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बच्चो में नवजात रोग : आप कैसे निजात पाए, नवजात रोग क्या है?

बच्चो में नवजात रोग : आप कैसे निजात पाए, नवजात रोग क्या है?

24 Apr 2019 | 1 min Read

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नवजात रोग जन्म से पहले और उसके बाद होने वाले रोग है. ये जन्म के कुछ हफ्तों में भी विकसित हो सकते है.जन्म का पहला महीना बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है .इसी अवधि में बच्चा संक्रमण की चपेट में आ सकता है इसलिए इस अवधि में देखभाल की ज्यादा आवश्यकता होती है.

नवजात रोगों की सूची :

कई नवजात रोग खुद ठीक होजाते है उन्हें चिकित्सक  कि जरूरत नहीं होती है .निम्लिखित सूची दी गयी है जो बच्चो में आम है.

पीलिया :

 

कई बच्चे जन्म के समय इससे ग्रसित होते है उनके खून में बिलुरुबिन आ जाता है जिससे बच्चो में पीलिया हो जाता है. बच्चे का लीवर पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है तो रक्तप्रवाह से बिलुरुबिन को नहीं हटा सकता. इसके अलावा जन्म के समय भूर्ण से व्यस्क हीमोग्लोबिन मे बदलाव होता है, जिससे पीलिया होता है. इसके उपचार के लिए बच्चे को ख़ास रौशनी में नग्न रखा जाता है .

श्वसन सम्बन्धी रोग:

 

सामान्य तरह से सांस लेने के पैटर्न में थोडा टाइम लगता है .कभी कभी शिशु को सांस लेने में समस्या हो सकती है .इस मामले में डॉक्टर नाक में सेलाइन पानी की बूंदे और एक बल्ब सीरिंज से इस समस्या को दूर कर सकते है.

शिशु ब्लूज :

 

यदि बच्चे का रंग नीला होगया है और बच्चा साँस लेने और खाने में कठिनाई महसूस करता है तो ये बच्चे के दिल या फेफड़ो की समस्या का संकेत हो सकता है .ये एक गंभीर विषय ह और इसमें जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

पेट की गड़बड़ी :

 

अक्सर देखा जाता है कुछ बच्चो को दूध पिलाने के बाद पेट बड़ा होता है. और ये बिलकुल सामान्य है. हालाँकि अगर बच्चे का पेट सख्त या सूजा हुआ लगता है या वो उलटी करता है तो ये आंतों कि समस्या को दर्शाता है और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है.

नवजात संक्रमण को रोकना:

नवजात शिशुओ में संक्रमण रोकना मुश्किल है लेकिन चिकित्सा सलाह के चलते रोगों को रोकना संभव है.नवजात रोगों को दूर करने वाली सरल सूची है:

स्तनपान: नवजात शिशुओ में विकसित प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं होती .धीरे धीरे ये बढती है. कोलोस्ट्रम माँ का पहला गाढ़ा दूध प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए जरूरी है.ये चिपचिपा ,रंग में पीला और बच्चे के लिए बहुत पोस्टिक होता है.ये प्रोटीन और एंटीबाडी से भरा है जो बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करता है और वायरल जीवाणु संक्रमण से बच्चे को बचाता है .
नवजात स्क्रीनिंग: ये परिक्षण जन्म के 48 घंटे के भीतर नवजात पर किया जाता है जो शिशु के गंभीर स्वाश्थ्य पता लगाने में मदद करता है.कुछ आनुवंशिक स्तिथियों का पता लगाने में मदद करती है जो बाद में पता चलने के पहले समस्या का निदान करती है.नवजात जांच में तीन अलग अलग परिक्षण है.
रक्त परिक्षण: खून कि कुछ बूंदे परीक्षा के लिए बच्चे की एड़ी से ली जाती है.
पल्स ओक्सीमेट्री: इस परिक्षण में शिशु की त्वचा में सेंसर लगाया जाता है जिसे ओक्सीमेट्री जो रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को नापता है.

 

नवजात की जांच आमतौर पर उन माताओं में की जाती है जिनका चिकित्सा सम्बन्धी विकारो का इतिहास है.उन्हें प्रसूति समस्याए हैं या उनकी उम्र माँ बनने के लिए जोखिम उम्र है.

 

डिस्क्लेमर: लेख में दी गयी जानकारी का उद्देश्य व्यावसायिक चिकित्सा ,निदान या उपचार नही है .हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह ले.

 

यह भी पढ़ें: अवरुद्ध आँसू वाहिनी – लक्ष्ण, कारण एवं उपचार

 

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