20 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
बच्चों के लिए किताबें (Bacchon ki Books) चुनना पेरेंट्स के लिए आसान होता है। बुक्स स्टोर से लेकर बच्चों के लिए ऑनलाइन किताबें कई रूप में मौजूद हैं, लेकिन क्या आपने कभी बच्चों को भारत का इतिहास बताने वाली किताबों के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो इस लेख में हम भारत का इतिहास बताने वाली बच्चों के लिए किताबें (Indian Books for Kids) बता रहे हैं।
यहां बताई गई बच्चों के लिए किताबें (Indian Books For Kids) कई मायनों में बच्चों के सोच-विचार के दायरे को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। यहां पर कुछ ऐसी किताबों का जिक्र किया गया है, जो बच्चों को भारत का इतिहास व देश की परंपरा का ज्ञान देती हैं।
अगर बच्चों को देश का इतिहास बताना है, तो निधि चनानी की लिखी पुस्तक पश्मीना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस किताब में देश से जुड़ी बारीकियों के बारे में बताया गया है, जो बच्चे को न सिर्फ देश का इतिहास बताते हैं, बल्कि देश की विरासत से जुड़ी जानकारी भी देते हैं।
पश्मीना बुक की कहानी एक ऐसी अमेरिकी-भारतीय लड़की के इर्द-गिर्द है, जिसे अपने देश के बारे में जानने की उत्सुकता होती है। इसी उत्सुकता की खोज में उसे पश्मीना का एक टुकड़ा मिलता है, जो उसे भारत में ले आता है और उसे देश को करीब से जानने-समझने के लिए उत्सुकता से भर देता है।
चाचा जी का कप (Chachaji’s cup) किताब उमा कृष्णास्वामी ने लिखा है और इसके ग्राफिक्स को सौम्या सीतारमण ने बनाया है। यह किताब नील नाम के एक लड़के और उसके चहेते चाचा जी के किस्सों पर लिखी गई है, जो बीते दिनों में भारतीय आर्मी का हिस्सा थे।
चाचा जी जब भी बात करते हैं, तो उनके हर लफ्ज में भारत की शान झलकती थी, जो नील के मन में भारत को करीब से जानने की इच्छा को बढ़ा देता था और इसी कारण नील ने खुद से भारत को समझने का फैसला किया और उसी के सफर की कहानी इस किताब में बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
भारत के विरासत का जिक्र करने वाली इस किताब को अंजली जोशी ने लिखा है। इस किताब में ग्राफिक्स के जरिए देश में दिवाली के पर्व को समझाने का प्रयास किया गया है। इस किताब को पढ़ते हुए बच्चे दिवाली मनाने का इतिहास और उसकी महत्व को समझते हैं। साथ ही हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किस तरह अलग-अलग त्यौहार मनाते हैं और उनकी महत्ता क्या है, इसका भी जिक्र इस किताब में किया गया है।
संजय पटेल की लिखी गई यह किताब भी पूरी तरह से भारतीय व हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इस किबात में गणेश जी और उनके चूहे के किस्से बताए गए हैं। इस किताब में गणेश जी की बचकानी हरकतों से लेकर, उनके साथ होनी वाली दुर्घटना व उससे उन्हें मिलने वाली सीख के बारे में बताया गया है।
बच्चों के लिए किताबें इक्ठ्ठा कर रहे हैं, तो द लाइब्रेरी ऑफ फेट्स भी इस लिस्ट में जरूर जोड़ें। इस किताब की कहानी को लेकर माना जाता है कि इसे वही लोग पढ़ सकते हैं, जो मानसिक तौर पर परिपक्व होते हैं। इसमें शालिंगर की राजकुमारी अमृता और उसके मंगेतर सम्राट सिकंदर पर लिखी गई है।
इसे पढ़ने के बाद इसका एहसास किया जा सकता है कि हमारे जीवन के अधिकांश फैसले भाग्य पहले से ही तय करके रखता हो, फिर चाहे वो निर्णय हमनें किसी से बदला लेने के लिए किया हो या खुशी-खुशी उसका हिस्सा बने हों।
फाइंडर्स कीपर्स किताब रॉबर्ट अर्नेट के अपने जीवन के निजी अनुभव के इर्द-गिर्द है, जिसे उन्होंने खुद ही लिखा है। भारत में आने, रहने और लोगों से मिलने-जुलने का उनका अनुभव कैसा रहा है, इसके बारे में उन्होंने अपनी इस किताब में लिखा है। इस किताब में लिखे उनके अनुभव भारत की परंपराओं और रीति-रिवाजों को दर्शाते हैं।
अगर घर में भारतीय परंपरा या रीति-रिवाजों के बारे में खुलकर बातें नहीं होती हैं, रॉबर्ट अर्नेट की लिखी गई यह पुस्तक बच्चों की बुक्स में शामिल की जा सकती है।
द रनअवे पेपरकॉर्न उन किताबों में शामिल है, जिसे अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। इसकी कहानी अम्मिनिकुट्टी अम्मा और उनकी प्याज की चटनी पर लिखी गई है। अम्मा आखिरी बचे पेपरकॉर्न से प्याज की चटनी बनाना चाहती हैं और यह काली मिर्च का आखिरी दाना पूरे दक्षिण भारत की परंपरा को घूमते हुआ जाहिर करता है।
यह किताब वैसे तो अंग्रेजी में लिखी गई है, लेकिन इसमें मलयालम शब्दों की भरमार है, तो शायद मलयालम भाषा पहली बार सुनने या पढ़ने वालों को ट्रांसलेटर की जरूरत हो सकती है।
सुधा मूर्ति उन कहानीकार में शामिल हैं, जिनके पास बाल पुस्तकों की भरमार है। इसी कड़ी में उनकी यह किचबा भी शामिल है। अगर बच्चे को दादी-नानी की कहानियां सुनना चाहते हैं, तो सुधा मुर्ती की लिखी गई यह किताब अपने बच्चे को जरूर पढ़कर सुनाएं।
इस कहानी में एक राजकुमारी है, जो कभी प्याज में बदल गई, तो कभी बिच्छू; बंदर, चूहे और दूसरी चीजों में और यही चीज इसे भारत की परंपरा बताने के लिए उत्सुक तरती है।
देवदत्त पटनायक ऐसे भारतीय लेखक हैं, जिनका नाम पौराणिक (माइथोलॉजिस्ट) कथाकार के लिए जाना जाता है। इन्होंने नए युग की सीता पर लिखी किताब से लोगों के दिल में खास जगह बनाई। पशु भी इन्हीं में एक कहानी है। पशु किताब हिंदू पौराणिक कथाओं से भरी है। इसे किसी भी उम्र के बच्चे व वयस्क पढ़ सकते हैं।
अगर किसी छोटी बच्ची को साड़ी दी जाए, तो वह उसे कभी ट्रेन, तो कभी नदी की तरह खेल सकती है। साड़ी की लंबाई उसे क्या-क्या बना सकती है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसकी तरह संध्या राव की लिखी यह पुस्तक साड़ी के विचारों से शुरू होती है, जो भारतीय परंपरा व संस्कृति की तरफ मुड़कर भारत दर्शन कराती है।
बच्चों को भारतीय परंपरा से रूबरू कराने से पहले पेरेंट्स खुद भी एक बार इन किताबों को पढ़ सकते हैं। ताकि जब ये किताब पढ़ते समय बच्चों के मन में कोई प्रश्न आए, तो उन्हें बिना किसी झिझक के पेरेंट्स दूर कर सकें।
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