24 Mar 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
हर माता पिता चाहते हैं कि उनका शिशु जन्म से ही स्वस्थ और सुरक्षित रहे। लेकिन अधिकांशत: नवजात शिशु में पीलिया होता है। यूं तो जन्म के दौरान शिशुओं में पीलिया होना काफी आम है और एक-दो हफ्ते में यह खुद-ब-खुद ठीक भी हो जाता है। मगर ऐसा न होने पर पीलिया का इलाज करने की जरूरत पड़ सकती है। इसी वजह से इस लेख में हम नवजात शिशुओं में पीलिया, इसके कारण, लक्षण के साथ ही पीलिया के उपचार के बारे में बता रहे हैं।
शिशु में पीलिया का कारण समझने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें। इन कारणों में निम्नलिखित शामिल है।
पीलिया होने से पहले ही कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसपर ध्यान देकर समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है। साथ ही समय पर जॉन्डिस का इलाज किया जा सकता है। पीलिया के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं।
शिशु को पीलिया की समस्या है, तो डॉक्टर इलाज की कुछ प्रक्रियाओं को अपना सकते हैं। पीलिया के उपचार कुछ इस तरह से किए जा सकते हैं।
इस थेरेपी के लिए शिशुओं को वेवलेंथ रे (Wavelength Ray) छोड़ने वाली मशीन के नीचे लिटाया जाता है। इस समय शिशु के आंखों को नुकसान न पहुंचे। इस बात को ध्यान रखते हुए आंखों पर पट्टी लगाया जाता है। इस थेरेपी को आधे घंटे तक किया जाता है।
नवजात शिशु प्रति दिन लगभग 6 से 8 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बिलीरुबिन का उत्पादन करते हैं। यह वयस्कों में उत्पादन दर के दोगुना अधिक है। यह बिलीरुबिन का उत्पादन आमतौर पर जन्म के 10 से 14 दिनों में गिरना शुरू हो जाता है। आगे समझते हैं पीलिया चार्ट के बारे में, जिसे बिलीरुबिन की मात्रा के हिसाब से ही बनाया जाता है। नीचे बताया गया बिलीरुबिन व पीलिया का स्तर होने पर स्वस्थ शिशु को जांच की आवश्यकता पड़ सकती है।
बिलीरुबिन स्तर | शिशु की उम्र |
10 एमजी से ज्यादा | 24 घंटे से कम के नवजात शिशु |
15 एमजी से ज्यादा | 24-48 घंटे तक के नवजात शिशु |
18 एमजी से ज्यादा | 49-72 घंटे तक के नवजात शिशु |
20 एमजी से ज्यादा | 72 घंटे से ऊपर के नवजात शिशु |
नवजात शिशु में पीलिया कुछ दिनों में ठीक नहीं होता है, तो सतर्क हो जाएं। पीलिया एक खतरनाक समस्या है, जिसका समय रहते इलाज कराना जरूरी है। अगर किसी शिशु में पीलिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उसे तुंरत डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही पीलिया के कारण को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर द्वारा बताए गए इलाज और देखभाल के तरीकों को अपनाएं।
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