| बच्चे को अगर अकेले सोने की ट्रेनिंग भी दी गयी हो उनमें फिर भी अकेले कमरे में रहने से कोर्टिसोल लेवल बढ़ जाता है जो की तनाव के पनपने का मूल कारन है| रात को अपने बच्चे के पास होने से उनमें तनाव से लड़ने की शक्ति आती है और दिन भर वो अच्छे से खेल सकते हैं, बच्चे के पास सोने से भी महतपूर्ण ये है की आप बच्चे को कैसे सुलाते हैं, क्या आप बच्चे को शान्ति से सुला देते हैं या लोरी सुनाकर सुलाते हैं? क्या बच्चे के रोते ही आप फ़ौरन हाज़िर हो जाते हैं या उसे चुप कराने में समय कागाते हैं? रिसर्च से पता चलता है की रात के समय जो माता-पिता अपने बच्चे के साथ सोते हैं उनका बच्चा तनाव से दूर रहने में सफल रहता है|
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