21 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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शिशु को जन्म देने के बाद का समय मां व बच्चे दोनों के लिए तनावपूर्ण होता है, इसलिए यह ज़रूरी है कि हर संभव प्रयास द्वारा संक्रमण के खतरे को टाला जा सके उचित उपचार द्वारा उससे बचा जाए।
तो आइए जानते हैं कि प्रसव के बाद क्या करें व क्या ना करें
प्रसव के बाद टेम्पोंन का इस्तेमाल करने से आपको संक्रमण हो सकता है, क्योंकि टेम्पोंन जन्म देने के दौरान आए घाव के भीतर आघात पहुंचा सकता है, चूंकि घाव अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ होता है,इसलिए इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
एक ही नेपकिन को ज्यादा देर तक लगाए रखने से संक्रमण हो सकता है और इससे घाव में भी जलन व खुजली आदि जैसी समस्या हो सकती है।इसलिए सबसे बेहतर उपाय है कि सफाई का ध्यान देते हुए अपने सेनेटरी नेपकिन को हर चार घंटे बाद बदलती रहें।
प्रसव के बाद हो रहे खून के रिसाव अर्थात (luchia) के रूकने का इंतजार करें क्योंकि जबतक घाव पूरी तरह ठीक ना हो और प्लेसेंटा से हो रहा रक्त रिसाव ना रूके तब तक शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें|ऐसे में सेक्स करने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
सही मुद्रा में बैठना वैसे तो हमेशा ही जरूरी है किंतु प्रसव के बाद यह और भी अधिक जरूरी होता है ताकि आप कमर दर्द से राहत पा सकें|इससे पेरीनुम जो कि स्त्रियों के गुदा व योनि के बीच का भाग होता है वहां भी दबाव कम पड़ता है, जिससे आप अधिक राहत महसूस करेंगी।
प्रसव के बाद तकिये व पैडेड रिंग पर बैठने से पेरीनुम व आपके कपड़ो के बीच घर्षण की स्थिति कम होगी अर्थात वह आपस में कम रगड़ेंगे जिससे कि उस जगह सूजन व तकलीफ नहीं होगी । तकिए पर बैठने से दर्द भी कम होगा व आप आराम से बैठ भी पाएंगी।
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