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Amniocentesis Test: एमनियोसेंटेसिस टेस्ट क्या है, प्रक्रिया, परिणाम

Amniocentesis Test: एमनियोसेंटेसिस टेस्ट क्या है, प्रक्रिया, परिणाम

23 Apr 2019 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

गर्भावस्था का सफर सुरक्षित व सुखद बना रहे, इसके लिए कई तरह के आवश्यक टेस्ट कराने जरूरी होते हैं। इन्हीं टेस्ट में एक नाम एमनियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis Test) का भी शामिल है। एम्नियोसेंटेसिस क्या है (amniocentesis meaning in hindi), एम्नियोसेंटेसिस के लाभ व एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया कैसे होती है, इसी के बारे में विस्तारपूर्क इस लेख में बताया गया है। इतना ही नहीं, इस लेख में आप न सिर्फ एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट का मतलब (Amniocentesis Meaning in Hindi) समझेंगे, बल्कि एमनियोसेंटेसिस क्या है (amniocentesis kya hai), एम्नियोसेंटेसिस जांच पर कितनी लागत लगती है, इसके बारे में भी पढ़ेंगे।

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट क्या है? (Amniocentesis Kya Hai)

एम्नियोसेंटेसिस क्या है (Amniocentesis kya hai), इसकी जानकारी देते हुए बता दें कि एमनियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis Test in Hindi) एक प्रकार का फ्लूइड टेस्ट है, जिसे गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक माना गया है। बता दें कि गर्भवती होने पर गर्भाशय में एम्नियोटिक द्रव (Amniotic Fluid) से भरी एक थैली का निर्माण होता है, भ्रूण का विकास होता है। 

यह एम्नियोटिक द्रव पीले रंग का होता है। एम्नियोटिक द्रव (Amniocentesis meaning in Hindi) में कई कोशिकाएं होती हैं, जो भ्रूण के विकास को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं और उन्हीं कोशिकाओं के जांच से भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। 

यही वजह है कि एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis in Hindi) का महत्व गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है। अगर शिशु में कोई जन्म दोष या आनुवांशिक विकार होता है, तो इस द्रव टेस्ट की मदद से उसका भी पता लगाया जा सकता है।

एम्नियोसेंटेसिस जांच करवानी क्यों आवश्यक है? (Amniocentesis Ke Upyog in Hindi)

आमतौर पर एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट करवाना (Amniocentesis ke upyog) गर्भवती महिला के स्वास्थ्य स्थिति व उसकी गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं के प्रकार पर निर्भर कर सकता है। यहां हम निम्नलिखित परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जहां एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट का उपयोग (Amniocentesis ke upyog) किया जा सकता है, जैसेः

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट जांच
एमनियोसेंटेसिस जांच / चित्र स्रोतः फ्रीपिक
  • गर्भवती महिला की उम्र 35 वर्ष या उससे अधिक होने पर
  • गर्भस्थ शिशु को जन्म दोष का जोखिम होने पर एम्निओसेंटेसिस के उपयोग (Amniocentesis ke upyog) से इसका पता लगाया जा सकता है।
  • पिछली प्रेग्नेंसी में शिशु में आनुवांशिक विकार होने पर भी एम्निओसेंटेसिस के उपयोग (Amniocentesis ke upyog) से मौजूदा शिशु के स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है

इसके अलावा, गर्भ में पल रहे शिशु में जीन और क्रोमोसोम से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का पता लगाने के लिए भी एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट व एम्निओसेंटेसिस के उपयोग (Amniocentesis ke upyog) किए जा सकते हैं, जैसेः

  • एनेंसेफेली (Anencephaly) या न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (Neural Tube Defects) जैसे जन्मदोष होना। 
  • शिशु में डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) जैसे अन्य आनुवांशिक विकार होना। 
  • शिशु में क्रोमोसोम डिसऑर्डर होना। 
  • चयापचय संबंधी विकार होना
  • शिशु के शरीर में असामान्यताएं होना
  • एम्नियोटिक द्रव में संक्रमण होने पर
  • शिशु के फेफड़ों का स्वास्थ्य पता करने के लिए एम्निओसेंटेसिस का उपयोग (Amniocentesis test in Hindi) किया जा सकता है। 

एम्नियोसेंटेसिस जांच कब करवानी चाहिए? (Amniocentesis Test Kab Karwani Chahiye in Hindi)

गर्भावस्था के निम्नलिखित चरणों में एम्निओसेंटेसिस का उपयोग (Amniocentesis test in Hindi) यानी एम्नियोटिक फ्लूइड टेस्ट किया जा सकता है:

