12 Feb 2019 | 1 min Read
Roop Tara
Author | 15 Articles
इनेमल (Enamel) दांत का बाहरी हिस्सा होता है और फ्लोराइड इनेमल को मजबूत बनाने में मदद करता है, इसी तरह कैल्शियम एंव फास्फोरस घोल देता है जिससे दांत ख़राब होने की संभावना काम हो जाती है। इनेमल को दांत का ताज भी कहा जाता है।
दांतों में (इनेमल के भीतर) दिमिनरालैजेसं और रिमिन्रालैजेसं की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप होती रहती है। खाने के बाद मुंह में जो अम्ल बनता है वह दांतों की सतह के नीचे के कैल्शियम और फास्फोरस को घोल देता है। यह एक दैनिक प्रक्रिया है।
खाने के बाद मुंह में जो अम्ल बनता है वह दांतों के सतह के नीचे का कैल्शियम और फास्फोरस घोल देता है। यह अम्ल मुंह में मौजूद प्लेक और बैक्टीरिया की वजह से होता है। जब लार कम अम्लीय हो जाती है तब कैल्शियम और फास्फोरस दांतों पर जमा हो जाते हैं ।(रिमिन्रालैजेसं) जिससे दांत कठोर हो जाता है। जब बिना रिमिन्रालैजेसं के अत्यधिक दिमिनरालैजेसं हो जाता है तब दांतों को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। फ्लोराइड की मौजूदगी में कैल्शियम और फास्फोरस बेहतर ढंग से दांतों पर जम पाते हैं। इससे आपके दांत मजबूत होते हैं।
बच्चों में फ्लोराइड बढ़ते हुए दांतों के इनेमल को मजबूत करता है। वयस्कों में यह दांतों के इनेमल को मजबूत करता है और दांत के जो इनेमल उबड़-खाबड़ (अनियमित) हो जाते हैं उन्हें भी यह ठीक करता है।
दांतों का दिमिनरालैजेसं और रिमिन्रालैजेसं मुंह में स्वाभाविक रूप से होता है। खाने के बाद मुंह में जो अम्ल बनता है वह दांतों की सतह के नीचे के कैल्शियम और फास्फोरस को घोल देता है। जब लार कम अम्लीय हो जाती है तब कैल्शियम और फास्फोरस दांत पर जमा हो जाते हैं जिससे दांत कठोर हो जाते हैं जिसे (रिमिन्रालैजेसं) कहते हैं।
बच्चे या वयस्क जो रोजाना दो बार फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट से ब्रश करते हैं तथा जिनके पीने के पानी में पर्याप्त मात्रा में फ्लोराइड मिला रहता है उनके दांत ख़राब होने की कम संभावना होती है। पानी और भोजन में मौजूद फ्लोराइड पेट से अवशोषित होकर खून में प्रवाहित होने लगता है। फिर यह बच्चों के विकसित हो रहे दांतों की जड़ तक पहुंच जाता है।
फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट, माउथवॉश इत्यादि से सामयिक;फ्लोराइड उपचार;बहुत असरकारक रहते हैं एवं उपचार के बाद मुंह में कई घंटों तक रहते हैं। अगर आपके बच्चे है तो अपने डेंटिस्ट से उनके लिए फ्लोराइड के पूरक के बारे में सलाह लें।
६ महीने से १६ वर्ष के बच्चों को उनकी जरूरत पड़ती है यदि उनके पीने के पानी में पर्याप्त मात्रा में फ्लोराइड नहीं होता।; यह सलाह दी जाती है कि न सिर्फ बच्चों को बल्कि वयस्कों को भी फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन बच्चों को बहुत ज्यादा फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट नहीं करने देना चाहिए अन्यथा उन्हें फ्लोरोसिस हो सकता है।
अगर आपका बच्चा ६ साल से छोटा है तो उसके टूथब्रश पर थोडा हीं पेस्ट दें।
अपने बच्चों को सिखलाएं की ब्रश करने के बाद पेस्ट को थूक दें।
ज्यादा स्वादिष्ट पेस्ट का इस्तेमाल न करें वरना बच्चे उसे निगल सकते हैं।
अगर डेंटिस्ट को आपके बच्चों में केविटिज के निर्माण की आशंका होती है तो वे फ्लोराइड उपचार की सलाह दे सकते हैं। अतिरिक्त फ्लोराइड से कुल्ला करने से रिमिन्रालैजेसं को बढ़ावा मिलता है। आपके बच्चों को यदि फ्लोराइड का पूरक देना हो तो अपने डेंटिस्ट की राय लें।
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