6 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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प्रेगनेंसी एक अनोखा और रोमांचक सफर है जो निश्चित ही आपके और आपके पति के मन में कई सवाल लायेगा । स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार, नीचे कुछ ज़रूरी सवाल हैं जो आपको गर्भावस्था में अपने डॉक्टर से पूछने चाहिए ।
प्रेगनेंसी एक अनोखा और रोमांचक सफर है जो निश्चित ही आपके और आपके पति के मन में कई सवाल लायेगा । स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार, नीचे कुछ ज़रूरी सवाल हैं जो आपको गर्भावस्था में अपने डॉक्टर से पूछने चाहिए ।
उन कीमती पलों में आपको चाहिए प्यार और सही देखभाल । सवालों के साथ जवाब भी दिये गये हैं ।
पहले तिमाही में शरीर के निचले हिस्से में जैसे की पेट और गर्भाशय की मांसपेशियों में जकड़न आ सकती है । थोड़ी बहुत जकड़न व योनि स्त्राव घबराने वाले बात नही है । क्योंकि आपका एग (अंडाणु) आपके गर्भाशय में समावित हो गया है और नन्हे शिशु के विकास में लग गया है । लेकिन अगर ये लक्षण ज़्यादा दिन चलें या स्त्राव ज़्यादा दिन चले तो आप डॉक्टरी जांच अवश्य करवायें क्योंकि ये योनि या गर्भाशय के संक्रमण का संकेत हो सकता है । कभी-कभी ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है ।
गर्भावस्था में आप कितना वज़न बढ़ा सकती हैं ये आपके बी.एम.आई (BMI) अंक पर निर्भर करता है । बी.एम.आई स्केल पर आपका प्री – प्रेगनेंसी वज़न नापा जाता है । बी.एम.आई स्केल में आपकी लम्बाई और वज़न को ध्यान में रखकर माप लिया जाता है । आपके चिकित्सक आपको आपके बी.एम.आई अंक के हिसाब से सही रेंज बता सकेंगे । डॉक्टर आपको समय-समय पर क्लीनिक बुला लेंगे ताकि दूसरे और तीसरे तिमाही में भी आपके वज़न पर नियंत्रण रखा जा सके । हम आपको कुछ अंक और उनका अर्थ बताना चाहेंगे चाहेंगे ।
अंडरवेट (बी.एम.आई < 18.5):
12 से 18 किलो
नॉर्मल वज़न (बी.एम.आई 18.5 से 24.9):
11 से 15 किलो
ओवरवेट यानि मोटापा (बी.एम.आई 25.0 से 29.9):
6 से 11 किलो
ओबेसिटी यानि अत्यधिक मोटापा (बी.एम.आई ≥30.0):
4 to 9 किलो
गर्भावस्था में सक्रिय रहना आपको और कोख में पल रहे शिशु को स्वस्थ्य रखता है । व्यायाम गर्भावस्था से जुड़े वाटर रेटेन्शन और तनाव को भी दूर रखता है । चलना-फिरना, तैराकी और योग गर्भावस्था में सुरक्षित माने जाते हैं। पर आप सावधानी बरतियेगा की कहीं आपको चोट न पहुंचे । शरीर पर अधिक प्रेशर डालने की कोई ज़रूरत नही। अपनी सुविधा और आराम अनुसार व्यायाम करें । साईकल चलाने के बारे में ध्यान दें अथवा कठोर परिश्रम से दूर रहें क्योंकि उससे शिशु के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है । 2 तिमाही में इन बातों का ख़ास ख्याल रखें ।
ये आपके काम, शारीरिक वज़न और कैपेसिटी पर निर्भर करता है । अगर आपको अधिक शारीरिक श्रम करना पड़ता है तो आप अपने काम से कुछ दिनों का अंतराल ले सकती हैं । ये आपके शिशु और आपके लिए लाभदायक रहेगा । काम से जुड़े मानसिक तनाव को अनदेखा नहीं कर सकते । अगर आप कोप नहीं कर पा रही हैं तो ब्रेक ले लें ।
वैसे बर्थ-प्लान की कोई ख़ास ज़रूरत नहीं होती और आप अपनी तारीख आने पर उसका पालन करना भी भूल जाती हैं । परन्तु कई महिलाएं गर्भावस्था से जुड़े उनके स्वास्थ्य में आये बदलाव से वाकिफ रहना चाहती हैं और कामना करती हैं की उनसे जुड़े ख़ास लोगों को भी इससे सम्बंधित बातें पता हों । फिर भी सुरक्षा की खातिर डॉक्टर से परामर्श करवा लेना बेहतर रहेगा । लेबर में जाने से पहले चिकित्सक की सलाह आपको आने वाले खतरों जैसे हाई – रिस्क प्रेगनेंसी के बारे में आगाह कर देगी ।
डिलीवरी हॉस्पिटल, घर या मैटरनिटी होम में हो सकती है । डिलीवरी का स्थान मायने रखता है । क्योंकि इसके हिसाब से आपको देखभाल मिलेगी । हॉस्पिटल में डॉक्टर व नर्स आपकी सेवा करेंगी । वे आपके योनि का चेक-अप कर के बता पायेंगे की सब ठीक है की नही । वो आपको ज़रूरी दवाइयां भी दे देंगे । आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं ।
3 में से 1 महिला को सी-सेक्शन की ज़रूरत पड़ जाती है । डॉक्टर से इस बारे में बातचीत कर आपके मन में उठ रहे कोई भी सवाल को सुलझा लें । डॉक्टर आपके लिए कौनसी डिलीवरी सुरक्षित रहेगी बता पायेंगे । हर महिला भिन्न होती है सो उनकी डिलीवरी भी खास और अलग होती है । अपनी तुलना किसी और से न करें ।
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