9 May 2022 | 1 min Read
Tinystep
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शिशु को चैन से सुलाने से पहले हमें उनके न सोने का कारण जानना होगा । अगर आपको लगता है की सिर्फ आपके साथ ही ऐसा होता है तो आप गलत हैं। क्योंकि आप की तरह अनेक महिलाएं हैं जिन्हे शिशु को रात में सुलाने में दिक्कत होती है। कुछ बच्चे तो रात में बिस्तर पर जाना ही नहीं चाहते और ऐसे ही घर में चलते रहते हैं। बच्चे बड़ी मिन्नतों के बाद माँ के साथ सोने जाते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वह न सोने के और कई बहाने ढूंढ लेता है। कभी-कभी बिगड़े स्वास्थ्य के कारण बच्चों को नींद नहीं आती है। वे दिन में सोते हैं इसी कारण रात में उन्हें सही समय पर नींद नहीं आती। ऐसा भी हो सकता है की नींद के बीच बच्चा उठ जाये।
1. बच्चे को सुलाने के कई तरीके हैं और आप अपने घरवालों और बच्चे के अनुसार सोने का तरीका तय कर सकती हैं। याद रखिये की आपको रोज़ाना बच्चे को एक ही समय पर सुला देना चाहिए ताकि बच्चे की आदत बन जाये।
2. आपको बच्चे को समय पर सोने के फायदे बताने चाहिए ताकि उसे जल्दी सोना अच्छा लगे। आपको बच्चे को सोने से पहले भर पेट खाना खिला देना चाहिए। इस तरह से बच्चा 6 हफ़्तों से ही समय पर सोना सीख जायेगा।
3. दिन भर आप शोर शराबा कर सकती हैं और खेलकूद में व्यस्त रखिये पर रात को शांत और आरामदाय माहौल बनाये रखिये। इससे बच्चे का शरीर एक नेचुरल बॉडी क्लॉक पर सेट हो जायेगा। उनको दिन और रात में फर्क पता चल जायेगा।
4. बच्चे को बिना माँ के नींद दिलाने की कोशिश करें। आप इस प्रकार उन्हें किसी और पर निर्भर होने से बचा सकती हैं। वे आपके बिना भी सो सकेंगे और ये उनके लिए ही अच्छा रहेगा क्योंकि वे आत्म-निर्भर बन रहे हैं।
5. बिस्तर पर सोने का एक समय निर्धारित कर लें। बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं, उनके नैपी बदलें और फिर उन्हें नाईट ड्रेस पहना कर सुला दें । इसके बाद बच्चे को लोरी सुनाएं और हलके से थपथपाकर सुलाएं। इस सभी में 45 मिनट्स से ज़्यादा नहीं लगना चाहिए। बच्चों के लिए बेहतर रहेगा की उन्हें 8:30 से 9 pm तक सुला दिया जाये। अगर देर कर दी तो शायद बच्चे की नींद गायब हो जाये और वो जागते रहें।
6. बच्चों को सुरक्षित मह्सूस कराने के लिए आप उन्हें सोने के लिए हलकी रजाई या कोई खिलौना दे दें। आप उन्हें देने वाला ब्लैंकेट या खिलौना अपने पास रखें ताकि आपके बदन की महक उस वस्तु पर आ जाये। बच्चों के सूंघने की शक्ति बहुत तेज़ होती है इसीलिए आपके बदन की महक उन्हें शांत कर देगी।
7. बच्चों को थोड़ा बहुत रोने भी दें खासकर की जब शिशु 4 से 5 माह का हो। ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे रोके नहीं। इससे शिशु के अंदर छुपी थकान मिट जाएगी और बाद में वो खुद-ब-खुद शांत हो जायेगा।
8. बच्चे को हलके हाथों से सहलायें। ऐसा करने से बच्चे को राहत मिलती है। उसे ऐसा लगता है की वह आपके हाथों में सुरक्षित है। उस सुकून में उन्हें बड़ी आनंदमय नींद आती है। आप देखेंगे की शिशु के चेहरे पर मंद मंद मुस्कान है। ये इस बात का प्रतीक है की शिशु आपके सहलाने को एन्जॉय कर रहा है। आप बच्चे के साथ बिस्तर पर लेट कर उसे सहला सकती हैं । साथ ही उसके साथ सोने का नाटक कर सकती हैं। ये सब केवल शिशु को नींद दिलाने के लिए ही आप कर रही है।
9. आप समय समय पर पने पति को भी बच्चा सुलाने में लगा सकती हैं। इससे जब आप नहीं होंगी तो बच्चा पिता की थपथपी से सो जायेगा। आप भी बीच बीच में आराम से सो सकती हैं। दोनों को बराबर का हिस्सेदार होना चाहिए। अगर आप संयुक्त परिवार में रहती हैं तो आपके घर में रह रहे बड़े-बूढ़े भी बारी-बारी से शिशु की देखभाल का जिम्मा उठा सकते हैं। धीरे धीरे शिशु को खुद से समय पर सोने की आदत पड़ जाएगी।
10. बच्चे के रोने का अन्य कारण जानिए की वो क्यों ऐसा कर रहा है? क्या उनका नैपी गीला है, क्या उन्हें भूख लगी है, उनके कपड़े ज़्यादा तंग तो नहीं, उन्हें सर्दी तो नहीं हो गई या फिर ज़ुखाम हो गया या फिर मम्मी को पास बुला रहे हैं? कारण पहचानने के अनुसार आप उन्हें सुलाने का प्रयास करें।
11. अगर सभी तरह से उनके रोने के कारण को आप ठीक कर ररहेँ हैं तो पति और अन्य भरोसे मंद इंसान से सलाह मश्वरा करवा लें। उनका रोना अगर आपको असाधारण लगे तो आप चिकित्सक से निवारण करवाएं।
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