  • एम्निओसेंटेसिस का उपयोग (Amniocentesis test in Hindi) गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे तिमाही में करानी आवश्यक होती है। 
  • गर्भावस्था के 15वें या 20वें सप्ताह के बीच में 
  • गर्भावस्था के आखिरी हफ्तों के दिनों में भी एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया या एम्निओसेंटेसिस का उपयोग (Amniocentesis test in Hindi) किया जा सकता है। खासतौर पर अगर गर्भवती महिला को किसी तरह का संक्रमण हुआ हो।

एम्नियोसेंटेसिस जांच कैसे होती है? (Amniocentesis Test Kaise Hota Hai in Hindi) 

एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैंः

  • एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले गर्भवती महिला को टेबल पर पीठ के बल लेटना होगा।
  • इस दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला के पेट को सुन्न करने के लिए इंजेक्शन या क्रीम लगा सकते हैं। 
  • फिर पेट के ऊपर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड डिवाइस को घुमाते हैं। 
  • इस दौर अल्ट्रासाउंड डिवाइस से गर्भवती महिला के गर्भाशय, शिशु की स्थिति व गर्भनाल की स्थिति की जांच होती है।
  • फिर डॉक्टर सूई की मदद से गर्भाशय के अंदर से एम्नियोटिक द्रव का नमूना निकालते हैं और उसकी जांच करते हैं। 
  • इस दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला व शिशु के दिल की धड़कन की भी जांच कर सकते हैं।

एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट से क्या पता चलता है? (Amniocentesis Test Se Kya Pata Chalta Hai in Hindi)  

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट
एमनियोसेंटेसिस टेस्ट का महत्व / चित्र स्रोतः फ्रीपिक

एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis meaning in Hindi) या एमनियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis in Hindi) से शिशु के स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही तरह के परिणाम दे सकती हैं। इसके परिणामों का क्या अर्थ होता है, यह हम नीचे बता रहे हैं।

एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट के सामान्य (सकारात्मक) परिणाम

  • भ्रूण में कोई आनुवंशिक या क्रोमोसोम संबंधी समस्या का जोखिम न होना
  • भ्रूण में बिलीरुबिन या प्रोटीन का सामान्य स्तर होना
  • भ्रूण या एम्नियोसेंटेसिस द्रव थैली में किसी तरह का संक्रमण न होना

एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट के असामान्य (नकारात्मक) परिणाम

  • गर्भस्थ शिशु में जीन या क्रोमोसोम सबंधी समस्या होना
  • भ्रूण या एम्नियोसेंटेसिस द्रव थैली में संक्रमण होना
  • शिशु के फेफड़े का अविकसित होना
  • माँ और बच्चे का रक्त आरएच अलग-अलग होना
  • शिशु का जन्म दोष होना

क्या एमनियोसेंटेसिस टेस्ट का परिणाम तुरंत मिल जाता है? (Amniocentesis Test Ka Result Kab Milta Hai in Hindi)

नहीं, एमनियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniotic Fluid Test in Hindi) का परिणाम तुरंत नहीं मिल सकता है। डॉक्टर गर्भवती महिला के एम्नियोटिक फ्लूड का नमूना (Amniocentesis in hindi meaning) लेने के बाद उसे लैब में परीक्षण के लिए भेजते हैं। जहां पर एम्नियोटिक फ्लूड की कोशिकाओं की जांच की जाती है और शिशु से जुड़ी आनुवांशिक व अन्य स्थितियों का परीक्षण किया जाता है।

इसके बाद 12 से 24 घंटे के अंदर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट का परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। वहीं, अगर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट में किसी तरह के नकारात्मक परिणाम की पुष्टि होती है, तो इस दौरान इसके परिणाम आने में हफ्तों का भी समय लग सकता है।

इसके अलावा, कुछ अन्य स्थितियों में जैसे एमनियोसेंटेसिस द्रव (amniocentesis in hindi) के नमूनों के खराब होने पर डॉक्टर गर्भवती महिला को दोबारा से यह टेस्ट करने के लिए भी बुला सकते हैं। 

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी 

गर्भवती महिला को एमनियोसेंटेसिस टेस्ट से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी पता होनी चाहिए, जिनके बारे में विस्तारपूर्वक हम नीचे बता रहे हैं, जैसेः

एम्नियोसेंटेसिस जांच पर कितना खर्च होता है?

