3 Mar 2022 | 1 min Read
Mona Narang
Author | 69 Articles
बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने ‘वाटर बर्थ डिलीवरी’ (Water Birth) के जरिए एक बेटी को जन्म दिया था। बच्चे को जन्म देने का यह प्रोसेस ‘वाटर बर्थ’ को भारत में बहुत कम लोग जानते हैं। ‘वाटर बर्थ’ (पानी में बच्चे को जन्म देना) प्रक्रिया का विदेशों में ज्यादा चलन है। डिलीवरी के वक्त अब इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है।
कईं मायनों में ‘वाटर बर्थ’ प्रक्रिया बिस्तर पर जन्म देने वाले प्रोसेज से बहुत फायदेमंद और आरामदायक है। देश में भी अब इस तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। आइए जानते हैं आखिर क्या है बच्चे को जन्म देने की ‘वाटर बर्थ’ प्रक्रिया और आम डिलीवरी से यह कैसे अलग है। साथ ही जानेंगे ‘वाटर बर्थ’ डिलीवरी के फायदों के बारे में।
जिस तरह सिजेरियन या नॉर्मल डिलीवरी होती है, उसी तरह वाटर बर्थ तकनीक भी डिलीवरी कराने का एक तरीका है। वाटर बर्थ से तात्पर्य है बच्चे को पानी में जन्म देना। वाटर बर्थ भी एक तरह से नॉर्मल डिलीवरी है। इसमें भी गर्भवती को प्रसव पीड़ा का सामना करना पड़ता है।
नॉर्मल डिलीवरी से वाटर बर्थ में बस एक अंतर है। वाटर बर्थ में महिला को हल्के गुनगुने पानी से भरे टब में प्रसव के लिए बिठाया जाता है। इसमें शिशु और माँ को इंफेक्शन होने की संभावना काफी कम होती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वाटर बर्थ डिलीवरी में नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में कम दर्द होता है। लेकिन, इस प्रक्रिया के दौरान नवजात बच्चे की सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
भारत में इसका चलन इतना नहीं है। विदेशों में डिलीवरी के लिए इस तकनीक की मांग अधिक है। पिछले कुछ समय में सेलिब्रिटीज द्वारा वाटर बाथ के फायदे साझा करने से लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है। यही वजह है कि भारत के कुछ अस्पताल अब इस तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं।
वाटर बर्थ के फायदे कई सारे हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दे रहे हैं:
1. प्रसव के दौरान कम दर्द होना- वाटर बर्थ प्रक्रिया के दौरान नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में कम दर्द होता है। इस प्रक्रिया के दौरान महिला को गुनगुने पानी से भरे टब में बिठाया जाता है, जो दर्द को कम करने में मदद करता है। इसमें गर्भवती को किसी तरह का पेनकिलर नहीं दिया जाता है। गुनगुना पानी गर्भवती की मांसपेशियों को राहत प्रदान करता है।
2. एंडोफ्रिन और ऑक्सीटोसिन का स्तर- गर्म पानी के अंदर बैठने से गर्भवती के शरीर में ऑक्सीटोसिन व एंडोफ्रिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है। ये दोनों हार्मोन शरीर को प्राकृतिक रूप से दर्द से राहत दिलाते हैं।
3. तनाव को करे कम- प्रसव के दौरान हर महिला को तनाव होता है। ऐसा होना लाजमी भी है। एक्सपर्ट्स का इसे लेकर कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी के दौरान महिला के शरीर में काफी खिंचाव होता है। साथ ही बहुत दर्द भी बर्दाश्त करना पड़ता है।
वहीं, इस तकनीक में गर्भवती गर्म पानी में बैठी होती है। इससे टिश्यू सॉफ्ट हो जाते हैं और प्रसव के दौरान 60 प्रतिशत तक कम दर्द होता है। वाटर बर्थ की एक खास बात यह भी है कि गर्म पानी में गर्भवती का बीपी भी नियंत्रण में रहता है।
जिस तरह एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह वाटर बर्थ डिलीवरी के लाभ हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। लेख में आगे इसके नुकसान पर चर्चा करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं:
नीचे महिलाओं की कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें वाटर बर्थ डिलीवरी कराने से परहेज करना चाहिए:
वॉटर बर्थ डिलीवरी न सिर्फ नाम से फैंसी है, बल्कि आने वाले समय में इसका ट्रेंड भी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, इसका अनुभव कर चुकीं महिलाएं भी इस डिलीवरी तकनीक की प्रसंशा करती हैं। पर ध्यान रखें कि अगर आप भी वाटर बर्थ के जरिए अपने बच्चे को जन्म देने की योजना बना रही हैं, तो इस बारे में विशेषज्ञ से सारी जानकारी जुटाएं और उन्हीं की देखरेख में डिलीवरी की इस प्रक्रिया को अपनाएं।