3 May 2019 | 1 min Read
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खतरनाक रोगो के एक मेजबान के खिलाफ़ अपने बचाव के लिये आज कई प्रकार के टीके उपलब्ध है.
टीकाकरण एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है इसमे जीवो के कारण होने वाली बिमारीयो को रोकने के लिये शरीर मे जीवित बेक्टीरिया या वायरस या उनके अन्गो को शरीर मे डाल कर( इन्जेक्ट करके) शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली को उत्तेजित किया जाता है.बच्चो को होने वाले रोग उनके स्वास्थ्य पर आजीवन अपना प्रभाव छोड सकते है. ये संक्रामक रोग बच्चो मे आसानी से फ़ैल जाते है क्युकी उनकी प्रतिक्षा प्रणाली कमजोर एवं अविकसित होती है.नवजात शिशुओ और बडे बच्चो के लिये अलग अलग प्रकार के टीका करण उपलब्धः है. जो देश मे प्रचलित बिमारी के आधार पर अलग अलग है.
रोग पैदा करने वाले बेक्टेरिया या वायरस मे मौजूद् प्रोटीन एक संयोजन है, जो हमारे रक्त मे एन्टीबोडी की रिहायी को उत्तेजित करता है. एन्टीबोडी शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के सुरक्षात्मक प्रोटीन अणु है जो बेक्टीरीया या वायरल प्रतिजन से लडते है. एन्टीबोडी प्रतिजन के खिलाफ़ स्मृति का विकास करते है और अगली बार शरीर संक्रमित होने पर उस पर हमला करते है और इस तरह बीमारी को रोकते है.
एक टीके मे एन्टीजेन पाया जाता है ,यह बहुत पतला और पूरी तरह से सुरक्षित है. यह शरीर के अन्दर प्रक्रिया उत्पन्न करता है और अलग अलग रोगो से सुरक्षा देने वाले एन्टीजेन से लडने के लिये एन्टीबोडी जारी करता है
वैक्सिन मे प्रयुक्त प्रतिजन पर आधारित टीके है.मोनोवलेन्ट और पोलिवलेन्ट टीको मे एक एकल टीका ( खसरा टीका)और एन्टीजन के दो या दो से ज्यादा उपभेद होते है.(मोखिक पोलिओ वैक्सिन). संयोजक टीको मे एक इन्जेकसन मे एन्टीजन के दो या दो से ज्यादा मोनोवोलेन्ट या पोलीवोलेन्ट स्टरेन् होते है जो एक से अधिक बीमरियो से बचाता है.जैसे डीपीटी वैक्सिन ( दिप्थेरिया ,हूपिन्ग कफ़् ,या पेरितटेकिस और टेटनस).
उम्र,समूह, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, वैक्सिन तैयार करने की विधि, तापमान, और इसका प्रसारण. ये बिमारी के खिलाफ़् इस्तेमाल किये जाने वाले टीके के प्रकार का चयन करते समय फ़ेक्टर किये जाते है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय अकादमी ओफ़् पेडियाटरिक्स भारत मे बच्चो को अलग अलग बीमारियो से बचाने के लिये 10 साल की उम्र तक सभी टीके लगाने की सलाह देते है.
1. जीवित-शीन टीको मे जीवित और कमजोर बेक्टीरिया या वायरस होते है. वैक्सीन मे बेक्टेरियल या वायरल एन्टीजेन शरीर मे हल्का संक्रमन फ़ैलाते है जो कि प्राक्रतिक रूप से इन जीवो के कारण होने वाले संक्रमन जैसा ही होता है. वैक्सिन की एक खुराक से एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रक्रिया बनती है और उस बीमारी से सुरक्षा के अलग अलग समय प्रदान करती है जैसे कि:
2. निष्क्रिय टीके मे मारे गये बेक्टीरिया या वायरस होते है. यह टीका लम्बे समय तक सुरक्षा नही देता और रोग के खिलाफ़् प्रतिरक्षा बनाने के लिये कई बूस्टर खुराक की जरुरत होती है.
3. सबयुनिट टीको मे मारे गये बेक्टेरीया या वायरस के अलग अलग हिस्सो का उपयोग शामिल है. सबयूनिट एक प्रतिरक्षा प्रक्रिया प्राप्त करता है जो सुरक्षा देता है.सबयुनिट टीको के उत्पादन के लिये जीवो के विभिन्न भाग उपयोग किये जाते है.
टोकसाइड के टीके रोग पैदा करने वाले जीवो द्वारा उत्पन्न विषाक्त चीजो से बनाये जाते है .एक टोक्सोइड टीका एक सहायक वैक्सिन है जिसका मतलब है कि टीका मे अलुमिनिय्म या केल्सियम युक्त रसायन होते है जो प्रतिरक्षा प्रक्रिया को बढाते है.
टेटनस टोकसाइड (टीटी) 10 साल मे दिया जाता है.
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