भारत में सरोगेसी कानून

भारत में सरोगेसी कानून

11 May 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

भारते के कई सेलिब्रिटिज ने सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने का सपना पूरा किया है। प्रियंका चोपड़ा के सरोगेसी की मदद से माँ बनने के बाद से ही सरोगेसी सुर्खियों में है। लेकिन अब सरोगेसी की राह पहले के मुकाबले थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो गई है। इसलिए, क्या है सरोगेसी कानून, यह समझना जरूरी है।

सीधे शब्दों में कहें तो, सरोगैसी एक कानूनी व्यवस्था है, जिसमें महिला गर्भवती होने और किसी अन्य व्यक्ति के लाभ के लिए बच्चे को जन्म देने के लिए सहमत होती है। इससे बच्चे की चाहत रखने वालों का माता-पिता बनने का सपना पूरा हो जाता है। सरोगेसी में क्या कानूनी और क्या गैर-कानूनी है, ये बारीकियां समझना भी जरूरी है। आइए, आगे जानते हैं।

क्या है सरोगेसी बिल?

सरोगेसी बिल के पीछे की मुख्य वजह कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाना है। यह बिल परोपकारी सरोगेसी (Altruistic surrogacy) की अनुमति देता है। 

बिल में परोपकारी सरोगेसी को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि इसमें दंपति द्वारा सरोगेट माँ के लिए चिकित्सा के खर्च के अलावा कोई पैसा या पारिश्रमिक (remuneration) प्रदान नहीं किया जाता है।

सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल में कहा गया है कि पैसे देकर व्यावसायिक रूप से किराए में कोख लेना, सरोगेट मदर का शोषण करना और सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे का शोषण रोकने के लिए यह कानून लाया गया।

बीमा है जरूरी

प्रसवोत्तर व प्रसव संबंधी जटिलताओं को कवर करने के लिए सरोगेट मदर का 36 महीने की अवधि का बीमा कवरेज करवाना होगा। ताकि सरोगेसी के लिए राजी दंपति को किसी भी तरह के अनिष्ट होने पर और स्वास्थ्य खर्च से जुड़ा मुआवजा मिल सके। 

भारत में सरोगेसी कानून - surrogacy kanon law in India
सोफे पर लेटी हुई गर्भवती महिला / स्रोत – पिक्सेल्स

भरना पड़ेगा जुर्माना

व्यावसायिक यानी कमर्शियल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई सरोगेसी प्रक्रियाओं पर जुर्माना लगेगा। कोई क्लिनिक कमर्शियल सरोगेसी के संचालन करते हुए पाया गया तो उसे आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा। क्लिनिक के साथ ही, प्रयोगशाला या पंजीकृत चिकित्सक, स्त्री रोग विशेषज्ञ परोपकारी सरोगेसी का पालन करते हुए नहीं पाए गए, तो जुर्माना लगेगा। 

इसमें पांच साल तक कारावास और पांच लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। अगर दूसरी बार भी सरोगेसी कानून का पालन नहीं किया गया, तो सजा और बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर 10 साल तक कारावास और 10 लाख तक जुर्माना लग सकता है। सरोगेट मदर के शोषण को रोकने के लिए भी यही सजा तय की गई है।

क्या दिक्कते हैं?

कुछ लोगों का मानना है कि सरोगेसी कानून विवादित है। सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत पैसे की लेन-देन के बिना होने वाली सरोगेसी को ही मान्यता दी जाएगी और कानूनी ठहराया जाएगा। लेकिन, बिना लेन-देन के कोई महिला सरोगेट मदर बनने के लिए क्यों तैयार होगी? ऐसी महिलाएं कहां मिलेंगी? ये सारे सवाल खड़े होते हैं।

इसके अलावा, बिना किसी प्रजनन क्षमता से जुड़ी दिक्कत और बड़ी बीमारी के सरोगेसी करने की मनाही है। ऐसे में सिंगल फादर, सिंगल मदर बनने की चाहत रखने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। तलाकशुदा महिलाएं या पुरुष बिना दूसरी शादी किए सरोगेसी के जरिए बच्चे पाना चाहेंगे, तो उनके संतान प्राप्ति की चाहत में यह सरोगेसी कानून रुकावट बन सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

न्यूट्रिशन एंड कम्यूनिटी एक्सपर्ट पूजा कहती हैं कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत ART (Reproductive rights) बिल उन जोड़ों के लिए कुछ मानदंड निर्धारित करता है, जो सरोगेसी से गुजरने के योग्य हैं।

शुरुआत के लिए “सर्टिफिकेट ऑफ एसेंसियालिटी” आवश्यक है, जिसे जिला मेडिकल बोर्ड से पुष्टि का जरूरत है, जो इंफर्टिलिटी की पुष्टि करता है। साथ ही कोर्ट ऑर्डर आवश्यक है, जिसमें जरिए सरोगेट के माध्यम से पैदा हुए बच्चे का पेरेंटहुड और कस्टडी स्थापित होगी।

सरोगेसी इच्छित कपल का कोई भी जीवित बच्चा (जैविक, दत्तक, या सरोगेट) नहीं होना चाहिए।  हालांकि, यह उन बच्चों पर लागू नहीं है, जो बौद्धिक या शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं या जिन्हें जीवन का खतरा है।

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