4 Apr 2022 | 0 min Read
Tinystep
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महाभारत हिन्दुओं के सबसे पौराणिक महाकाव्यों में से एक है। जिसके बारे में हर बच्चे ने कहानियों में सुना है। हम दावा करते हैं कि हमें इसके बारे में बहुत कुछ पता है। हालांकि इस ग्रंथ में ऐसी कई चीजें हैं, जो आज भी कई लोगों के लिए रहस्य है। वास्तव में यह महाकाव्य दिलचस्प तथ्यों से भरा है,जो ऐसे बताना या विस्तारपूर्वक टेलीविजन पर दिखाना संभव नहीं है। द्रौपदी महाभारत की भव्य चरित्र है जिन्हें परिचय की आवश्यकता नहीं है। एक रहस्यमय लेकिन उग्र पत्नी,जो बुरी परिस्थितियों में रोई या घबराई नहीं बल्कि दृढ़ता के साथ उसका सामना किया। वह एक प्रतिष्ठित राज्य की राजकुमारी थी लेकिन कहा जाता है की उनका जन्म सामान्य शिशुओं की तरह नहीं हुआ था। बल्कि वह आग से जन्मी थी। ऐसे अनेकों तथ्य है,जो आपको चौंका देंगे और हमने आपके लिए उन्हें सूचीबद्ध किया है।
उनका दृढ़विश्वास
पौराणिक काल में ऐसा कुछ होना कोई आम बात नहीं है लेकिन द्रोपदी ने कभी भी चुप रहने पर यकीन नहीं किया उन्होंने इंसाफ़ के लिए आवाज़ उठाई जब भरी सभा में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। यहां तक की चीर हरण के दौरान उन्हें ना बचाने के लिए उन्होंने महान योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य,कृपाचार्य और अपने पति अर्जुन की निंदा की।
उनका बचपन नहीं था
अक्सर इन्हें याज्ञसेनी भी कहा जाता है क्योंकि यह अपनी मां के गर्भ से नहीं जन्मी थी। यह एक वयस्क के रूप में अग्नि से उत्पन्न हुई थी। इनका कोई परवरिश या बचपन नहीं था।
काली का अवतार – दक्षिण भारत में यह मान्यता है की द्रोपदी महाकाली का अवतार थी। जो दुष्ट कौरवों का विनाश और भगवान विष्णु की सहायता करने के लिए जन्मी थी।
उन्होंने कुत्तों को श्राप दिया – पांडवों के साथ हुए समझौते के अनुसार द्रोपदी के कक्ष में एक समय पर केवल एक ही भाई को जाने की इजाजत थी और जो भी कक्ष में आए उसे अपने जूते एक संकेत के तौर पर बाहर रखने होते थे। एक दिन एक कुत्ता बाहर से युधिष्ठिर के जूते उठाकर ले गया। तब क्रोध में द्रौपदी ने कुत्तों को श्राप दिया कि सारी दुनिया उन्हें संबंध बनाते देखेगी और उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।
द्रौपदी की कनस्तर – पूरे भारत में द्रौपदी के कनस्तर से अभिप्राय है द्रौपदी की रसोई,एक ऐसी रसोई जिसमें हर चीज़ भरपूर मात्रा में हो और ऐसा रसोईघर एक कुशल गृहिणी की ओर संकेत करता है,जो द्रौपदी अवश्य थी।
उन्हें कुंवारी रहने का वरदान प्राप्त था– एक पति से दूसरे पति के पास जाने से पहले द्रौपदी को आग से गुजरना पड़ता था अपना कौमार्य प्राप्त करने के लिए और शुद्ध होने के लिए।
उन्होंने कभी अपने पतियों पर भरोसा नहीं किया – भरी सभा में द्रौपदी ने आवाज लगाई लेकिन उनके किसी भी पति ने उनके साथ हो रहे अन्याय को नहीं रोका। अपने पतियों पर भरोसा ना करने के उनके अपने कुछ कारण थे। उनके अज्ञातवास के आखिरी वर्ष में जब किचक उन्हें अपमानित करता है, तो वास्तविक पहचान का भेद ना खुल जाने के भय से वह किचक को नहीं मारते है।
हिडिंबा का बदला – भीम की पत्नी हिडिंबा एक राक्षसी थी। द्रौपदी ने हिडिंबा और उसके पुत्र घटोत्कच को श्राप दिया कि वह स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे और इसके बदले में हिडिंबा ने भी द्रौपदी के को श्राप दिया। यह लड़ाई पांडवों के वंश की समाप्ति तक चली।
एक अनोखा वचन – जब द्रोपदी पांचों पांडवों की पत्नी बनने के लिए तैयार हो गई तब उन्होंने वचन मांगा की वह किसी भी अन्य स्त्री के साथ अपनी गृहस्थी नहीं बांटेगी।
केवल भगवान श्री कृष्ण उनके दोस्त थे – द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को हमेशा अपना सखा मानती थी। सिर्फ भगवान श्री कृष्ण ही थे, जो हर मुश्किल परिस्थिति में द्रौपदी की रक्षा करते थे।
आशा करते हैं यह तथ्य आपके लिए जानकारी का स्त्रोत होंगे। इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करना ना भूले।
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