कैसे बनाएं पोहा कटलेट   आप दिल जीत लेंगे

कैसे बनाएं पोहा कटलेट आप दिल जीत लेंगे

20 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

 

गर्भावस्था, महिलाओं के जीवन में कई सारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव लाती है। गर्भवती महिला के लिए आहार बहुत महत्वपूर्ण है। शिशु की पोष्टिक तत्वों की आवश्यकता प्रत्यक्ष रूप से माँ द्वारा ही पूरी होती है। इस प्रकार, मार्निंग सिकनेस और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, एक गर्भवती महिला को सही प्रकार के भोजन का सेवन करने की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक तिमाही के साथ, जिस तरह शिशु बढ़ता है। उसी प्रकार गर्भवती महिला की आहार आवश्यकताओं में भी परिवर्तन होता है। जो भोज्य पदार्थ सामान्य व्यक्ति के लिए पौष्टिक माने जा सकते हैं, वहीं एक गर्भवती महिला के लिए अस्वस्थ हो सकते हैं, इसलिए आदर्श रुप से डाक्टर द्वारा सुझाए गए आहार का पालन करना बेहतर होता है।

प्रथम तिमाही के दौरान आहार

पहला तिमाही गर्भावस्था का बहुत नाज़ुक चरण होता है। जो, आहार इसके लिए चुना जाए वह संतुलित होना चाहिए और माँ व शिशु के लिए अधिक्तम पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होना चाहिए।

1. सब्जियाँ

सब्जियाँ सदैव ही स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी रही है। टमाटर, पालक, गाजर, ब्रोकली, लाल व पीली शिमलामिर्च, मक्का,वींटर स्क्वैश (winter squash), शकरकंदी और सेम जैसी सब्जियां बहुत ही पौष्टिक और स्वस्थ होती है। पालक, फोलेट, विटामिन ए, सी, के, लौह तत्व, मैग्नीशियम और रेशे को प्राप्त करने का समृद्ध स्रोत है। दूसरी ओर सेम प्रोटीन और रेशों से युक्त होता है। इन सब्जियों को रोजाना 3-4 बार ( 1 serving = 1 cup vegetable) खाने की कोशिश करें।

2. फल 

 खट्टे फल जैसे संतरा, अंगूर आदि विटामिन सी से भरपूर होते हैं। दूसरी तरफ केला रेशे, पोटेशियम और बी-6, से युक्त होता है। इससे गर्भवती महिला को मार्निंग सिकनेस से बहुत राहत मिलती है। 3-4 बार ताजे फलों का सेवन, गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। यदि आहार में फलों के जूस को सम्मिलित किया गया है, तो वह ताजे फलों का रस होना चाहिए।

3. प्रोटीन

 प्रोटीन जैसे की मछली, सूखे मेवे, (lean meat),(poultry) और अंडे आदि पौष्टिक होते हैं इसलिए इन्हें आहार में सम्मिलित किया जाना चाहिए। रोजाना 2-3 बार इनका सेवन किया जाना चाहिए।

4. दुग्ध उत्पाद 

 दूध, दही, मक्खन, चिज़ यह सभी कैल्शियम के उत्तम स्त्रोत है और इसलिए इन्हें प्रथम तिमाही के आहार में शामिल किया जाना चाहिए। जो महिलाएँ लैक्टोस को ग्रहण नहीं कर सकती हैं, उनके लिए सोया मिल्क ( कैल्शियम फांर्टफाइड) एक बेहतरीन विकल्प है। इसका सेवन दिन में 3-4 बार करना चाहिए।

5. अनाज

 अनाज शरीर को आवश्यक आहार रेशे प्रदान करते हैं। एक गर्भवती स्त्री को रोजाना कम से कम तीन बार अनाज, रोटी आदि का सेवन करना चाहिए।

दूसरे तिमाही के दौरान आहार

दूसरा तिमाही तुलनात्मक रूप से थोड़ा आसान होता है और पौष्टिक आवश्यकताएं भी इस दौरान बदल जाती है।

1. फल और सब्जियाँ 

 ऐवेकेडो और सट्रोबैरी पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। सब्जियाँ जैसे पालक, ब्रोकली, गाजर, पत्तागोभी आदि लोह तत्व और फोलेट के उत्तम स्त्रोत होते हैं। इनका सेवन रोजाना दिन में 5- 6 बार किया जाना चाहिए।

2. प्रोटीन

 सेम,(lean meat), मछली, (lentils) और अण्डे लौह तत्व और प्रोटीन से भरपूर होते हैं और इनका सेवन रोजाना 2-3 बार किया जाना चाहिए।

3. दुग्ध उत्पाद 

 आमतौर पर ( कम वसा) शरीर की कैल्शियम की आवश्यकता का ध्यान रखता है। इसका सेवन रोजाना 2-3 बार किया जाना चाहिए। ओमेगा-3 फैटी एसिड शिशु के दिमाग के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। तैलीय मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है और इसे हफ्ते में एक बार लेना चाहिए या फिर डॉक्टर की सलाह अनुसार भी ले सकते हैं।

4. कार्बोहाइड्रेट आहार 

अनाज, ब्रेड, रोटी आलू और चावल को आहार में शामिल किया जाना चाहिए।

 तीसरे तिमाही के दौरान आहार

तीसरे तिमाही में आहार में भी कुछ परिवर्तन होते हैं और निम्नलिखित भोज्य पदार्थ निस्संदेह, तीसरे तिमाही के लिए सबसे उपयुक्त है।

1. सेम, चिकन, और हरा सलाद

यह प्रोटीन से युक्त होते हैं– इनमें से अधिकतर भोज्य पदार्थ ज़िंक और लौह तत्व के उत्तम स्त्रोत है औरत इन्हें आहार में शामिल किया जाना चाहिए।

2. साल्मन (salmon) 

साल्मन ओमेगा-3 फैटी एसिड प्राप्त करने का उत्तम स्त्रोत है– यह शिशु के दिमाग के विकास के लिए आवश्यक है, जो इसे आहार में सम्मिलित करने के लिए जरूरी बनाता है।

3. अंडे

अंडे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है यह सभी जानते हैं– अंडे (choline) के उत्तम स्त्रोत है और कोशिकाओं के सामान्य विकास का ध्यान रखते हैं। यह शिशु के सही स्मृति विकास में भी सहायक होता है।

4. मेवे (काजू, अखरोट और पिस्ता)

यह प्रोटीन, आवश्यक रेशों, स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं। और तीसरे तिमाही के लिए यह उपयुक्त है।

5. फल और सब्जियां

सेब, बैरी, कीवी, तरबूज, संतरा और सब्जियां जैसे आलू, चुकंदर और पालक आदि इस दौरान आहार का एक अहम हिस्सा होना चाहिए।

 

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