13 Apr 2022 | 1 min Read
Tinystep
Author | 2574 Articles
दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और खूबसूरत त्योहार माना जाता है| हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से दिवाली कार्तिक के 15 दिनों बाद मनाई जाती है और इसी कारण हर साल दिवाली अलग-अलग तारीख़ में पड़ती है| दिवाली रौशनी का त्योहार माना जाता है और इस त्योहार के आने पर सारा देश जगमगा उठता है| दिवाली के चारो दिन अलग-अलग तरीकों से मनाये जाते हैं, दक्षिण भारत में दिवाली को नरका चतुरदासी के नाम से जाना जाता है और ये उत्तर भारत से एक दिन पहले दक्षिण भारत में मनाई जाती है|
उत्तर भारत में दिवाली
उत्तर भारत में दिवाली मानाने का कारण है भगवान राम की रावण से जीत| ऐसा कहा जाता है की जब भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे तो लोगों ने उनका स्वागत पुरे गाओं को दिए से सजा कर और पटाखे फुड कर किया था| दिवाली के दिन उत्तर भारत के लोग देवी लक्ष्मी की पूरी आस्था से पूजा करते हैं| लोग अपने घरों की अच्छे से साफ़ सफ़ाई करते हैं, उसे सजाते हैं, दीयों से सजाते हैं और ये सब इसलिए ताकि देवी लक्ष्मी उस घर में अपने कदम रखें और अपनी शुभकामनायें उस घर पर भरसाएं| दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है, लोगों का मानना है इस दिन सोना, चाँदी या चाँदी के बर्तन खरीदना शुभ होता है| हिंदी का फाईनेंशिअल साल दिवाली के साथ शुरू होता है और इसलिए ये त्योहार व्यापारी और कारोबारी लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है| दिवाली की सुबह घर को सजाने में निकल जाती है और शाम के समय सब पूजा में व्यस्त रहते हैं और पूजा के बाद बच्चे और बड़े पटाखे फोड़ते हैं, सब अपने-अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और साथ ही तोहफ़ों का भी लेन देन होता है| इस दिन कई जगहों पर नुक्कड़ों में राम-लीला का समारोह भी होता है|
दक्षिण भारत में दिवाली
दक्षिण भारत में दिवाली भगवान कृष्णा की दानव नाराकसुरा पर जीत प्राप्त करने की ख़ुशी में मनाया जाता है| इसलिए दिवाली के एक दिन पहले जो की अमावस पड़ता है, दक्षिण भारत के लोग नारक चतुरदासी मनाते हैं जिसे इस भाग का असली त्योहार माना जाता है| इस दिन लोग नए कपडे पहनते हैं, एक दूसरे को तोहफ़े देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं| इस दीन पटाखे भी फोड़े जाते हैं लेकिन ये भी कई शहरों में अलग तरीके से किया जाता है, जैसे तमिल नाडु में लोग दिवाली के दोनों दिन पटाखे फोड़ते हैं, जब की कर्नाटक और आंध्रा प्रदेश में नारक चतुरदासी के दिन लोग तेल से स्नान करते हैं, घरों की सफाई करते हैं और मिठाइयां बनाते हैं| नारक चतुरदासी के दूसरे दिन लक्ष्मी पूजा मनाई जाती है जब लोग अपने घरों में दिए जलाते हैं और घर के दरवाज़े खुले रखते हैं ताकि देवी लक्ष्मी आराम से सब के घरों में अपने दर्शन दे सकें|
चाहे दिवाली कहीं भी किसी भी तरह मनाई जाए, मायने ये रखता है की लोग इस त्योहार का मज़ा लें!
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.