7 Apr 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
घर में पालतू जानवर रखना बच्चे को बहुत कुछ सिखाता है। इसमें जीवन की वो मूल्यवान सीख भी शामिल हैं, जिन्हें समझने और सीखने में लोगों को बरसों लग जाते हैं। साथ खेलना, गले लगाना, उसका ख्याल रखना, घूमाने ले जाना, इन सबके चलते पालतू जानवर बच्चों के बेहद करीब आ जाते हैं। इस करीबी के चलते पालतू जानवर बच्चे को जीवन के ढेरों अहम पाठ पढ़ाते हैं। आइए, इनपर एक नजर डालते हैं।
अपने परिवार के लिए पालतू जानवर अपनी जीवनशैली के अनुकूल ही चुनें। मछली, कछुए या हम्सटर को बिल्ली या कुत्ते की तुलना में कम समय देना पड़ता है। अगर आप लोग बहुत यात्रा करते हैं, तो ऐसे जानवर को चुनें, जिसे ज्यादा केयर की जरूरत न हो और घर में अकेला छोड़ा जा सके। सभी पालतू जानवर बच्चों को दयालुता के साथ ही नीचे बताए जा रहे कौशल सिखाते हैं।
बच्चों को बीमारी, दुर्घटना प्रजनन और मृत्यु जैसी बातें समझाना मुश्किल होता है। ये काम भी पालतू जानवर कर सकते हैं। कभी घर में पैट (Pet) बीमार पड़ जाए, वो बच्चा पैदा करे या उसकी मृत्यु हो जाए, तो इससे बच्चा लाइफ साइकिल समझता है। साथ ही शोक प्रक्रिया और इसके दुख से निकलने का तरीका भी सीख लेता है।
पालतू जानवर बहुत वफादार होते हैं और इस बात का एक अच्छा उदाहरण देते हैं कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। पालतू जानवर से बच्चे ये सीखते हैं कि जब सामने वाले प्यार और इज्जत से पेश आते हैं, तो किस तरह से व्यवहार करना चाहिए।
कई बार हम तो समय पर नए पेट यानि पालतू जानवर के साथ बॉन्ड बना लेते हैं, लेकिन पेट यानि पालतू जानवर को वक्त लगता है। इससे बच्चा सब्र रखना और बॉन्ड बनाने की कोशिश जारी रखने की कला सीखते हैं।
पालतू जानवर मदद करना भी सिखाते हैं। खासकर, कुत्ते। घर में कभी बॉल खेल रहे हों, तो जितनी बार भी गेंद दूर जाती है, तो पैट उसे लाकर देते हैं। इससे बच्चे मदद करने का कौशल सीख सकते हैं।
रोज पालतू जानवर का ख्याल रखते-रखते बच्चे जिम्मेदारी भी समझने लगते हैं। रोज एक निर्धारित समय पर पैट को खिलाना, उसे सैर के लिए ले जाना, उसे नहलाना, इन सबसे बच्चे जिम्मेदार हो जाते हैं।
पालतू जानवर के साथ बड़े होने वाले बच्चे जानवरों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। वो सहानुभूति (empathy) को समझते हैं। दूसरे के दर्द-तकलीफ को समझने का कौशल इनमें आता है, जो इन्हें एक अच्छा इंसान बनाते हैं।
पालतू जानवर यह सिखाने का एक शानदार तरीका हैं कि हमें अन्य जीवों से कैसे पेश आना चाहिए। साथ ही हम उन्हें बिना चोट पहुंचाए कैसे संभाल सकते हैं। बच्चा घर में जानवर की जरूरतों और भावनाओं को देखकर यह भी समझते हैं कि जिस तरह हमें चोट लगने पर दर्द होता है, ठीक वैसा ही उन्हें भी होता है। इसलिए , वो समझ जाते हैं कि बेवजह रास्ते में चलते जानवरों को पत्थर मारना और शरारत के नाम पर कुछ ऐसा करना गलता है।
हर पैट की अपनी अलग जरूरत और स्वभाव होता है। आप घर में कुत्ते के साथ खेलते हैं, उसके साथ दौड़ते हैं और बिल्ली के साथ कुछ देर खेलकर उसे अपने में मस्त रहने देते हैं। इससे बच्चा भी समझेगा कि बिल्ली को अपने पीछे दौड़ते-भागते लोग पसंद नहीं हैं।
इससे छोटी उम्र में ही बच्चे को यह सिखाने में मदद मिलेगी कि हर किसी को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए, जैसा वो है। हर किसी की पसंद और प्रवृत्ति अलग होती है, इसलिए उसे वैसे ही रहने देना ही अच्छा है।
इसमें कोई शक नहीं कि पालतू जानवर बच्चों को छोटी उम्र में ही बहुत कुछ सिखाते हैं। बस ध्यान दें कि घर में कुत्ता या बिल्ली पालने से बच्चे को एलर्जी, कान का इंफेक्शन और श्वसन पंथ संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण इनके महीन बाल होते हैं। बच्चों का इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है, इसलिए वो इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए सतर्क रहें।
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