19 Feb 2019 | 1 min Read
Roop Tara
Author | 15 Articles
अक्सर लोग यही सोचते हैं कि उदासी तो बड़े लोगों की बीमारी है और बच्चों का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप पूरी तरह से गलत हैं। जी हां, उदासी, तनाव और सिर दर्द ऐसे मानसिक रोग हैं जो न सिर्फ वयस्क को बल्कि छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में लेते हैं। हालांकि बड़ों की तुलना में बच्चों में यह पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है कि वह यूं ही शांत हैं या वाकई उदासी के शिकार हैं। बच्चे उदास रह सकते हैं, लेकिन वह अगर वह लंबे समय तक उदास रहें, तो यह उदासी का संकेत हो सकता है।
वहीं, इस स्थिति में बच्चा न सिर्फ अपने परिजनों से बल्कि अपने दोस्तों के साथ भी नहीं खेलता है। उसे वह सब चीजें बोरिंग लगने लगती हैं जिनका वह पहले पसंद किया करता था। उदासी से बाहर आने के लिए बहुत सभी चीजें जरूरी है कि आप उसके कारणों को समझकर उसे जड़ से दूर कर दें। आज हम आपको बच्चे के उदासी में होने के ऐसे संकेत बता रहे हैं जिनसे आप वास्तव में पहचान सकते हैं कि आपका
बच्चा उदासी का मरीज है या नहीं है।
हम सभी का कोई न कोई दोस्त ऐसा होता है जिससे हम अपने जीवन की हर चीज को बांटते हैं। लेकिन अगर आपका दोस्त आपकी बातों पर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता या आपकी बात सुनता ही नहीं, तो उसका साथ छोड़ दें। और कुछ ऐसे दोस्त बनायें जो हर स्थिति में खुश रहना जानते हैं। आपको ऐसे लोगों से बात करने की जरूरत है जो आपको समझते हैं:
अपने बच्चे को उदासी से बाहर लाने के लिए बहुत जरूरी है कि आप उसके पीछे के कारणों को समझकर उसे जड़ से दूर करने की कोशिश करे। अगर आपका बच्चा आप उदासी मर है तो उसे समजने की कोशिश करे उसको चिलाइये गए नहीं। उसे बातचीत करे उसके पसंदीदा चीज़ो के बारे में उससे बात करे। इससे बच्चे को बहुत मदद मिलेगी।
हम में से कम से कम लोग ऐसे होंगे जो अपनी खुशी वाला काम करते हैं और बहुत कम लोग अपनी मर्जी से जिंदगी जीते हैं। इसलिए बच्चे को खुद की ख़ुशी किसमे है यह जान लेने में मदद करे।
माता-पिता डांटते हैं, हर बात के लिए टोकते हैं, इसके बावजूद हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं। इसलिए उन्हें सिखाइये की माता-पिता से अपनी परेशानी शेयर करे। इसलिए अपनी परेशानी अपने तक न रखे और उनसे शेयर करें।
माना कि आप अपने बच्चे के साथ हर दुख-तकलीफ में हमेशा उसके साथ खड़ा है। लेकिन कई बार सिर्फ प्यार से आपकी ये समस्या दूर नहीं होती है, इसलिए किसी डॉक्टर या मनोचिकित्सक से सलाह लें।
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