कम जन्म वजन शिशु क्या होता है?
पूरी अवधि, अर्थात नौ महीने पर पैदा होने वाले भारतीय शिशु का औसत वजन लगभग 2500 ग्राम (2.5 कि.ग्रा.) और 2900 ग्राम (2.9 कि.ग्रा.) के बीच होता है।;
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार, 2500 ग्राम (2.5 कि.ग्रा.) से कम वजन वाला शिशु कम जन्म वजन शिशु कहलाता है। भले ही वह गर्भावस्था के किसी भी चरण पर पैदा हुआ हो। भारत में 10 में से दो पूर्ण अवधि वाले शिशु कम वजन के साथ पैदा होते हैं।;
2000 ग्राम (2 कि.ग्रा.) से कम वजन वाले शिशुओं को जन्म के बाद कुछ सप्ताह तक;विशेष प्रसवोपरांत नवजात देखभाल;की जरुरत होती है। इसलिए स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट होने और घर जाने के लिए तैयार होने तक उन्हें विशेष देखभाल में रखा जाता है।;
समय-पूर्व जन्मे शिशु;(प्रीमैच्योर शिशु) वे हैं, जो गर्भावस्था के;37वें सप्ताह;से पहले पैदा होते हैं। चूंकि उन्होंने माँ के गर्भ में अपना समय और विकास पूरा नहीं किया, इसलिए उन्हें प्रसवोपरांत नवजात गहन देखभाल कक्ष (एन.आई.सी.यू.) में खास देखरेख की आवश्यकता हो सकती है। आमतौर पर ऐसे शिशुओं का जन्म के समय वजन कम होता है।;
दूसरी ओर, कम जन्म वजन जन्म शिशु पूर्ण अवधि शिशु (गर्भावस्था के 37वें सप्ताह के बाद जन्मे) होते हैं, परन्तु उनका वजन 2500 ग्राम से कम होता है। उन्हें अवधि से छोटे शिशु (स्मॉल फॉर डेट /एस एफ डी) भी कहा जाता है।;
शिशु में कम जन्म वजन होने के कई कारण हैं, जैसे:;
कभी-कभी शिशु इसलिए छोटे होते हैं, क्योंकि उन्हें कोई बीमारी या जटिलता विरासत में मिली है। यह जन्म के बाद कोई रुग्णता या विकलांगता का कारण बन सकती है।
हो सकता है अपरा संबंधी कोई जटिलता रही हो, शायदप्रीएक्लेम्पसिया;के कारण। इससे शिशु तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इस कारण पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व न मिलने से शिशु का सही प्रकार से विकास नहीं हो पाता है।
शिशु का जन्म के समय कम वजन तब भी हो सकता है, अगर आपको गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य सम्बंधी या;भावनात्मक समस्याएं;हुई हों जैसे:
पिछला कोई;गर्भपात,;मृत शिशु का जन्म, पिछला कोई कम वजन का जन्म अथवा;समयपूर्व प्रसव
पहले से मौजूद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे;दमा, मधुमेह या गुर्दों की बीमारी
गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रकार के संक्रमण जैसे;टॉक्सोप्लाज्मोसिस;अथवा;लिस्टिरीओसिस
आर.एच. असंगतता,;गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं;या;नीचे स्थित अपरा (प्लेसेंटा प्रेविया);जैसी जाटिलताएं
प्रसवपूर्व देखभाल की कमी
यौन संचारित रोग जैसे;एचआईवी-एड्स
तनाव अथवा;गर्भावस्था अवसाद
हेरोइन या कोकीन जैसी;अवैध नशीली ड्रग्स;लेना
बहुत ज्यादा;मदिरा पान;और धूम्रपान (स्वयं;द्वारा अथवा आसपास;अन्य लोगों;द्वारा) करना
यह बात हर शिशु के लिए अलग है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कम वजन का कारण क्या है और क्या शिशु का जन्म समय से पूर्व हुआ है ।;
एक कम वजन जन्म शिशु को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
शिशु ने अपना;पहला मलत्याग (मिकोनियम),;स्वास लेते समय अंदर ले लिया हो, जिसकी वजह से उसे सांस लेने में मुश्किल हो सकती है।
कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसिमिया)
शरीर को गर्म रखने में कठिनाई
आपने सुना होगा कि कम जन्म शिशु अधिक बुद्धिमान नहीं होते, स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते या फिर उनमें व्यवहारिक और मानसिक समस्याएं होती हैं । वास्तव में, इस बारे में प्रमाण इतने मिश्रित है, कि यह कहना मुश्किल है कि भविष्य में एक शिशु कैसा प्रदर्शन करेगा। एक शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर जन्म के समय कम वजन के प्रभाव अक्सर उन कारणों से होते हैं, जो उसके कम वजन के लिए जिम्मेदार हैं, न कि सिर्फ उसके कम वजन से।
कुछ अध्ययनों से यह पता चलता है कि कम वजन शिशु औसत वजन शिशुओं जैसा अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ख़ास तौर से जब उनको परिवार का भरपूर समर्थन मिलता है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओ को बड़े हो कर मधुमेह और दिल की बीमारी होने की संभावना हो सकती है, परन्तु इस पर भी अभी एकराय नहीं है।
आप ऐसे कई सकारात्मक कदम उठा सकती हैं, जिससे आपके शिशु को एक स्वस्थ शुरूआत मिल सकती है :
सुनिश्चित करें कि आप शिशु की नियमित;विकास;जांच करवाएं। अगर कोई समस्या होगी, तो डॉक्टर उसे शुरूआती दौर में ही पहचान लेंगी और आपकी मदद करेंगी।
शिशु के छह माह के होने के बाद उसे ठोस आहार देना शुरु करें।;पौष्टिक आहार देकर;आप उसके विकास में मदद कर सकती हैं
BabyChakra User
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