garbhawastha mein khoon ki kami ke lakshan aur unka upchar

garbhawastha mein khoon ki kami ke lakshan aur unka upchar

20 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

 

प्रेगनेंसी में महिला के बदन में कई परिवर्तन आते हैं। उन्ही में से एक है उसके बदन में हीमोग्लोबिन की मात्रा का अधिक घटना। हम आपको इसके बदलते लेवल, उसके खतरे और उसे कैसे नियमित करें बताएँगे।

हीमोग्लोबिन क्या होता है?

 

 

हीमोग्लोबिन एक खास प्रोटीन तत्व है जो रक्त में पाया जाता है। यह श्वास लेते समय हम जो सांस अंदर लेते हैं उसमें से ऑक्सीजन ग्रहण करके शरीर के बाकी अंगों तक पहुँचाता है। यह शरीर के सभी अंगों से अशुद्ध रक्त (जिसमे कार्बन डाइऑक्साइड होता है) फेफड़ों तक पहुंचाता है।

 

 

हीमोग्लोबिन का सामान्य लेवल 12 से 16 ग्राम पर डेसिलिटर (g/dl) होता है।

गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन लेवल का क्या महत्त्व होता है?

 

 

गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए जल्द ही हीमोग्लोबिन लेवल का परीक्षण किया जाता है। गर्भवती महिला को हीमोग्लोबिन की अधिक मात्रा की ज़रूरत होती है क्योंकि उसे शिशु के लिए भी रक्त संचारित करना होता है। अच्छी हीमोग्लोबिन की मात्रा मतलब शिशु की सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। साथ ही उसका हृदय भी ढंग से काम करेगा!

गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन लेवल घट क्यों जाते हैं?

 

 

गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन लेवल का घटना आम बात होती है। इस समय माँ के शरीर में 11.5 से 15 g/dl हीमोग्लोबिन पाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि माँ के शरीर का आकार बढ़ जाता है उसमें पल रहे शिशु की देखभाल करने के लिए। शरीर का आकार तो बढ़ जाता है परन्तु उसमें रेड ब्लड सेल्स की वृद्धि नही होती। सो हीमोग्लोबिन लेवल कम रह जाते हैं।

हीमोग्लोबिन की कम मात्रा का प्रेगनेंसी पर क्या असर होता है ?

 

 

हीमोग्लोबिन की कमी से महिला को अनीमिया हो जाता है। 10.5g/dl तक हीमोग्लोबिन लेवल होना सामान्य है। परन्तु जब रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 10g/dl से भी कम हो जाती है तब माँ और शिशु की जान को गंभीर खतरा हो सकता है। निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं:

1. अत्यधिक थकान होना

2. सर का चकराना

 

 

3. फीके होंठ और सूखी त्वचा

4. कमज़ोर नाखून

5. सांस लेने में मुश्किल

6. दिल की धड़कन का बढ़ जाना

7. हाथों और पैरों का ठंडा पड़ना

यह लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं अगर हीमोग्लोबिन लेवल और भी कम हो जाएं।

हीमोग्लोबिन लेवल जब 6g/dl से भी कम हो जाते हैं तब गर्भवती को छाती में बर्दाश्त के बाहर दर्द होगा जो की कन्धों, हाथों और गले तक पहुँच जायेगा। यह हृदय तक अपर्याप्त रक्त पहुँचने के कारण होता है।

क्या आप हीमोग्लोबिन की कमी का शिकार हो सकती हैं?

 

 

जी हाँ, आपको खतरा हो सकता है अगर:

1. आपको माहवारी में अधिक रक्तस्त्राव होता है।

2. आप सम्पूर्ण आहार नहीं ले रहीं हैं जिस कारण आपमें आइरन की कमी हो रही है।

3. आपका शरीर आइरन ग्रहण/ सोक नहीं पाता।

4. आपने गर्भावस्था में रक्तदान किया हो।

गर्भावस्था में आप अपने हीमोग्लोबिन लेवल को कैसे सुधार सकती हैं?

 

1. आयरन की गोली लेने से आपको फायदा होगा। यह गोलियां रक्त में नये रेड ब्लड सेल का निर्माण करने में मदद करती हैं। ज्यादा रेड ब्लड सेल मतलब हीमोग्लोबिन लेवल में इजाफा।

2.. विटामिन सी, आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 की गोली लेने से आपको रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सर्वाधिक मदद मिलेगी।

 

 

3. इसके अतिरिक्त आप नीचे दिए गए खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकती हैं:

 

i. हरी सब्ज़ियां जैसे पालक, मेथी, इत्यादि

 

ii. सूखे मेवे जैसे किशमिश, बादाम इत्यादि

iii. अनाज जैसे की चावल, गेहूं, दाल, दलिया

iv. दूध और उससे बानी चीज़ें

v. दही

vi. ताज़े फलों का सेवन या उनका फ्रूट जूस बनाना

vii. केला, मुसम्मी, अनार, सेब, इत्यादि बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनमें विटामिन सी और आयरन की मात्रा अधिक होती है।

बुरी आदतें और खाने से दूर रहें। जैसे की

अपर्याप्त नींद/पानी

अत्यधिक चाय/कॉफ़ी

पास्ता, मैगी और सफ़ेद ब्रेड (मैदा ब्रेड) का असंतुलित सेवन

बाहर का अधिक घी-तेल वाला अशुद्ध खाना

शराब

 

हम आशा करते हैं की आप अपना और आपके प्रियजनों का ख्याल रखें। इस ब्लॉग को अधिक से अधिक महिलाओं के साथ शेयर करें ताकि उनमें जागरूकता फैले।

क्यूकि आप पर एक नन्ही जान निर्भर करती है। इसे पढ़े, समझें, शेयर करें और कमेंट में हमे आपका हीमोग्लोबिन बताएं।   

A

gallery
send-btn

Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.