21 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
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अन्य किसी भी रिश्ते की तरह ससुराल वालों की भी आपके निजी मामलों में दखल देने की आदत हो सकती है, ऐसे में आपको यह ज़रुर याद रखना चाहिए कि वह भी आपके परिवार का अहम हिस्सा है, और ज्यादातर वे आपकी सहायता करने की हीं कोशिश कर रहें है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं वो सात तरीके जिनकी मदद से आप अपने व ससुराल वालों के बीच हो रही संघर्ष की स्थिति को दूर कर सकती है।
कई समस्याएं तभी ठीक हो जाती है जब हम उन्हें ज्यादा दिल पर नहीं लेते, अगर आपके ससुराल वाले ऐसा कुछ कर या कह रहे जो आपकी नज़रों में सही नहीं है तो उसके मजाकिया पहलू को देखें और आगे बढ़े, क्योंकि एक ही मुद्दे को लेकर बार-बार बहस करने से आपका समय भी बर्बाद होगा।आपको इससे मानसिक व शारीरिक थकावट भी होगी |ऐसे हालात कोई भी अपने जीवन में नहीं चाहता, खासकर कि ससुराल वालों से हुई छोटी सी नोक-झोंक के कारण, इसलिए गहरी सांस लें व इन बातों पर अधिक ध्यान ना दें।
ऐसा माना जाता है कि एक नकारात्मक मुलाकात को बदलने के लिए आठ सकारात्मक मुलाकातों का समय लगता है, इसलिए हमेशा उनके आभारी रहे। जो भी वह आपके लिए कर रहे हों, उसकी सराहना करें, इससे एक सकारात्मक माहौल बनेगा जिससे सब में अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहन मिलेगा और संघर्ष की स्थिति भी कम होगी।
लोग बहुत सी बुरी व अनावश्यक आलोचना करते हैं, विशेषकर कि ससुराल वाले, ऐसे में यह ध्यान दें कि कब उन बातों पर प्रतिक्रिया देनी है व कब नहीं? स्थिति को शांत करने की कोशिश करें, बातों को भुलाने की कोशिश करें क्योंकि उनके बदलने की संभावना बहुत कम है।
खुलकर बातचीत करना किसी भी रिश्ते का अहम पहलू होता है। अगर आप अपने पति, ससुराल वालों व माता पिता से खुलकर बातचीत नहीं करती है तो यह रिश्तों में बहुत बड़ी समस्या बनता है, इसलिए उनसे बात करना एक अच्छा विचार है। इससे आप अपनी समस्याओं को सीधे तौर पर उनके सामने रखेगी और उनका समाधान पाने में भी सक्षम होंगी।
जब बात आपके अपने परिवार पर आती है तो निश्चय ही आपको पूरा अधिकार है अपने निजी जीवन में ससुराल वालों की दख़लअंदाज़ी की सीमा तय करने का| इस बात का ध्यान रखें कि आप दायरों में रहकर किसी भी समस्या पर बात करें और हर वक्त अपनी ना चलाएँ व जिद्दी ना बने, क्योंकि यह आपके पति का परिवार है और वे सबकुछ केवल अपने बच्चे के लिए कर रहे हैं।
कई बार हम ससुराल वालों के सुझाव व सलाह पर ध्यान नहीं देते हैं। हम यह सोचते हैं कि यह पुरानी सोच के विचार है और आज के जमाने में इनका कोई मतलब नहीं है| कई बार उनकी सलाह व सुझाव बेहद मददगार सिद्ध हो सकते है, तब भी जब वह पारंपरिक सोच के लगें, सुनने से आपको कोई तकलीफ़ नहीं होगी और इस तरह अगर आप उनकी राय मानेगी तो, उन्हें भी अच्छा महसूस होगा।
आप उनकी नजर से भी हालातों को समझने का प्रयास करें, क्योंकि वह भी एक माता-पिता है और अपने बच्चे की मदद करने की कोशिश कर रहें है | वे उसके जीवन का अहम हिस्सा बने रहना चाहते हैं। उन चीजों पर ध्यान ना दें, जो आपको स्वयं लगता है कि कोई बड़ी समस्या नहीं है और अगर है तो समझदारी से काम लें। यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको समझदारी से काम लेना होगा फिर चाहे आपकी गलती हो या ना हो।
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