हर महीने वो समय आता है जब सब अस्त व्यस्त लगता है पर मासिक धर्म के पहले होने वाले सिंड्रोम को हर तकलीफ के लिए ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं है | आपका मासिक धर्म चक्र आपके स्वस्थ्य के बारे में बहुत कुछ बताता है तो माहवारी के समय ज़रा सी गलती से आपका स्वस्थ्य बिगड़ सकता है | नीचे कुछ आम से गलतियां बताई गयीं हैं जो शायद आप भी करती होंगी और उनके बजाय आपको क्या करना चाहिए |
आप अपने माहवारी चक्र पर नज़र नहीं रख रहीं हैं : माहवारी पर नज़र रखना सिर्फ गर्भवती होने के समय ही नहीं ज़रूरी है बल्कि यह हर समय करना चाहिए | यदि माहवारी में रिसाव अधिक हो रहा हो या ऐठन हो रही हो, यह सब जानने से आप और आपके प्रसूतिशास्री को आपकी माहवारी की असमायिकता पहचानने में आसानी होगी |
पैड्स अथवा टैम्पोन को समय पर न बदलना : इससे पता चलता है कि आप कितनी सफाई रखती हैं | अपने पैड्स को हर 3 या 4 घण्टे में बदलिए और यदि आप टैम्पोन लगाती हैं तो 4 घंटे से अधिक न रखें | यह सावधानी बरतने से बदबू नहीं आएगी और रक्त में उपजने वाले कीटाणु से निजात मिलेगी और आप स्वस्थ रहेंगी |
ठीक से पानी नहीं पीना : माहवारी के समय स्वयं को निर्जल रखने से शरीर में ऐठन और तकलीफ होती है | माहवारी के समय हॉर्मोन्स में उतार चढ़ाव होता रहता है और पेट फूल जाता है |जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की मात्रा घट जाती है तब शरीर में पानी भरता है | इससे आपकी पाचन क्रिया पर भी असर पड़ सकता है, कब्ज़ और गैस जैसी तकलीफ भी हो सकती है और पेट फूल सकता है | दिन में कम से कम 9 -10 ग्लास पानी पिएं | माहवारी में ऐसा करने से शरीर का कचरा बाहर निकल जाता है और सूजन से लड़ने की क्षमता भी आ जाती है |
अपनी माहवारी के रंग पर नज़र न रखना : यह एक बहुत ही आम सी गलती है जोह अधिकार महिलाएं और युवतियां करती हैं | माहवारी के समय रक्त का रंग अवश्य देखें, इससे आपकी सेहत के बारे में काफी पता चलता है |
सुंगंधित चीज़ों का उपयोग : अक्सर देखा गया है कि माहवारी के समय महिलाएं बदबू को दूर करने के लिए सुगन्धित चीज़ों का उपयोग करती हैं | इसका सीधा असर आपके पी एच मात्रा पर पड़ सकता है | माहवारी के समय पी एच की मात्रा घटती बढ़ती रहती है और इससे थोड़ी बदबू आना प्राकृतिक है | सुगन्धित चीज़ों के बजाय योनि को प्राकृतिक तरीके से साफ़ रखने और सुरक्षित रखने पर ध्यान दीजिये | ज्ञात हो कि आपका वो सुगन्धित इत्र रसायनों से भरा हुआ है और आपके संवेदनशील अंगों में जलन पैदा कर सकता है |
आपकी मनोदशा के बदलाव आपके ऊपर हावी हो जाते हैं : माहवारी के समय हॉर्मोन्स में उतार चढ़ाव की वजह से आपकी मनोदशा आपके नियंत्रण से बाहर होती है और आप क्रोधित, चिड़चिड़े इत्यादि होने लगते हैं | इससे ना तो सिर्फ आपको तकलीफ होती है पर आपके आसपास के लोगों को भी होती है | ऐसे काम कीजिये जिसमे आपका मन लगता हो, जैसे कि संगीत सुनिए, थोड़ा दौड़ लीजिये, किताब पढ़ लीजिये या फिर कोई फिल्म देख लीजिये | ऐसा करने से न सिर्फ आपकी मनोदशा ठीक होगी बल्कि शरीर कि ऐठन और तकलीफ में भी कमी होगी |
खुद से दवाई न लें : यदि आप विशेषज्ञ की सलाह न लेकर किसी केमिस्ट से ओवर द काउंटर दवाई लेते हैं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं | यदि माहवारी के समय आपको अधिक तकलीफ हो रही है तो चिकित्सक से मदद लें, संभवतः कोई छिपी हुई समस्या का पता चल पाए |
भोजन ना करना : पेट फूलने पर हो सकता है आप भोजन ना करें पर यह कहीं से भी स्वस्थ कार्य नहीं है | इससे आपके पेट की मांसपेशियों में दर्द उठ सकता है और फलस्वरूप आप कमज़ोर हो सकते हैं | माहवारी के समय हल्का और पोषण से भरपूर खाना खाइये |
ठीक से आराम न करना : महिलाओं इन तकलीफदेह दिनों में भी अधिक घर्षण करती हैं | यह अक्लमंदी का काम नहीं है खासकर तब जब आप माहवारी के बीच में हों | इससे आपका शरीर शीघ्र ही थक जायेगा और साथ ही साथ आप चिड़चिड़ी और बेचैन हो जाएँगी |
आप सभी को आसान और कष्टमुक्त माहवारी
This article was originally published in The Times of India.
#momhealth #hindi #swasthajeevan