18 Jul 2019 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
Author | 60 Articles
काले बादलों से भरा आसमान उमड़-घुमड़ कर बरस रहा था। बादलों की गरज के बीच बिजली भी रह-रह कर चमक उठती थी। रात के 11 बज चुके थे। काफी देर से बरसात हो रही थी। बालकनी में खड़ा पीयूष इन बादलों को बरसता देख रहा था। कभी किसी चंचल हवा का झोंका आता और बारिश की फुहारें पीयूष के चेहरे को भिगो जातीं। ठंडी-ठंडी बूंदें पीयूष के तन-बदन में आग लगा जातीं। गरजते बादलों के साथ बिजलियों का नर्तन देखने को जैसे रात सांसें थामे हुए रुकी खड़ी थी। पीयूष भी अपनी सांसें थामे अपनी स्वाति का इंतजार कर रहा था। पीयूष को बरसात की रुत बेहद पसंद है …उसे बरसात की नशीली रातें बेहद पसंद हैं और बरसात में भीगना भी बेहद पसंद है। सावन की बरसती रातों में बालकनी में खड़े होकर शीवाज़ रीगल की स्कॉच पीना कभी उसका शगल हुआ करता था मगर जबसे स्वाति उसकी जिंदगी में आई उसे बरसात की रातें हजार गुना नशीली लगने लगी हैं। स्वाति के इंतजार में उसकी बेकरारी बढ़ती जा रही थी।
क्या सोचकर वह ऑफिस से निकला था और अब उसका इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी दरवाजा खुला और स्वाति कमरे में दाखिल हुई। … शॉवर लेकर स्वाति सीधे पीयूष के पास आ गई। नीले रंग के पारदर्शी गाउन में स्वाति को देखकर पीयूष उसके करीब आ गया। बरसात का भीगा नशा दोनों पर छाने लगा। पीयूष ने मोबाइल पर गाना चला दिया-
पीयूष ने स्वाति को अपनी ओर खींच लिया और उसे बाहों में भर कर चूमने लगा। दोनों के बहके कदम म्यूज़िक पर थिरकने लगे…
तभी दरवाजा पीटने की आवाज़ आई- धड़-धड़… धड़-धड़…
बारिश का भीगा नशा उतर गया। स्वाति ने लपक कर दरवाजा खोला तो सामने अंशु खड़ा था, उनका पांच साल का बेटा।
“मम्मा मुझे डर लग रहा है… इट्स रेनिंग एंड थंडरिंग… !” कहते हुए अंशु बिस्तर में घुस गया और पापा कहते हुए पीयूष से लिपट गया। पीयूष झुंझलाना चाहता था मगर रुक गया। उसकी इस बेबसी पर स्वाति हंस पड़ी और वह भी आकर दोनों से लिपट कर सो गई।
… बच्चे के बाद अक्सर मियां-बीवी के रोमांस की ऐसे ही वाट लगती है।
बड़ी मुश्किल से पति-पत्नी को अपने लिए फुरसत के पल मिलते हैं कि बच्चा उनके बीच आ जाता है। पीयूष और स्वाति दोनों ही नौकरीपेशा हैं। स्वाति के लिए नौकरी के साथ-साथ घर और बच्चा संभालने के साथ अपने लिए समय निकालना कठिन हो जाता है। पीयूष भी घर आकर बेटे के साथ समय बिताता है। उसके साथ खेलने और पढ़ाई की जिम्मेदारी पीयूष ने ले रखी है।
आज ज्यादातर घरों का यही किस्सा है। पति-पत्नी काम के सिलसिले में अपने मां-बाप से दूर या दूसरे कारणों से नया घर बसाने को मजबूर हो जाते हैं। जब तक कोई बच्चा नहीं होता जिंदगी काम और रोमांस के बीच चलती रहती है। मगर बच्चे के साथ दोनों की जिंदगी बदल जाती है, जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। रोजमर्रा के रुटीन में से धीरे-धीरे रोमांस कम होने लगता है।
ऑफिस और घर के बीच फंसे पति-पत्नी अपने लिए अंतरंग पल बड़ी मुश्किल से निकाल पाते हैं। पति बेचारा इंतजार करता रहता है और पत्नी अगली सुबह की तैयारी में किचन में घुसी रहती है या बच्चे को सुलाते-सुलाते खुद भी सो जाती है।
और ये सिलसिला एक दिन का तो नहीं है, अपने रिश्ते को तरो-ताज़ा और जवां बनाए रखने के रास्ते दोनों को मिल कर ही तलाशने होंगे वरना जिंदगी नीरस हो जाती है। सच कहें तो पति-पत्नी के रिश्तों में गर्माहट सेक्स से ही बनी रहती है। बच्चे के जन्म के बाद औरत का सारा ध्यान बच्चे की चिंता में ही रहता है। उसके पास इतनी ऊर्जा ही नहीं बचती कि वह पति के साथ सेक्स में उसका साथ दे सके। ऐसे में सेक्स की जरूरत पूरी न होने पर पति अक्सर चिड़चिड़े हो जाते हैं। और फिर दोनों के रिश्तों में एक ठहराव आ जाता है। ऐसा दौर हर पति-पत्नी के बीच आता ही है। अगर जल्दी ही इस स्थिति को संभाला न जाए तो आगे चल कर दूरी बढ़ती जाती है।
इसलिए पति-पत्नी को चाहिए कि वे मिल-जुल कर कुछ बातों को अमल में लाएं। जैसे-
इस तरह बच्चे होने के बाद परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ मिलजुल कर रहने से पति-पत्नी में एक दूसरे के प्रति लगाव बढ़ता है। परिवार का महत्व समझ आता है। समाज में पति-पत्नी के रूप आपका रिश्ता मजबूती से दर्ज होता है जो घर में भी आपके रिश्ते पुख्ता बनाता है।
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