एम्नियोसेंटेसिस जांच पर कितना खर्च होता है, इसकी लागत अलग-अलग शहरों, क्लीनिक व डॉक्टर के अनुभव के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। सामान्य तौर पर भारत में एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की लागत लगभग 8 से 15 हजार रूपये तक हो सकती है।

एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट के बाद कब तक आराम करें?

आमतौर पर एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान गर्भवती को बेहोश करने के लिए किसी तरह की दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और न ही किसी तरह के ऑपरेशन या सर्जरी की प्रक्रिया की जाती है। इस दौरान सिर्फ पेट को सुन्न करने के लिए क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका असर 15-20 मिनट बाद खत्म हो सकता है। 

इसलिए एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट कराने के बाद अधिकांश गर्भवती महिलाएं पहले की ही तरह सामान्य महसूस करती हैं और वे यह टेस्ट कराने के तुरंत बाद अपनी सामान्य दिनचर्या को शुरू भी कर सकती हैं। हालांकि, अगर इस टेस्ट के दौरान गर्भवती महिला कमजोरी या अन्य लक्षण महसूस करती हैं, तो वे डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित आराम भी कर सकती हैं।

क्या एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट से गर्भपात होने की आशंका रहती है?

नहीं, एम्नियोसेंटेसिस फ्लूड टेस्ट करवाने से गर्भपात नहीं हो सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में एम्नियोटिक फ्लूइड टेस्ट कराने के जोखिम (Complications of Amniocentesis in Hindi) भी देखे जा सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार, एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट कराने वाली लगभग एक फीसदी मामलों में गर्भपात का जोखिम देखा गया है। ऐसे में एम्नियोटिक फ्लूड टेस्ट से गर्भपात होने का जोखिम कितना हो सकता है, इस बारे में यह टेस्ट कराने से पहले अपने डॉक्टर से पूछताछ करें।

एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट कराने और न कराने के क्या कारण हैं?

गर्भवती महिला को एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis test meaning in Hindi) करवाना चाहिए या नहीं, यह पूरी तरह से गर्भवती महिला के स्वास्थ्य परिस्थिति व डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है। नीचे हम एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट कराने और न कराने के क्या कारण बता रहे हैंः

निम्नलिखित स्थितियों में एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis test meaning in Hindi) कराने का फैसला लिया जा सकता हैः

  • शिशु को किसी प्रकार का जन्म दोष या आनुवांशिक बीमारी का जोखिम होने पर
  • पुरानी गर्भावस्था में किसी तरह की जटिलता होने पर
  • माता या पिता में किसी तरह की आनुवांशिक या जीन संबंधी बीमारी होने पर

निम्नलिखित स्थितियों में एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट न कराने का फैसला लिया जा सकता हैः

  • गर्भवती महिला पूरी तरह से स्वस्थ हो
  • गर्भावस्था से जुड़े सभी परीक्षण सामान्य होने पर
  • पुरानी गर्भावस्था का इतिहास स्वस्थ होने पर

एम्नियोसेंटेसिस से जुड़ी जटिलताएं क्या हैं? ( Risk of Amniocentesis in Hindi)

आमतौर पर एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis test meaning in Hindi) सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में एम्नियोसेंटेसिस से जुड़ी जटिलताएं (Risk of Amniocentesis in Hindi) या एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया के दुष्परिणाम (Amniocentesis Side Effects in Hindi) देखे जा सकते हैं, जैसेः

  • परीक्षण के दौरान गर्भवती महिला को र्दद होना
  • बेचैनी होना
  • इंजेक्शन या क्रीम लगाने वाली जगह का नील होना
  • एम्नियोटिक द्रव का रिसाव होना
  • एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट की प्रक्रिया के बाद रक्तस्राव होना
  • गर्भाशय में ऐंठन होना
  • बुखार होना
  • गर्भपात होना

तो इस लेख में आपने एम्नियोसेंटेसिस क्या है (Amniocentesis Definition in Hindi) व एम्नियोसेंटेसिस का महत्व क्या है, इस बारे में पढ़ा। यहां एम्निओसेंटेसिस मीनिंग इन हिंदी (Meaning of Amniocentesis in Hindi) विस्तार से बताई गई है। जो यह बताता है कि कई मायनों में एम्नियोसेंटेसिस के लाभ गर्भवती महिला को मिल सकते हैं। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि एम्नियोसेंटेसिस के लाभ तभी हो सकते हैं, अगर गर्भवती के स्वास्थ्य में किसी तरह की जटिलताएं सामने आती हैं। अन्यथा अगर गर्भवती महिला पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करती है, तो उसके लिए एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis test meaning in Hindi) कराना आवश्यक नहीं माना जा सकता है।

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