14 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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भारत रंगों का देश है। यहाँ त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाये जाते हैं। महिलाओं के प्रमुख त्यौहार हैं तीज,करवा चौथ, शनि व्रत। तीज की बात करें तो यह राजस्थान, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मनाया जाता है।
तीज तीन प्रकार की होती है, हरतालिका, हरियाली और कजरी तीज। इन तीनों में सबसे महत्वपूर्ण होती है हरतालिका तीज।
हरतालिका तीज भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन को मनाई जाती है। इस साल हरतालिका तीज 24 अगस्त, 2017 को मनाई जायेगी।
हरतालिका तीज, हरतालिका माँ यानी पारवती माँ के लिए मनाया जाता है। इसी दिन शिव भगवान ने पारवती देवी के प्यार को स्वीकार किया था।
हरतालिका तीज के दिन देश भर में कुंवारी व शादीशुदा महिलाएं अपने प्रिय जन के लिए यह त्यौहार बड़ी ख़ुशी से मनाती हैं।
हरतालिका तीज का इतिहास और महत्व
हरत का मतलब होता है उठा लेना/ले जाना। आलिका का अर्थ होता है स्त्री सखी । हिन्दू मान्यता के अनुसार पार्वती माँ को उनकी सखियों ने उठा लिया था ताकि वह विष्णु जी से विवाह न कर पायें। विष्णु जी को उनके पिता ने चुना था।
परन्तु पार्वती माँ को शिव जी से प्रेम था। शिव जी का प्यार जीतना बेहद मुश्किल था क्योंकि वे साधू बन तपस्या में लगे रहते थे। परन्तु पार्वती माँ ने उनका दिल जीतने के लिए कड़ी मेहनत की। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने 108 बार जन्म लिया ताकि वह शिव जी का प्यार जीत सकें। उनके प्रयासों को देख कर शिव जी का दिल पसीज गया और वे मोहित हों उनके प्रेम को स्वीकार गए।
इसी दिन से पार्वती माँ ने इस दिन को महिलाओं के लिए पवित्र दिन घोषित कर दिया। उन्होंने ऐसा बोला की इस दिन किये जाने वाले व्रत महिलाओं के पतियों को सुखी रखेंगें।
हरतालिका तीज की पूजा व रीति-रिवाज़
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं जल्दी उठ जाएं, स्नान करें और नए कपड़े व आभूषण पहनें। कुछ शहरों में सोलह-श्रृंगार बड़े प्रचलित हैं। इसके पश्चात महिलाएं मंदिर में भगवान के दर्शन व पूजा करने जाती हैं। पूजा करते वक्त महिलाओं को मिट्टी का दिया जलाना होता है जिसे रात भर जलने दिया जाता है।
महिलाएं निर्जल व्रत भी रखती हैं ताकि माँ पार्वती उनसे प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद दें। महिलाएं शिव-पार्वती की मूर्तियाँ को सजाती हैं, शाम को मिलकर संगीत सभा का आयोजन करती हैं, और सजे हुए झूलों पर झूलती हैं।
तीज के दिन महिलाओं को उनके परिवारजनों, जैसे की उनके माता-पिता, सास-ससुर से उपहार मिलते हैं। भेंट के रूप में उन्हें लहरिया साड़ियां, कड़े, कंगन, चूड़ियाँ, हिना, सिन्दूर और घेवर मिठाई दी जाती है। इन उपहारों को श्रींझर या सिंधारे कहते हैं।
हरतालिका तीज में ईश्वर भोज और व्रत
हम अपनी सभी पाठिकाओं को यह सूचित करना चाहेंगे की व्रत अपनी सेहत के अनुसार ही करें। बीमार हैं तो कदापि पूरे दिन भूखी-प्यासी न रहें। सही मायने में तो इस दिन महिलाओं को भोजन और पानी का सेवन 24 घंटों तक नहीं करना चाहिए।
ईश्वर को ताज़े फल, घेवर और पेड़े अर्पित किये जा सकते हैं। इसके साथ ही महिलाएं सुहाग के सामान जैसे की सिंदूर , मंगल सूत्र भी पारवती माँ को चढ़ा सकती हैं।
हरतालिका तीज : महूरत का समय
प्रातःकाल हरतालिका तीज पूजा महूरत – 06:22 am to 08:54 am.
प्रदोषकाल हरतालिका तीज पूजा महूरत – 19:00 pm to 20:27 pm.( शाम 7 बजे से लेकर 8:27 बजे तक)
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