29 May 2018 | 1 min Read
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प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ-साथ माँ का पेट भी बढ़ता है और ये बच्चे की ग्रोथ को दर्शाता है. गर्भावस्था की शुरुआत से ही बच्चा माँ के गर्भ में अलग रेट से बढ़ता है. हर बच्चे का ग्रोथ रेट अलग होता है और वक़्त के साथ इसमें बदलाव भी आते हैं.
भ्रूण के वेट का एस्टीमेट कैसे लिया जाता है?
प्रेगनेंसी की शुरुआत यानि 6 से 9 हफ़्ते के बीच एक डेटिंग स्कैन किया जाता है. इसमें डॉक्टर सिर से लेकर हिप्स तक एक अल्ट्रासाउंड के ज़रिये भ्रूण की ग्रोथ और लम्बाई नापता है. इसे CRL य क्राउन-रैंप लेंथ कहा जाता है. इसके बाद 20वें हफ़्ते के दौरान एक स्कैन और किया जाता है. क्योंकि इस समय तक बच्चे का सिर और उसके शरीर के बाकी हिस्से डेवलप हो चुके होते हैं, इसलिए उनकी लम्बाई भी मापी जाती है. इसमें एब्डॉमिनल गर्थ, थाई बोन लेंथ, का नाप लिया जाता है. बाद की स्टेज में कलर डॉप्लर, स्कैन की मदद से बेबी की ग्रोथ चेक की जाती है.
एक हफ़्ते के हिसाब से भ्रूण का नॉर्मल वेट एस्टीमेट:
हर हफ़्ते के हिसाब से भ्रूण का आइडियल वेट इस हिसाब से है.
Pregnancy week |
Average Length (cm) |
Average Weight (g) |
8 |
1.6 |
1 |
9 |
2.3 |
2 |
10 |
3.1 |
4 |
11 |
4.1 |
7 |
12 |
5.4 |
14 |
13 |
7.4 |
23 |
14 |
8.7 |
43 |
15 |
10.1 |
70 |
16 |
11.6 |
100 |
17 |
13 |
140 |
18 |
14.2 |
190 |
19 |
15.3 |
240 |
भ्रूण की लम्बाई क्राउन (सिर) से हील्स तक ली जाती है:
Pregnancy week |
Average Length (cm) |
Average Weight (g) |
20 |
25.6 |
300 |
21 |
26.7 |
360 |
22 |
27.8 |
430 |
23 |
28.9 |
501 |
24 |
30 |
600 |
25 |
34.6 |
660 |
26 |
35.6 |
760 |
27 |
36.6 |
875 |
28 |
37.6 |
1000 |
29 |
38.6 |
1200 |
30 |
39.9 |
1300 |
31 |
41.1 |
1500 |
32 |
42.4 |
1700 |
33 |
43.7 |
1900 |
34 |
45 |
2100 |
35 |
46.2 |
2400 |
36 |
47.4 |
2600 |
37 |
48.6 |
2900 |
38 |
49.8 |
3100 |
39 |
50.7 |
3300 |
40 |
51.2 |
3500 |
इस बात को न भूकाम काम लें कि वेट का ये एस्टीमेट इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के हिसाब है, अगर आपके डॉक्टर को लगता है कि उस स्टेज के लिए बच्चे का वज़न तय मानक से कम है, तो वो बाकी टेस्ट के लिए लिखेगा।
भ्रूण के कम वज़न का क्या मतलब हुआ?
अल्ट्रासाउंड और आपके वज़न को चेक करने के बाद अगर भ्रूण का वज़न कम है, तो आपको डॉक्टर (इन्हें Obstetrician) और टेस्ट के लिए कहेगा। अमूमन एम्निओसेन्टिसिस (Amniocentesis) करवाया जाता है ताकि भ्रूण के कम वज़न का कारण पता चल सके.
अस्वीकरण : इस लेख में कही गयी बातें किसी भी तरह से प्रोफ़ेशनल मेडिकल सलाह, ट्रीटमेंट और मूल्यांकन का Substitute नहीं हैं। सबसे पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। हमारा मकसद सिर्फ़ आप तक सही जानकारी पहुंचाना है।
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