video masik badlav aapke aur shishu mein

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14 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

 

[youtube https://www.youtube.com/watch?v=NUqK-X7ptHw]

क्या एक माँ की सोच, गर्भ में शिशु को प्रभावित करती है?

जी हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि माँ की सोच में इतनी ताकत होती है कि वह सीधा शिशु के विकास को प्रभावित करती है। यहाँ तक की वह शिशु पर आयी हानि को सुधार भी सकती है।

इसका वैज्ञानिक कारन है। जो भी माँ सोचती/करती है, वह सीधा न्युरोहार्मोंस (neurohormones) के ज़रिये शिशु तक पहुंच जाता है। और हो भी क्यों ना, इस बात का इतिहास गवाह है।

गर्भावस्था में माँ का भाव इसपर निर्भर करता है कि वह अपनी प्रेगनेंसी को कैसे ले रहीं है। गोदभराई, शादी, काम, हस्बैंड, परिवार, स्वास्थ आदि पर भी यह निर्भर करता है।

नकारात्मक सोच ज़्यादातर गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग में असर डालती है। यह पाया गया है कि जिन लोगों की प्रेगनेंसी बहुत स्ट्रेस्फुल होती है, उनके शिशु के व्यवहार में फर्क पता चल जाता है। माँ के बहुत ज़्यादा तनाव में होने पर शिशु के विकास में खराबी भी पायी गयी है, जैसे की उनका चिड़चिड़ा होना, रोना आदि। माँ का तनाव में रहना, शिशु के खून में असर डालता है।

जब आप खुश होते हैं तो आपका शरीर एक केमिकल का उत्पाद करता है जिसे एंडोक्राइनव कहा जाता है। यह बच्चे की दिमागी विकास के लिए अच्छा होता है ।

शिशु के सही विकास का एक अद्भुत तरीका होता है उसके बारें में विचार करना। अक्सर लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो की शिशु को हानि भी पंहुचा सकता है। आइये जानते हैं कुछ बातें जिनका आपके गर्भावस्था में सोचना उचित है।

अपने शिशु के अच्छे और सही विकास के लिए एक माँ को क्या सोचना चाहिए

1. शिशु को बढ़ते हुए सोचना

इस बात से फर्क नहीं पढ़ता कि वह 1cm है या 10cm। फर्क इससे पढता है कि आपके भाव कैसे है? क्या आप तंदरुस्त सोच रखते हैं। माँ के सोचने का असर शिशु के विकास पर सीधा पढता है। इसलिए हमारा यह सुझाव है कि आप अपने शिशु की अच्छी ग्रोथ का सोचें।

2. सोचिये की आपका स्वस्थ्य शिशु कैसा दिखेगा?

यह सोचिये की जब आपका शिशु इस दुनिया में आएगा, तब वह कैसा दिखेगा? क्या वह आप जैसा होगा? आप उसे कैसे देखना चाहती हैं?

3. सोचिये की गर्भ में स्वस्थ्य शिशु के होने पर कैसा लगता है

आप यह विचार कर सकते हैं कि शिशु गर्भ में खुश है। वह आपसे बात करने की कोशिश कर रहा है। उसने इस दुनिया में आने से पहले ही आपको माँ बना दिया है।

4. सोचिये की एक स्वस्थ्य बच्चे की आवाज़ कैसी होती है?

आप यह सोच सकते हैं कि वह आपको कैसे पुकारेगा? एक खुशमिजाज शिशु क्या और कैसे बोलता है, इसका जतन करें।

5. सोचिये की उसका नन्हा सा स्वस्थ दिल कैसे काम कर रहा है

जैसे ही शिशु आपके गर्भ में आता है, मनो आपकी धड़कन उससे जुड़ जाती है। आप यह धड़कन सुनने का प्रयास करें। एक स्वस्थ और साफ़ दिल की कल्पना करें।

6. यह कल्पना करें कि उनके हाथ कैसे चल रहे हैं

क्यूकि हर रोज़ आपके शिशु की बॉडी विकसित होती है। आप यह सोचें कि कैसे आपके नन्ही सी जान के हाथ काम कर रहे हैं। कैसे वह उसे हिलाने की कोशिश कर रहा है। कब आप उन स्वस्थ नन्हें हांथों को पकड़ेंगी।

7. कैसे उनका स्वस्थ्य शारीरिक विकास हो रहा है

यह एक बहुत ही अद्भुत विकास होता है। कैसे आपका शिशु एक तिल के दाने के आकर से इंसानी शरीर का रूप ले लेता है। इसकी कल्पना करें कि कैसे यह सब हो रहा है स्वस्थ तरीके से।

8. यह सोचिये की कैसे वह गर्भ में मुस्कुरा रहा है

आपका गर्भावस्था में यह सोचना कि शिशु खुश है और वह आराम से मुस्कुरा रहा है। खासकर आप जब उससे बात करते हैं।

हमारा यह सुझाव है कि दिन का पांच मिनट निकाल के आप एक स्वस्थ शिशु के बारें में सोचें। यह इस बात से परे हों की आपका दिन कैसा है या आपकी ज़िन्दगी में क्या दिक्कतें हैं। अपने शिशु के लिए, दिन का कुछ पल निकालें, उनके अच्छे विकास के लिए। याद रखियेगा, आपकी सोच शिशु पर सीधा असर डालती है।

इसे पढ़ने के बाद ज़रूर शेयर करें ताकि बाकी मायें जागरूक हो पाएं।

यह एक औरत के ज़िन्दगी का वह पल होता है जब वह सबसे ज़्यादा बदलाव से गुज़रती है। वह दो जान है। ज़रूर जानें और शेयर करके किसी माँ को शिक्षित करें –

 

 


 

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