• Home  /  
  • Learn  /  
  • क्या अनुवांशिक परिक्षण (जेनेटिक टेस्टिंग) आपके शिशु के जीवन को बचा सकती है ?
क्या अनुवांशिक परिक्षण (जेनेटिक टेस्टिंग) आपके शिशु के जीवन को बचा सकती है ?

क्या अनुवांशिक परिक्षण (जेनेटिक टेस्टिंग) आपके शिशु के जीवन को बचा सकती है ?

6 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

जेनेटिक टेस्टिंग रक्त या उत्तकों के नमूनों के विश्लेषण द्वारा की जाती है। यह ये जानने के लिए किया जाता है की कोई व्यक्ति किसी ऐसे विक़ार से पीड़ित तो नहीं है,जो अनुवांशिक हो सकता है। अगर आप गर्भवती होने की योजना बना रही है तो जेनेटिक टेस्टिंग यह जानने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है की शिशु को कोई अनुवांशिक रोग है या नहीं।

एक व्यक्ति के रक्त नमूने से मिसिंग या दोषपूर्ण जीन का पता लगाना संभव है। ऐसे कई जेनेटिक टेस्ट है जिन्हें करवाने की आवश्यकता होती है,जो उस बिमारी द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसके भविष्य में विकसित होने का शक डॉक्टर को होता है।

गर्भावस्था के दौरान जेनेटिक टेस्टिंग :

गर्भावस्था के दौरान जेनेटिक टेस्टिंग के लिए आपके पास दो विकल्प हैं –

एमिनियोसेन्टसिस (amniocentesis)

कोरियोनिक विल्स सेमप्लिंग (chorionic villus sampling,[CVS])

1. एमिनियोसेन्टसिस गर्भावस्था के 15 – 20 हफ्तों के बीच की जाती है। एमिनोटिक द्रव कि थोड़ी सी मात्रा गर्भवती महिला के पेट से एक खोखली सुई का इस्तेमाल कर के निकाली जाती है। फिर इस द्रव की जांच द्वारा किसी भी जेनेटिक विक़ार का पता लगाया जाता है। यह शिशु के फेफड़ों की जांच द्वारा भी पता लगाया जा सकता है, विशेषकर की जब समय पूर्व प्रसव की संभावना हो। कुछ मान्यता है कि एमिनियोसेन्टसिस गर्भपात की थोड़ी बहुत संभावना को बढ़ाता है।

2. कोरियोनिक विल्स सेमप्लिंग गर्भावस्था के 10 – 12 हफ्तों के बीच की जाती है। इसमें प्लेसेंटा के एक छोटे टुकड़े को किसी भी बीमारी की जांच के लिए निकाला जाता है। यह डाउन सिंड्रोम, ट्रिसोमी 13, ट्रिसोमी 18 और अन्य गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं को जांचने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

3. यह दोनों टेस्ट जोखिम भरे होते है इसलिए यह रक्त परिक्षण के बाद ही किए जाते हैं। अगर किसी वाइरस का पता लगता है,तभी डॉक्टर आगे यह जेनेटिक टेस्ट करते हैं।

आपके डाक्टर इन स्थितियों में आपको जेनेटिक टेस्ट का सुझाव कर सकते हैं :

4. अगर आप गर्भवती होने की योजना बना रही है और आपके किसी नज़दीकी संबंधी कोई अनुवांशिक बीमारी है।

5. अगर आपके पहले शिशु को जन्म दोष था।

6. अगर आपका कई बार गर्भपात हुआ हो।

7. अगर आपकी उम्र 35 वर्ष या उससे अधिक हो।

8. अगर शिशु को कोई बीमारी है, तो वह अनुवांशिक हो सकती है और उसका निदान भी मुश्किल हो सकता है।

नैदानिक परीक्षण –

मामूली जन्म दोष के साथ आपके गर्भवती होने की संभावना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यह दो विकल्प उपलब्ध है।

स्क्रीनिंग टेस्ट आमतौर पर अल्ट्रासाउंड, रक्त परिक्षण द्वारा किए जाते हैं। नैदानिक परीक्षण जोखिम भरे होते हैं क्योंकि इसमें आपके शरीर में सुई डाली जाती है।

स्क्रीनिंग टेस्ट का फायदा यह है कि इससे आपकी गर्भावस्था प्रभावित नहीं होती है लेकिन इसका नुकसान यह है कि इससे आपको वास्तविक “हां या ना” नहीं मिलता है। लेकिन फिर भी किसी बीमारी या विकार का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है।

कोई भी कदम उठाने से पहले अपने डॉक्टर से इन सभी उपलब्ध विकल्पों के बारे में बात अवश्य करें।

A

gallery
send-btn

Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.