बेगाना सा घर

बेगाना सा घर

11 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

“बहु पकौड़े थोड़े बैगन के भी तल लेना सुमि को बहुत पसंद है “रूचि की सास ने बाहर वाले रूम से ही ज़ोर से कहा | हल्की बारिश की वजह से थोड़ी ठण्ड हो गयी थी | भाभी चाय में अदरक डालना ना भूलना ” सुमि ने भी वहीँ से आवाज़ लगाई | रूचि के हाथ बैंगन काटने लगे |

आज सुबह से ही सर ज़रा भारी – भारी सा था | अंदर से कुछ ठीक नहीं लग रहा था पर कहे भी तो किससे ? सुनील उसका पति ,ससुर जी के साथ बिज़नेस के सिलसिले में बाहर निकले हुए थे और कल ही लौट कर आने वाले थे |

पकौडे की प्लेट बाहर पहुँचाकर जल्दी जल्दी चाय लेकर बाहर आयी देखा प्लेट में दो- तीन पकौड़े ही बचे थे | ठन्डे जैसे उसे मुँह चिढ़ा रहें हों |

बहन रिद्धि की याद आयी | कैसे दोनों मिलकर साथ में गप्पे मारते हुए पकौड़े छान लिया करते | माँ आवाज़ लगाती ” रिद्धि चाय तू ही बना ले वरना रूचि के पकौड़े इधर ठन्डे हुए उधर उसका मुँह उतर जायेगा |”

आज वही पकौडे सामने तो थे पर किसी को उसकी पड़ी न थी |

“जल्दी जल्दी चाय पी ले ,फिर रात के खाने की तैयारी में लग जा | कल की तरह सब्जी में पानी न डाल देना | पता नहीं बेटियों को लोग सीखा कर क्यों नहीं भेजते “सास की बड -बड न रूकती थी न रुकी |

किसी शादी में सुनील ने उसे देखा और पसंद कर लिया था | बेटे के दबाब में आकर सास ने उसकी माँ को बोल दिया था कि उसकी भी बेटी है और वो रूचि को वैसे ही रखेगी |

पर ऐसा कहाँ हो पाया ? सुनील घर में किसी कीच कीच से दूर ही रहते | ऐसे भी रूचि से शादी कर पाना किसी तूफ़ान से कम नहीं था | धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा के सिद्धांत पर वो चुप ही रहता |

रूचि को पग फेरे की बात याद आ गयी | सास ने तब बोला था “देख अब मायके जाने की रट न लगाना ,यही तेरा घर है अबसे | जितनी जल्दी समझ आये उतना ठीक “|

अपना घर ??? कहाँ है उसका घर ? अपना घर है तो बेगाना सा क्यों है ?

न बहन की तरह, ननद सुमि बढ़कर हाथ बटाँती है न उसे अपने पास आने देती है |

हाल में लगा टीवी उसको बार बार अहसास दिलाता है कि जैसे उसपर उसका कोई हक़ नहीं | उसके घर में भी एक ही टीवी था ,सब थोड़ा थोड़ा करके उसे बाँट लेते | अगर कोई प्रोग्राम देखना होता तो कुछ दिन पहले बोलते और सब की रज़ामंदी से वही प्रोग्राम भी चलता |

उसे याद है कैसे ग्रेजुएशन के एग्जाम के समय उससे शाहरुख़ खान की मूवी छूट गयी थी | उसके टीवी पर एक साल बाद आने की खबर ने जैसे उसमे पुरानी रूचि को फिर से ला दिया | उसने माँ की तरह सास को भी बताया कि तीन दिन बाद वो 4 बजे आने वाली इस मूवी को वो देखना चाहती है |

अगर किसी रूटीन में कोई दिक्कत न आये ज़रूर सकती है ,कहते हुए ,सास ने हामी भर दी |

मूवी वाले दिन ख़ुशी ख़ुशी सारे काम जल्दी जल्दी निपटा कर उसने मूवी देखना शुरू ही किया था कि सास का फरमान आया कि वॉल्यूम कम करो | मुश्किल से आधा घंटा उसने मूवी देखा होगा कि सास की बड़ बड़ शुरू हो गयी | काम से ज़ी चुराना कोई इनसे सीखे | न लाज न हया पता नहीं कि घर में कैसे सबका ख्याल रखतें है ?बहु को कैसे मर्यादा निभाना चाहिए , जैसे इसकी पड़ी ही नहीं | मन खट्टा सा हो गया ,स्विच ऑफ कर वो अपने कमरे में जाकर अपनी रुलाई रोक नहीं पाई |

सुनील ने भी इसे देखा और अपने कमरे में टीवी लगाने की बात क्या की कि मांजी ने तो जैसे घर सर पर उठा लिया |

“हां कर लो घर के टुकड़े ,अभी टीवी की बात कर रहे हो, कल रसोई अलग कर लेना ” माँ की बातों से सुनील ने टीवी लेने की बात पर मिटटी ही डाल दी |

सास की यह बात कि इसे अपना घर मानो | कैसे माने इसे अपना घर ? अगर यह अपना घर है तो इसमें इतना बेगानापन क्यों है ? क्यों इस घर का कोई कोना उसे अपना नहीं मानता ?

सुनील ने उसके बहते हुए आसुंओं को पोछा और गले से लगाकर उसे दिलासा दिया कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा | वो भी इस बेगाने से घर को अपना बनाना चाहती है | उसे भी लगता है कि अपने व्यवहार और प्यार से एक दिन इस घर को अपना ज़रूर बना लेगी |

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