21 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम की बीमारी नवजात बच्चों में मानसिक व शारीरिक समस्याओं को जन्म देती है। डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक विकार है, जिसकी समस्या शिशु में जन्म से ही हो सकती है। अगर इसके उदाहरणों की बात करें, तो प्रेग्नेंसी में डाउन सिंड्रोम के लक्षण के साथ पैदा होने वाले बच्चे का चेहरा अजीब व सपाट हो सकता है, शिशु के कान-नाक व आंख छोटे व तिरछे हो सकते हैं आदि।
ऐसे में गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम के लक्षण कैसे पता लगाए जा सकते हैं व प्रेग्नेंसी में डाउन सिंड्रोम के कारण क्या होते हैं, इसी की जानकारी इस लेख में दी गई है। यहां डाउन सिंड्रोम का निदान व डाउन सिंड्रोम बेबी ट्रीटमेंट के बारे में भी बताया गया है।
डाउन सिंड्रोम (Down’s Syndrome in Hindi) आनुवंशिक विकार है, जिसमें बच्चे में गुणसूत्र (क्रोमोसोम) सामान्य से अधिक होते हैं। यह एक जन्मजात विकार है, इस वजह से बच्चों में इसकी समस्या माँ के गर्भ से ही होती है।
गुणसूत्र में असामान्यता की बात करें, तो स्वस्थ व्यक्ति में 23 गुणसूत्र होते हैं, जो सभी जोड़ों के साथ होते हैं। इनमें से 22 गुणसूत्र के जोड़ें सभी महिला व पुरुष में एक समान होते हैं, जिन्हें ऑटोसोम कहते हैं। वहीं, गुणसूत्र का 23वां जोड़ा महिला व पुरुष में भिन्न होते हैं।
महिलाओं में 23वां गुणसूत्र का दोनों जोड़े XX होते हैं, वहीं पुरुषों में 23वां गुणसूत्र का जोड़ा XY होते हैं। इसी तरह अगर किसी बच्चे की कोशिकाओं में इन्हीं गुणसूत्र की संख्या ज्यादा हो जाए, तो वे डाउन सिंड्रोम के रूप में सामने आ सकते हैं। इसके कारण बच्चा शारीरिक रूप से विकलांग व मानसिक रूप से मंद बुद्धि का हो सकता है।
नहीं, गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम होना दुर्लभ होता है। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 700 में से 1 गर्भवती महिला को डाउन सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं और उसके बच्चे में डाउन सिंड्रोम हो सकता है। हालांकि, जैसा कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक बीमारी है, तो ऐसे में अगर माँ या पिता को डाउन सिंड्रोम है, तो उनके बच्चे में भी डाउन सिंड्रोम होने का जोखिम बढ़ सकता है।
मुख्य रूप से तीन तरह के डाउन सिंड्रोम के प्रकार देखे गए हैं, जो निम्नलिखित हैंः
अगर शिशु की कोशिकाओं में मौजूद सभी 21 गुणसूत्र जोड़े में न होकर तीन की संख्या में हो, तो यह बच्चे में फ्री ट्राइसॉमी 21 (Free Trisomy 21) का रूप हो सकते हैं। लगभग 90% मामलों में इसकी संभावना देखी जा सकती है। बच्चों में इसकी समस्या माँ की तरफ से हो सकती है, इसी कारण इसे मातृ दोष भी कहा जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में बच्चे को इसकी समस्या पिता की तरफ से भी देखी जा सकती है।
मोजेक ट्राइसॉमी 21 (Mosaic Trisomy 21) होने पर शिशु की कोशिकाओं में 21 गुणसूत्र में से कुछ गुणसूत्र के जोड़ें 3-3 की संख्या में हो सकते हैं। आमतौर पर इसकी समस्या फर्टिलाइजेशन के समय होने वाली कोशिका विभाजन में हुई गड़बड़ी के कारण देखी जा सकती है।
रॉबर्टसनियन ट्रांसलोकेशन ट्राइसॉमी 21 (Robertsonian Translocation Trisomy 21) भी डाउन सिंड्रोम के प्रकार में शामिल है। यह तब होता है जब गुणसूत्र 21 का थोड़ा अंश या पूरा अंश किसी अन्य गुणसूत्र में मिल जाता है। यह सबसे दुर्लभ प्रकार का डाउन सिंड्रोम का प्रकार होता है। लगभग 2-4% ही इसके मामले देखे जा सकते हैं।
