22 Apr 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 421 Articles
शिशु के लिए माँ का दूध अमृत समान होता है। यह दूध ही शिशु को बढ़ने के लिए जरूरी पोषक तत्व और ताकत देता है। अगर शिशु अचानक स्तनपान करने में नखरे दिखाने लगे या बिल्कुल स्तनपान न करे, तो इसका सीधा असर उसकी ग्रोथ और स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्तनपान नहीं करने की इस स्थिति को ब्रेस्ट-फीडिंग स्ट्राइक कहते हैं।
अचानक शिशु के माँ के दूध के प्रति ऐसे रवैये के कई कारण होते हैं। इसमें बीमारी से लेकर उसे होने वाली पीड़ा शामिल है। आगे शिशु के दूध न पीने के कारण समझते हैं।
महीनों तक अच्छी तरह से ब्रेस्ट फीडिंग करने के बाद बच्चे का अचानक दूध पीने से इनकार ( Breast feeding strike) करना माता-पिता के लिए आश्चर्यजनक होता है। शिशु ऐसा कुछ दिक्कतों के कारण कर सकता है, जिन्हें हम आगे विस्तार से बताएंगे।
दूध पिलाने की सही पोजीशन न होना भी शिशु का स्तनपान नहीं करने के कारण में शामिल है। शिशु को दूध पिलाते समय उसके आराम का पूरा ख्याल रखें। शिशु के सिर के नीचे तकिया लगाकर या हाथ से उसके सिर को सपोर्ट देकर देखें। आप अपनी स्तनपान की पोजीशन को बदल कर देख सकती हैं, ताकि शिशु सही से स्तनपान कर सके।
ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक (Breast feeding strike) का कारण दांत निकलना, थ्रश (फंगल इंफेक्शन) या मुंह के छाले से स्तनपान के दौरान मुंह में दर्द होना हो सकता है।
टीकाकरण के बाद होने वाले दर्द से किसी एक ब्रेस्टफीडिंग पोजीशन के दौरान परेशानी या असुविधा के कारण भी शिशु दूध पीने से मना कर सकता है। यही नहीं, कान के संक्रमण से दूध चूसने में तकलीफ और एक तरफ लेटते वक्त दर्द महसूस होता है।
शिशु का स्तनपान नहीं करने का कारण स्तनों में सही मात्रा में दूध न उतरना भी हो सकता है। इस स्थिति में शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है और भूख पूरी न होने की वजह से स्तनपान करने के बजाए रोने लगता है।
ऐसी स्थिति में देखें कि बच्चे के मुंह में पर्याप्त मात्रा में दूध जा रहा है या नहीं। अगर लगे कि दूध का प्रवाह या गति कम है तो स्तनों को हल्का दबाकर देख सकते हैं।
सर्दी या भरी हुई नाक आपके बच्चे को स्तनपान के दौरान सांस लेने में मुश्किलें पैदा कर सकती है। इसी के चलते शिशु स्तनपान करने से इनकार कर सकता है। गले में होने वाली दिक्कत के कारण दूध निगलने में परेशानी होना और माँ का दूध चूसने में परेशानी भी शिशु के दूध नहीं पीने के कारण हैं।
ओवरस्टिम्यूलेशन (शिशु को बहुत लोगों द्वारा उठाए जाने व जोरदार पार्टी के बाद उत्पन्न होने वाली अवस्था), देर से स्तनपान कराना, लंबे समय तक दूर रहने के कारण होने वाली घबराहट के चलते स्तनपान में कठिनाई हो सकती है। इन सबसे बच्चे को तनाव हो जाता है, जिसके चलते वो स्तनपान नहीं करता।
अगर माँ के शरीर से नए साबुन, परफ्यूम, लोशन या डिओडरेंट के चलते अलग महक आने लगे, तो शिशु की रुचि स्तनपान में कम हो सकती है। इसके अलावा, आपके द्वारा लिए जाने वाले आहार, दवाइयों या किसी अन्य कारण से स्तन के दूध के स्वाद में परिवर्तन होना भी शिशु के दूध न पीने का कारण बन सकता है।
कभी-कभी शिशु का ध्यान स्तनपान में नहीं होता, जिस वजह से वो ब्रेस्टफीडिंग से मना कर सकता है। इसकी वजह ध्यान भटकाने वाली चीजें हो सकती है। जैसे कि खिलौने, टीवी, आसपास से आने वाली आवाजें, कोई गाने की धुन।
शिशु का स्तनपान नहीं करने के कारण (Breast feeding Strike) आप जान ही गई हैं। आपको इन उपायों को अपनाकर मदद मिल सकती है।
ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक (Breastfeeding strike) का मतलब यह नहीं है कि आपका शिशु दूध छोड़ने के लिए तैयार है या उस समय के नजदीक है। कुछ ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक कुछ समय के ही लिए होते हैं, जिसकी वजह शिशु को होने वाली तकलीफ और समस्याएं हो सकती हैं।
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