20 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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पापा और बेटे से ज़्यादा मज़ेदार चीज़ क्या हो सकती है जब वह डाइपर बदलने की बात आती है।लेकिन इस मस्ती में कहीं न कहीं वह प्यार झलक रहा है। ऐसा लग रहा है दोनों एक दूसरे की कोशिश कर रहे हैं। पिता तो जैसे यह कर ही नहीं पा रहे हैं।
इसलिए जब बच्चों के ख्याल रखने की बात आती है तो माँ का नाम सबसे पहले आता है। ऐसे बहुत सी बातें होती है जनाब, जहाँ माँ से कोई नहीं जीत सकता।
बच्चों के पैदा होते ही हॉस्पिटल से हमें सलाह दी जाती है कि हमें उनके साथ बड़ी सावधानी बरतनी है इसीलिए उनके पैदा होते ही उन्हें कांच के एक कमरे में बन्द रखते हैं ताकि वह सभी हानिकारक चीज़ों से दूर रहें। बच्चों को होने वाली सर्दी, खासी या पेट दर्द, ये बात का इशारा हो सकता हैकी वह किसी एलर्जी से जुझ रहे हैं।कई एलर्जी ऐसी होती हैं जो माँ को होने के कारण बच्चों को भी हो जाती है |जैसे अगर माँ को पेन्सिलिन से एलर्जी है तो बच्चे को भी वो होनी ही है | नवजात बच्चों को सबसे ज़्यादा होने वाली एलर्जी होती है रैशेस, जो की गीली नैप्पी या मौसम के बदलाव के वजह से हो सकता है। माँओं को इस बात का धयान रखना चाहिए के वो अपने शिशुओं को बाहर के प्रदुषण और कीटाणुओं से बचा कर रखें, ये करने के लिए उनके घरों में जो भी बाहर से आ रहे हैं वो बच्चे को छूने से पहले अपना हाथ धो लें और फिर बच्चे के पास जाएँ।
शिशुओ को होने वाली एलर्जी के कारण
छोटे बच्चों पर कीटाणुओं का असर होते देर नहीं लगती और इसी कारण वो सर्दी या बन्द नाक का शिकार हो जाते हैं| उन छोटे बच्चों को बचाना माँओ की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी बन जाती है| हलकी फुलकी सर्दियाँ खुद ही चली जाती हैं लेकिन अगर सर्दी काफी दिनों से है तो इस वक़्त बहुत सावध़ानी बरतनी चाहिए। हमें बच्चों के नाक कोमल टिश्यू पेपर से पोछनी चाहिए | बन्द नाक के लिए डॉक्टर के बताए नोज़ ड्राॅप में डालें। रैशेस बच्चों में बहुत आम बीमारी होती है जो की गीली नैप्पी, पसीना या उनके पालके में सोने से होती है| ये बीमारी वक़्त के साथ खुद ही ठीक हो जाती हैं लेकिन अगर वो ठीक होने में ज़्यादा वक़्त लगा रहीं हैं तो हमें ये पता लगाना चाहिए कि रैशेस का कारण क्या है |अगर बच्चे को डायपर रैशेस हो तो हमें उसके डायपर के सही साइज को समझना चाहिए, फिर उसके रैशेस में एन्टी-फंगल पाउडर लगाना चाहिए ताकि रैशेस की लाली कम हो जाए| बच्चे के पसीने को हमें सावधानी से पोछना चाहिए क्योंकि ज़रा सी लापरवाही बच्चे की त्वचा पर रैशेस पैदा कर सकती है| बेज़ुबान बच्चे अपनी तकलीफ रो कर ज़ाहिर करते हैं और जब उन्हें दर्द होता है तो वे रोने के साथ साथ अपने पेट को पकड़ते हैं| शिशु को पेट दर्द की वजह कीटाणुओ का पनपना होता है| बच्चों को पेट दर्द या पेट ऐठन से मुक्ति दिलाने का तरीका है उनके पेट को ऐजवाईंन से सेकना या जो बच्चे माँ का दूध पीते हो उन माँओं को खुद ऐजवाईंन का पानी पीना चाहिए | डॉक्टर के बताये नुस्खे भी इस्तेमाल करें। नवजात बच्चे उल्टियां करते थकते नहीं और माएँ उन्हें साफ़ करते। बच्चों का पेट काफी छोटा होता है और ज़्यादा उलटी करने का कारण होता है कि उन्हें कोई एलर्जी है, खाना हज़म नहीं हुआ या बच्चे को खाना उसकी खुराक से ज़्यादा खिला दिया गया हो अगर उलटी ज़्यादा हो रही हो तो हमें बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा तरल पिलाना चाहिए ताकि बच्चे को निर्जलीकरण ना हो जब बच्चे को दूध पिलाया गया हो तो उसे कंधे पे रखकर डकार दिलाएं ताकि खाना हज़म हो जाए। बच्चों में एलर्जी होने का कारण सर्दी और खासी हो सकती है और इसी वजह से ये बीमारी और बढ़ती है। हीव्स एक एलर्जी होती है जो पाउडर, क्रीम या साबुन में मौजूद अन्य पदार्थ के कारण भी फैल सकती है। ये बीमारी ज़्यादा दिनों तक नहीं रहती इसमें सिर्फ छोटे फोडें पनपते हैं और ये वक़्त के साथ खुद ही गायब हो जाते हैं।इस बीच माओं को ये देखना चाहिए के बच्चे के आस पास ऐसी कोई भी चीज़ मौजूद न हो जिससे ये फोड़े फट सकते हैं जैसे उनका अन्य खिलौना आदि।
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