आमतौर पर प्रेग्नेंसी में डाउन सिंड्रोम के लक्षण नहीं ज्ञात किए जा सकते हैं। हालांकि, गर्भ में पल रहे बच्चे में डाउन सिंड्रोम की पहचान करने के लिए डाउन सिंड्रोम टेस्ट किए जाते हैं, जिसके बारे में नीचे पढ़ेंगे। यहां हम उन लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, तो डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे में हो सकते हैं।
गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम के कारण विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं, जैसेः
हां, डाउन सिंड्रोम टेस्ट के जरिए गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम का निदान किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं। ध्यान रखें कि गर्भावस्था की पहली व दूसरी तिमाही के अनुसार दो टियर में स्क्रीनिंग के जरिए डाउन सिंड्रोम टेस्ट किया जा सकता है।
11-13वें सप्ताह के बीच पहली तिमाही के दौरान स्क्रीनिंग टेस्ट किया जा सकता है। इसके लिए गर्भवती महिला के रक्त की जांच की जाती है और रक्त में मौजूद प्रोटीन के स्तर की गणना की जाती है।
15-20वें सप्ताह के बीच दूसरी तिमाही के दौरान स्क्रीनिंग टेस्ट किया जा सकता है। इसके लिए गर्भवती महिला के रक्त की जांच होती है और रक्त में मौजूद पदार्थों की जांच की जाती है, जो डाउन सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
कुछ परिस्थतियों में इसके लिए ट्रिपल स्क्रीन टेस्ट व क्वाड्रपल स्क्रीनिंग टेस्ट भी किया जा सकते हैं। ट्रिपल स्क्रीन टेस्ट में रक्त में मौजूद तीन अलग-अलग व क्वाड्रपल स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्त में मौजूद चार अलग-अलग पदार्थों की जांच की जाती है।
इसके अलावा, अगर दोनों ही टियर स्क्रीनिंग के दौरान प्रेग्नेंसी में डाउन सिंड्रोम के लक्षण नजर आते हैं, तो इसकी पुष्टि करने के लिए कुछ अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसेः
मौजूदा समय में गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम का निदान करने के लिए विभिन्न तरह के डाउन सिंड्रोम टेस्ट मौजूद हैं। हालांकि, डाउन सिंड्रोम का इलाज उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर माँ व पिता को बेहतर तरीके से डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त शिशु के परवरिश व देखभाल से जुड़ी बातों पर चर्चा कर सकते हैं।
साथ ही, कई तरह के शैक्षिक कार्यक्रम उपलब्ध हैं, जहां पर डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को शारीरिक व मानसिक रूप से बेहतर बनाने के लिए उचित ट्रेनिंग भी दी जाती है। इन ट्रेनिंग के जरिए डाउन सिंड्रोम का इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ हद तक शारीरिक व मानसिक रूप से जीवन के गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
इसके अलावा, कुछ गंभीर स्थितियों में विशेषज्ञ भारतीय कानून के आधार पर गर्भपात की भी सलाह दे सकते हैं।
इस लेख में आपने गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम इन हिंदी की जानकारी पढ़ी। इसमें दोराय नहीं कि प्रेग्नेंसी में डाउन सिंड्रोम के लक्षण आने वाले शिशु के पालन-पोषण से लेकर उसके सामाजिक विकास को भी चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को अपने शिशु की बेहतर देखभाल करने के लिए परिवार, करीबी दोस्तों से लेकर डाउन सिंड्रोम सपोर्ट ग्रुप की भी मदद लेनी चाहिए।
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