गर्भावस्था में सावधानियाँ कैसे बरतें

गर्भावस्था में सावधानियाँ कैसे बरतें

5 Feb 2019 | 1 min Read

Roop Tara

Author | 15 Articles

 

डॉक्टर पायल चौधरी ने कहती है, “कुछ सावधानियां बरतना आपके शिशु के स्वास्थ और आपके स्वस्थ डिलीवरी के लिए उचित हैं।

 

१. अपनी मेडिकल हिस्ट्री न छुपाएं:

 

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताना ज़रूरी है। डॉक्टर के परामर्श के बिना दवाओं का सेवन न करें क्योंकि उनसे आपके शिशु को हानी पहुँच सकती है।

 

२. शराब और धूम्रपान से परहेज़ करें:

 

यदि आप धूम्रपान करते हैं तो आपका शिशु समय पूर्व या कम वज़न का पैदा हो सकता है। अगर आपके परिवार या परिसर में भी कोई सिगरेट का सेवन करता है तो वो भी आपके शिशु के लिए समान रूप में हानिकारक है।
इस दौरान शराब और अन्य प्रकार के ड्रग के सेवन से miscarriage अथवा अन्य जन्म दोष (birth defects) होने की संभावना भी बढ़ सकती है।

 

३. कठोर अथवा उग्र व्यायाम न करें:

 

गर्भवती महिलाओं को उग्र व्यायाम या खेल में शामिल नहीं होना चाहिए। रैकेट खेल जैसे टेनिस में आपके गिरने की संभावना ज़्यादा हो जाती है जिसकी वजह से आपके शिशु को खतरा हो सकता है। डॉक्टर ने निशा को सोते समय या व्यायाम करने वक़्त, लम्बे समय तक पीठ पर लेटने से मना किया ताकि शरीर पर दबाव कम पढ़े।

 

४. हॉट टब और सॉना से दूर रहें:

 

गर्भावस्था के पहले 4 – 6 हफ़्तों में हॉट टब या सॉना का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अपने शरीर के तापमान को इन तरीकों से ज़्यादा बढ़ने न दें। ;इनसे गर्भपात और न्यूरल टूयब डिफेक्ट्स की संभावना बढ़ जाती है।

 

५. समुद्री खाद्य कम खाए:

 

गर्भावस्था के दौरान इनफ़ेक्शन से बचना ज़रूरी है। इस वजह से डाक्टर ने निशा को समुद्री खाद्य-पदार्थ और ठीक से न पकी हुई मछली खाने से मना किया। रोहू (carp), भेटकी (sea bass), झींगा मछली (lobster) आदि में उच्च स्तर का पारा (mercury) मिल सकता है जो जिसके सेवन से शिशु के दिमाग और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुँच सकता है।

 

कम मात्रा;में इन मछलिओं के सेवन से महत्वपूर्ण प्रोटीन और ओमेगा-३ फैटी एसिड्स प्राप्त किया जा सकता है –

 

  • रावस (Indian Salmon)
  • बांगड़ा (mackerel)
  • हिलसा (herring)
  • पॉम्फ्रेट (butterfish)
  • सिंघाड़ा (catfish)
  • बड़ी सीपी (clams)
  • कातला (carp)
  • मृगल (white carp)

 

६. पौष्टिक आहार का सेवन करें:

 

लोगों के कहने से दो बराबर खाना न खाएं – यह एक मिथ्या है। आपके शिशु की सेहत आपके वज़न बढ़ने पर निर्भर नहीं करता। अपना वज़न नियंत्रण में रखें और;पौष्टिक आहार;और नियमित हलके-फुल्के व्यायाम से प्रेगनेंसी संभंधित जटिलताओं से बचें।। ज़्यादा तेल में बना हुआ खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता और आपके कॅलरीस लेवल बढ़ाता है।

 

ध्यान में रखे की गर्भावस्था एक बीमारी नहीं है तो जीवन शैली में ज़्यादा बदलाव  लाने की ज़रुरत नहीं है। ज़्यादा स्ट्रेस न लें और अपने डॉक्टर से प्रसवपूर्व देखभाल की जाँच समय समय पर कराते रहें।

 

यह भी पढ़ें: गर्भावस्था के पहले तीन महीने इतने गंभीर क्यों होते हैं?

 

 

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