9 May 2022 | 0 min Read
Tinystep
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मेरे मम्मी पापा मुझसे काफी दूर रहते हैं तो जैसे ही मौका मिलता है मैं उस मौके पे चौका मारकर उनके पास पहुँच जाती हूँ! अपने घर में कदम रखते ही मेरे अंदर की माँ और पत्नी एक चुलबुली लड़की में बदल जाती है | भारत में खासकर, शादी हम औरतों को अपने परिवार से थोड़ा वास्तविक रूप से दूर कर देती है| हम एक बिलकुल नए वातावरण में चले जाते हैं जहाँ हमें हज़ारों ज़िम्मेदारियों का ख्याल रखना पड़ता है| हम अपने नए घर को अपनी तरह से सजा के उसे अपना लेते हैं|
फिर भी जिस घर में हमने अपना बचपन बिताया है वो हमेशा हमारे दिल के करीब रहता है| और इसीलिए, अपनी माँ के घर वापस जाने का इंतज़ार मुझे हमेशा रहता है; उसी तरह जब मैं एक दुल्हन थी, और अब जब मैं एक माँ हूँ| कुछ ही दिनों पहले मेरे बच्चे ने मुझे बताया कि जब भी मैं अपनी माँ से बात करती हूँ तब कितना खिलखिलाके हंसती हूँ और जब भी हम नाना नानी के घर जाते हैं, तब मैं कुछ काम नहीं करती, यहाँ तक कि उसके लिए भी नहीं| हाँ, जैसे ही मैं अपनी माँ के घर आती हूँ, मैं एक माँ कम और एक बेटी ज़्यादा बन जाती हूँ| मेरा और मेरी बेटी का ध्यान रखने का पूरा भार अपनी माँ पर छोड़ देती हूँ, और खुद सिर्फ़ प्लान बनाने की टेंशन लेती हूँ, कि कहाँ अपनी सहेलियों से मिलूं, कहाँ खरीदारी करने जाऊँ और माँ से क्या क्या बनवाऊँ!
तो ये उन चीज़ों की लिस्ट है, जो मैं अपनी माँ के घर पर करना पसंद करती हूँ:
मेरी मम्मी मेरी हर तरह के खाने की मांगों को पूरा करती हैं| माँ के हाथ के खाने से अच्छा कुछ नहीं है! मैं जब भी घर जाती हूँ, अपनी मम्मी को मेरे पसंदीदा खाने की एक लिस्ट ज़रूर देती हूँ| चाहे वो सादी दाल हो, आलू के परांठे या गाजर का हलवा, इनकी खुशबू से ही मुँह में पानी आ जाता है| ऐसा होता है न कि कई बार, जब हम अपने घर पर होते हैं, अपने पति, बच्चों और ससुराल वालों के साथ, हम अपने बनाए स्वादिष्ट खाने का भी मज़ा नहीं ले पाते, तो माँ के घर जाने का मतलब ही होता है जी भरके खाना|
मैं घंटों अपनी माँ के साथ गपशप कर सकती हूँ, चाहे वो किसी भी विषय में हो| पडोसी आंटी के बेटे की शादी से लेकर पापा के चचेरे भाई की बहु का रवैया, कोई नया फैशन हो या मेरी बेटी की सहेली की पिंक ड्रेस; माँ से बात करते हुए समय का ध्यान ही नहीं रहता, वो आमने सामने हो या फ़ोन पर|
सेल हो या नहीं, माँ के साथ खरीदारी करने जाना मेरा मनपसंद काम है| भले ही हमें उन चीज़ों की ज़रूरत हो या नहीं, मज़ा बस माँ के साथ में है| कभी कभार जब अपनी बेटी को उसकी नानी के साथ छोड़कर, अकेले शॉपिंग करने का अलग ही मज़ा होता है| इस समय मुझे किसी तरह की कोई टेंशन नहीं रहती क्योंकि मेरी बेटी दनिया में सबसे सुरक्षित हाथों में होती है| इस संतुष्टि के साथ मैं पूरा दिन आराम से बाहर रह सकती हूँ|
जिस दिन से मेरा टिकट बुक होता है, उस दिन से दोस्तों के साथ प्लान बनने शुरू हो जाते हैं| फिर चाहे वो दोस्त बचपन के हों, कॉलेज के या गली के, घर जा के मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने हर दोस्त से मिलूं और उनके साथ बिताए पलों का फिर अनुभव करूँ|
मम्मी से साथ बैठ कर पुरानी तसवीरें देखना मुझे खासकर पसंद है| मेरी बेटी को भी ये करना बहुत पसंद है, क्योंकि उसको अपनी माँ का बचपन देखने को मिलता है|
घर जाने का मतलब है जी भरकर सोना| ऐसा लगता है कि माँ के घर पर सालों की नींद पूरी हो जाती है| सबसे अच्छी बात तो ये है कि यहाँ मैं कभी भी सो सकती हूँ|
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