20 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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बर्थ डिफेक्ट का मतलब हैं जन्म के बाद शिशु के शरीर/अंग/मस्तिष्क में कोई अनचाहा बदलाव जिस कारण वह शारीरिक रूप से कुपोषित/विकृत रह जाता है। यह बहुत सी महिलाओं में होते हैं परन्तु जानकारी के अभाव में महिलाएं इन्हें समझ नहीं पाती।
हर गर्भवती महिला को इसकी सही जानकारी होनी चाहिए ताकि वह डॉक्टर से जाकर मिलें, और बचाव कर सकें।
1. क्या बर्थ डिफेक्ट से बचाव मुमकिन है?
हालाँकि सरे बर्थ डिफेक्ट को रोकना संभव नहीं है परन्तु इनकी जानकारी से आप ज़रूरी एहतिहात बरत सकती हैं।
2. शिशु की गर्भ में देखभाल
रोज़ाना विटामिन टैबलेट, खासकर फोलिक एसिड 400 mg लेने से कई प्रकार के बर्थ डिफेक्ट से बचा जा सकता है। आयरन आपके बच्चे के शरीर में खून की पूर्ती करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए स्पाइना बिफिडा नामक स्थिति जिसमें शिशु के स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) में छेद हो जाता है। यह फोलेट की कमी से होता है।
इसलिए महिला को अपने आयरन लेवल पर ध्यान देना चाहिए। इससे आप शिशु में स्पाइना बिफिडा होने से रोक सकती हैं।
3. क्या सभी बर्थ डिफेक्ट शिशु के जन्म के बाद पता लग जाते हैं?
हर बार ऐसा मुमकिन नही है की शिशु के गर्भ में होने के दौरान उसकी विकृति समझी जा सके। परन्तु सर्वश्रेष्ठ अल्ट्रासॉउन्ड द्वारा शिशु के कुछ बर्थ डिफेक्ट्स को समझा जा सकता है।
विशेषज्ञ का कहना है की गर्भवती को गर्भावस्था में पहली तिमाही में 11 से 14 हफ्तों के बीच अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाना चाहिए। उसके बाद उन्हें 18 से 20 हफ़्तों के बीच स्कैन करवा लेना चाहिए। इन दो अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन से शिशु की शारीरिक खराबी पता चल जाती है। डाउन सिंड्रोम नाम का रोग माँ के रक्त परीक्षण से पता चल जाता है।
4. क्या शिशु के गर्भ में होने के समय बर्थ डिफेक्ट को ठीक किया जा सकता है?
कुछ बर्थ डिफेक्ट में ऐसा मुमकिन है। कुछ बर्थ डिफेक्ट के कारण शिशु के महत्वपूर्ण अंग अल्पविकसित होने के कारण काम करना बंद कर सकते हैं।
5. कुछ गंभीर बर्थ डिफेक्ट और उनके इलाज:
i. कंजेनिटल हर्निया (Congenital diaphragmatic hernia)
इस शारीरिक खराबी में डायाफ्राम(diaphragm) में छेद होने के कारण पेट के अंतर्वस्तु छाती तक आने लगते हैं। इससे फेफड़ों के विकास में बाधा आती है। Fetoscopic endotracheal occlusion एक विशेष वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर सर्जरी द्वारा फेफड़ों की नली को साफ़ करते हैं और उसमें किसी प्रकार की रुकावट को सुधरते हैं। इस तरह बच्चों की बचने की सम्भावना बढ़ जाती है।
ii. मूत्रायस्य के निचले हिस्से में प्रतिरोध(obstruction)
इस स्थिति में शिशु के बदन से मूत्र नहीं निकल पाती। मूत्र का शरीर से बाहर न निकलना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इससे शिशु की किडनी को स्थायी खराबी हो सकती है।
iii. शिशु के दिल की धड़कन सामान्य से कम या ज़्यादा होने से भी माँ को सही दवाइयां देने से काबू में किया जा सकता है।
6. शिशु का माँ के गर्भ में रहते हुए इलाज कितना सफल होता है?
कहा जाता है बीमारी के इलाज से बेहतर है उसकी रोकधाम। इसीलिए जितनी जल्दी हो उतना जल्दी शिशु का इलाज करवाना चाहिए। सो अगर माँ के अल्ट्रासाउंड में शिशु की विकृति जानी जा चुकी है तो उसका गर्भ में रहते हुए इलाज करना उसके बचने के अवसर बढ़ा देता है। समय रहते इलाज करने से रोग बढ़ नहीं पाता है।
7. अगर शिशु की गर्भ में सर्जरी की जाती है तो क्या जन्म के बाद उसे अधिक देखभाल की ज़रूरत पड़ेगी?
यह शिशु के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अगर सर्जरी के बाद शिशु ठीक हो रहा है तो धीरे धीरे उसे सामान्य रूप से रखा जा सकता है।
गौर करने की बात है की अगर सर्जरी के बाद भी शिशु को विशेषज्ञ की देखरेख में रखना पड़े, तब आप किसी अच्छे अस्पताल में शिशु का इलाज करवाएं जहाँ नवजात तथा जन्म के बाद के बच्चों को उच्च श्रेणी की चिकित्सा मिले।
8. अगर आपके पहले बच्चे में बर्थ डिफेक्ट है तो क्या वह दूसरे में भी हो सकता है?
ऐसा ज़रूरी नहीं की एक शिशु को बर्थ डिफेक्ट है तो दूसरे में भी वो हो। यह चीज़ें जेनेटिक्स पर निर्भर करती हैं। यह संयोग से हो भी सकता और नहीं भी। आप समय समय पर डॉक्टर से चेक-अप कराती रहें। स्कैन से पता चल जायेगा अगर कोई भी बात हुई।
9. आपके शिशु में बर्थ डिफेक्ट है, क्या अन्य बच्चों में भी ऐसा होता है?
जी हाँ। सोशल मीडिया में ढूंढने पर आप पाएंगी की आपके जैसे अन्य अभिभावकों को भी अपने शिशु की चिंता हैं। वे भी ऑनलाइन पोस्ट करते हैं। वे शिशु के बर्थ डिफेक्ट्स से जुड़े मुद्दों का जवाब ढूंढते हैं। आपस में जानकारी बांटने से जानकारी बढ़ती है।
10. भविष्य में क्या-क्या तकनीकी विकास हो सकते हैं?
शिशु का गर्भ में परीक्षण, गर्भ में होने वाली बीमारी को अच्छे से समझने में मदद करेगा। वैज्ञानिक आधुनिक उपकरणों की खोज में लगे हैं। स्टेम सेल, जेनेटिक्स में अधिक प्रगति हो ही रही है। आने वाले वर्षों में यह शिशु की मदद करेगा।
आपका यह जानना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है और आगे ज़रूर लोगों से शेयर करके किसी मासूम की जिंदगी बचाएँ –
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