20 Feb 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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यह तो हम सभी जानते हैं कि भाषा का महत्व मनुष्य के जीवन में कितना है। अपनी बात समझाने का एकमात्र जरिया भाषा होता है। बच्चों को अपनी आस-पास की दुनिया को समझने के लिए मातृभाषा के साथ दूसरी भाषा को सीखना बहुत जरूरी होता है। उनकी सोच और भावनाओं को गढ़ने में मातृभाषा के साथ-साथ दूसरी भाषाओं की भी अपनी अहम भूमिका होती है। यहाँ तक हमारे सेलेब्स जैसे कि रितेश, शिल्पा और कुणाल खेमू भी इस बात को महत्व देते हैं।
हर साल 21 फरवरी को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है, जिसे 1999 में यूनेस्को ने जनरल कॉन्फ्रेंस द्वारा बांग्लादेश की पहल पर स्थापित किया गया था। समाज में शांती और स्थिरता लाने के लिए सांस्कृतिक और भाषाई विविधता और बहुभाषावाद के महत्व को बढ़ावा देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। अनुसंधानों से पता चलता है कि मातृभाषा के साथ-साथ दूसरी भाषा सीखने से बच्चे बेहतर तरीके से चीजों को सीख पाते हैं और शैक्षणिक प्रदर्शन में भी सुधार आता है। कहने का मतलब यह है कि बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ती है।
आजकल सेलेब्स भी अपने बच्चों को मातृभाषा और भारतीय संस्कार की शिक्षा घर पर दे रहे हैं। क्योंकि बच्चों में संस्कार की नींव शुरू से ही देनी चाहिए।
बच्चों के जीवन में मातृभाषा का बहुत शक्तिशाली प्रभाव होता है। शिशु माँ के गर्भ से ही इस भाषा की सुंदर ध्वनियों को सुनकर विकसित होता है। माँ के गर्भ में ही भाषा के साथ उनका परिचय हो जाता है और उनके विचारों और भावनाओं को आकार मिलता है। जन्म लेने के बाद इसी संस्कार के आधार पर बच्चे का मनोवैज्ञानिक और व्यक्तिगत विकास होना शुरू हो जाता है। देखिए कैसे कुणाल खेमू और सोहा अली खान की बेटी कैसे भाई दूज के मौके पर गायत्री मंत्र को सुनकर बोल रही है। घर से भाषा और संस्कार की नींव बच्चों में मजबूत होती है।
बच्चे के लिए मातृभाषा ही उनके लिए पहली भाषा होती है, जिसका असर उनके मस्तिष्क पर पहले पड़ता है। इसलिए माँ बच्चे को हर संस्कार की शिक्षा मातृभाषा में ही पहले देती है। देखिए कैसे शिल्पा शेट्टी अपनी बेटी को काला कौआ के बच्चे के लिए प्रार्थना करने की शिक्षा दे रही हैं।
शोध से पता चला है कि बच्चों की पहली भाषा मातृभाषा, प्राथमिक विद्यालय (यूनेस्को, 2008ए) में साक्षर होने और सीखने के लिए सबसे बेस्ट भाषा होती है। इसके साथ ही घर पर पूजा आदि अवसरों पर माता-पिता अपने बच्चों को मंत्रोच्चारण के द्वारा भी मातृभाषा की शिक्षा दे सकते हैं। देखिए कैसे रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा के बच्चे कैसे मंत्रोच्चारण कर रहे हैं।
क्या आपको पता है कि बच्चे को सीखने के लिए 17 महीना सबसे सही उम्र होता है। इस उम्र में बच्चे अपनी बातों को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर पाते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जिस घर में दो भाषाओं का उपयोग किया जाता है, वहाँ बच्चे आसानी से बहुत कुछ सिख पाते हैं।
अनुसंधान से यह पता चलता है कि बच्चों को दूसरी भाषा सिखाने से याददाश्त, एकाग्रता और मल्टीटास्क की क्षमता में सुधार होता है। इसके अलावा प्रॉबल्म को सॉल्व करने की क्षमता बढ़ती है, आलोचनात्मक सोच और सुनने का कौशल बढ़ता है। दूसरी भाषा सीखने वाले बच्चों में क्रिएटिविटी और मेंटल फ्लेक्सिबिलिटी ज्यादा होती है। अगर घर पर ही अनुष्ठान या पूजा आदि के अवसरों के द्वारा बच्चों में दूसरी भाषा सीखने का नींव डाला जाय तो बहुत अच्छा होता है। देखिए कैसे रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा के बच्चे दशहरा के अवसर पर गायत्री मंत्रोच्चारण कर रहे हैं।
जो बच्चे अन्य भाषाओं के संपर्क में जल्दी आते हैं, वे उन भाषाओं से जुड़ी संस्कृतियों के प्रति अधिक पॉजिटिव दृष्टिकोण रखते हैं। किसी भाषा को सीखने का अनुभव उन्हें एक अलग ही दुनिया से परिचित कराता है।
बच्चों को एक साथ बहुत सारी भाषा सीखने में कोई समस्या नहीं होती है। बच्चों के जीवन की शुरुआत में एक दूसरी भाषा सीखने से, मस्तिष्क को कई अन्य भाषाओं को सीखने के लिए प्रेरित करता है, जिससे बाद में अवसरों की दुनिया खुल जाती है। वह ज्यादा लोगों के साथ बेहतर तरीके से मिल पाते हैं और अपने विचारों का आदान-प्रदान कर पाते हैं। उनकी सोशल लाइफ ज्यादा एक्टिव और पॉजिटिव होती है।
अब तक के चर्चा से आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों को मातृभाषा के साथ दूसरी भाषा या बहुभाषा सीखने के कितने फायदे होते हैं। इसके अलावा बेबी-केयर संबंधी और जानकारियों, प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं के समाधान, और पेरेंटिग संबंधित जानकारियों के लिए बेबीचक्रा ऐप या वेबसाइट को सब्सक्राइब करें और टेंशन फ्री होकर प्रेगनेंसी और पेरेंटिंग जर्नी को एन्जॉय करें।
एक्पर्ट टिप्स: बच्चों को भाषा सिखाने के साथ उनकी त्वचा का ख्याल रखना भी पेरेंट्स का फर्ज होता है। गर्मी के मौसम में बच्चों को लेकर बाहर निकलने पर सनस्क्रीन और लिप बाम का इस्तेमाल करना न भूलें।
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