garbhwati maaon ko khushaal filmein kyon dekhni chahia iska shishu pr prabhav

garbhwati maaon ko khushaal filmein kyon dekhni chahia iska shishu pr prabhav

14 Apr 2022 | 0 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

 

गर्भावस्था में गर्भवती महिलायें वे सब कर सकती हैं जो आम महिलाएं करती हैं। जिस प्रकार वे शौप्पिंग के लिए जाती हैं, मंदिर जाती हैं, डिनर के जाती हैं, उसी प्रकार वे फिल्म देखने भी जा सकती हैं। परन्तु फिल्मों के मामले में सबकी अपनी पसंद होती है। कोई पारिवारिक, कोई रोमैंटिक, कोई कार्टून, कोई ऐतिहासिक, कोई मज़ाकिया देखना पसंद करता है। पर सबमें सबसे ज़्यादा खुशहाल पिक्चर देखना सेहतमंद होता है। बड़ी दिलचस्प वजह है इसके पीछे चलिए पढ़ें।

 

शिशु पर माँ के मूड का असर पड़ता है

 

 

वैज्ञानिकों ने इस बात की खोज की है कि माँ की भावनाएं और इमोशंस शिशु को प्रभावित करते हैं। ऐसे में किस तरह की फिल्म या टीवी शो वे देखती हैं, शिशु को प्रभावित करता है।

 

 

अगर माँ अधिक रोने धोने वाली फिल्म देखेंगी तो शिशु भी उदास हो जायेगा। शिशु दुःख में शांत हो जाता है। डरावनी मूवी से शिशु गर्भ में डर जाता है। उसे बदन में एक कपकपी सी दौड़ जाती है। आखिर है तो वह भी इंसान, उसकी भी भावनाएं होती है। गर्भ में तो उसे गोद या गले लगाने वाला भी कोई नहीं होता है।

 

 

उसी जगह मज़ाकिया मूवी देखने वाली गर्भवती की हंसी की गुदगुदाहट से शिशु भी मुस्कुराता है। उसे मज़ा आता है। वह माँ से लिपटने की कामना करता है।

 

हमेशा हर इंसान को खुश रहने के लिए कहा जाता है क्योंकि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।

माँ का मूड शिशु को कैसे प्रभावित करता है?

 

 

इसके पीछे का असल कारण तो नहीं जाना जा सका है। ऐसा माना जाता है कि माँ के बदन में बदलते हॉर्मोन्स लेवल्स के कारण शिशु के मानसिक भाव पर असर पड़ता है।

 

माँ जब सुखी मूवी देखती है तब शिशु कैसे पेश आता है?

 

वैज्ञानिकों ने कुछ गर्भवती महिलाओं को इलेक्ट्रिक अल्ट्रासाउंड से जोड़ दिया और उसी दौरान उन्हें मज़ाकिया फिल्म देखने को कही। जो महिलाएं खुशहाल मूवी देख रहीं थीं उनके शिशु गर्भ में अधिक हाथ पैर मार रहे थे। वे ज़्यादा उत्साहित थे और उनमें ऊर्जा भी अधिक थी।

 

 

तो आप दिल खोल कर मुस्कुराएं, हँसिये और ठहाके लगाएं। इस वीकेंड पर अपनी सखियों के साथ फिल्म देखने जाइये। किसका इंतज़ार कर रहीं हैं? अगर आपकी सखियाँ नहीं जा सकती तो सासु माँ, ननद अपनी भाभी या पति के साथ चली जाएं। आपका मन बहल जायेगा और शिशु भी नए माहौल का अनुभव कर पायेगा।

 

 

तो आप कब अपनी मनपसंद फिल्म देखने जा रहीं हैं?हमें कमेंट में बताएं और इस पोस्ट को अपनी मूवी शौखीन दोस्त को शेयर करें और टैग करें।

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