14 May 2019 | 1 min Read
Varsha Daryanani
Author | 6 Articles
माता पिता के लिए सबसे ख़ुशी की बात है अपने बच्चे का पहला दांत आते देखना. बच्चे के दो साल की उम्र तक धीरे धीरे सारे दांत दिखाई देते है, और यह 20 दांतो का सेट तैयार हो जाता है.
लेकिन कई बार आप देखते है कि वह दांत सही तरह से एक पंक्ती मे नही आये है, वे विषम कोणो मे नजर आते है ,या एक दूसरे के ऊपर आ जाते है. इस स्तिथी को भीड वाले के रूप मे जाना जाता है. यह कैसे होता है? इसका हल क्याहाई? आईये इस स्तिथि को गहराई से समझते है ।
आजकल के बच्चो मे भीड दांत आना एक आम समस्या बन चुका है. यह खराब जबडे के विकास का नतीजा है. यह वंशानुगत कारको या छोटे जबडे मे बडे दांतो के अंकुरण के कारण नही होता है ।
यदि बच्चे के जबडे का आकार और कार्य सही है तो दांतो के विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह है.मायोफेक्शनल कारक जबडे के विकास को प्रतिबंधित करते है, जिससे गलत दांत आ जाते है. आईये एक नजर डालते है इन कारको पर .
अगर आपका बच्चा मुह से सांस लेता है ,तो उनकी जीभ सही तरह से आराम करने मे असमर्थ है और मुह खुला ही रहेगा. यह जबडे और चेहरे की मासपेशियो का सही ग्रोथ होने मे रुकावट पैदा करता है.जिससे यह नीचे और पीछे की ओर होने लगता है जिस वजहसे संकीर्ण जबडे और अविकसित चेहरे का विकास होता है.
जीभ ऊपर के जबडे के आकार को निर्धारित करती है. यदि बच्चे की आदत है बार बार जीभ लगाने की, या कम जीभ की स्तिथी हो तो उपरी दांतो को जगह नही मिल पाती है और निचला जबडा पीछे और नीचे की ओर जोर लगता है तो जबडा संकीर्ण हो जायेगा और दांतो को सीधा बढने के लिए जगह नही मिलेगी.
गलत निगल जब जीभ आगे की ओर बढती है और होंठ निगलते वक़्त पीछे की ओर धकेलते है तो आपके सामने के दांत पीछे की ओर धकेल दिये जाते है और इस वजह से आपके दांतो की भीड हो सकती है.
अंगूठा चूसने वाले बच्चो ,मे होंठ और गाल की ताकत दांतो और जबडे की दशा को प्रभावित करती है. अंगूठा चूसते वक़्त बच्चा को अपने होंठो को एकसाथ सील करना मुश्किल हो जाता है और निगलने पर ओवरएक्टीविटी बढ जाती है और गलत जबडे का विकास होता है.
आजकल अधिकतर बच्चो के भीड वाले दांत आ रहे है और उनका जबडा गलत तरीके से विकसित हो रहा है.यह लक्षण 3 वर्ष की आयु से बढने लगते है ,दंत चिकित्सक आमतौर पर रुकने की सलाह देते है जबतक बच्चे की उम्र ब्रेसीज और अर्क के साथ इलाज के लायक नही होती. दांतो को सीधा करने के लिये ब्रेसिज एक बहुत अच्छा तरीका है. माता पिता किसी और विकल्प के बारेमे नही जानते इसलिये बाकी इलाज बंद करके अपने चिकित्सक की सलाह लेते है जबतक बच्चा 12 से 14 साल का हो. और हम यह भी जानते है कि यह हल स्थायी रूप से काम नही करेगा यदि ब्रेसिज हटा दिये गये तो दांत फिर से निकल आयेंगे और भीड होगी, खास कर अगर बच्चा लगातार नही पहनता.
शुरूआती इलाज बच्चे के दांतो की भीड को रोकने का एक बढीया तरीका है. एक बार चेहरा और जबडा बढ गया तो फिर नामुमकिन है. लेकिन देखा जाये तो रूढीवादी उपचार के लिये एक अलग नजरिया भी है. मायोब्रेस पारंपारिक उपचारो की तुलना मे बहुत पहले मायोफ्न्कशनल कारको को ठीक कर सकता है और सबसे ज्यादा बार ब्रेसिज या अर्क के उपयोग के बिना. इस तकनीक का इस्तेमाल करके बच्चे के प्राकृतिक विकास का पोषण करना भी बच्चो को उनकी आनुवंशिक क्षमता को विकसित करने की अनुमति देता है.
इससे अधिक और क्या? मायोब्रेस के दर्द्नाक अर्क से बचा जा सकता है जो ब्रेसिज के ज्यादातर मामलो मे जरुरी होते है. तो यह दांतो को सीधा करने का एक बढीया तरीका है और साथ ही अच्छी चेहरा प्रोफाईल भी सुनिश्चित करता है.
अगर आप मुंबई मे है और एक बाल रोग चिकित्सक से परामर्श करना चाहते है तो डॉक्टर वर्षा दर्यांनी ,बाल रोग चिकित्सक और मायोब्रेस विशेषज्ञ, क्राऊन कॉर्नर फैमिली डेनटिसट्री ,नरीमन प्वाइंट,मुबंई तक पंहुचें ।
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